Added by Naveen Mani Tripathi on November 30, 2017 at 5:30pm — 4 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on November 28, 2017 at 2:00am — 13 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on November 27, 2017 at 9:00pm — 7 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on November 26, 2017 at 1:30am — 9 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on November 25, 2017 at 12:00am — 9 Comments
22 22 22 22 22 2
आंखों में आबाद समंदर देखा है ।
हाँ मैंने उल्फ़त का मंजर देखा है ।।
कुछ चाहत में जलते हैं सब रोज यहां ।
चाँद जला तो जलता अम्बर देखा है ।।
आज अना से हार गया कोई पोरस ।
तुझमें पलता एक सिकन्दर देखा है ।।
एक तबस्सुम बदल गई फरमान मेरा ।
मैंने तेरे साथ मुकद्दर देखा है ।।
कुछ दिन से रहता है वह उलझा उलझा ।
शायद उसने मन के अंदर देखा है ।।
बिन बरसे क्यूँ बादल सारे गुज़र गए ।
मैंने उसकी जमीं को बंजर…
Added by Naveen Mani Tripathi on November 24, 2017 at 6:30pm — 5 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on November 23, 2017 at 12:00am — 4 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on November 21, 2017 at 11:00pm — 8 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on November 10, 2017 at 5:11pm — 2 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on November 10, 2017 at 12:26pm — 13 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on November 7, 2017 at 12:53pm — 11 Comments
22 22 22 22 22 2
अंगारो से प्रीत निभाया करता हूँ ।
ख्वाब जलाकर रोज़ उजाला करता हूँ।।
एक झलक की ख्वाहिश लेकर मुद्दत से ।
मैं बादल में चांद निहारा करता हूँ ।।
एक लहर आती है सब बह जाता है ।
रेत पे जब जब महल बनाया करता हूँ ।।
शेर मेरे आबाद हुए एहसान तेरा ।
मैं ग़ज़लों में अक्स उतारा करता हूँ ।।
दर्द कहीं जाहिर न हो जाये मुझसे ।
हंस कर ग़म का राज छुपाया करता हूँ ।।
पूछ न मुझसे आज मुहब्बत की बातें ।
याद में…
Added by Naveen Mani Tripathi on November 7, 2017 at 12:30pm — 13 Comments
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