Added by Naveen Mani Tripathi on December 31, 2016 at 1:22pm — 17 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on December 28, 2016 at 11:59pm — 10 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on December 27, 2016 at 1:16am — 4 Comments
2122 2122 212
तू न मेरा हो सका तो क्या हुआ ।
हो गया है फिर जुदा तो क्या हुआ ।।
हम सफ़र था जिंदगी का वो मिरे ।
बस यहीं तक चल सका तो क्या हुआ।।
मैकदों की वो फ़िजा भी खो गई ।
वक्त पर वो चल दिया तो क्या हुआ ।।
फिर यकीं का खून कर के वह गयी ।
दर्द दिल का कह लिया तो क्या हुआ।।
सुर्ख लब पे रात भर जो हुस्न था ।
तिश्नगी में बह गया तो क्या हुआ ।।
डर गया इंसान अपनी मौत से ।
खो गया वो हौसला तो क्या हुआ ।।…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 24, 2016 at 10:30pm — 6 Comments
1222 1222 1222 1222
अदा के साथ ऐ ज़ालिम, ज़माने छूट जाते हैं ।
मुहब्बत क्यों ख़ज़ानो से ख़ज़ाने छूट जाते हैं ।।
तजुर्बा है बहुत हर उम्र की उन दास्तानों में ।
तेरीे ज़द्दो ज़ेहद में कुछ फ़साने छूट जाते हैं ।।
बहुत चुनचुन के रंज़ोगम को जो लिखता रहाअपना।
सनम से इंतक़ामों में निशाने छूट जाते हैं ।।
रक़ीबों से मुसीबत का कहर बरपा हुआ तब से ।
हरम में घुंघरुओं से कुछ तराने छूट जाते हैं ।।
वो कुर्बानी है बेटी की जरा ज़ज़्बात से पूछो…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 22, 2016 at 10:30am — 1 Comment
2212 2212 2212 2212
शर्मो हया के साथ कुछ दीवानगी पढ़ने लगी।
वो सुर्खरूं चेहरे पे कुछ आवारगी पढ़ने लगी ।।
हर हर्फ़ का मतलब निकाला जा रहा खत में यहां ।
खत के लिफाफा पर वो दिल की बानगी पढ़ने लगी ।।
वह बेसबब रातों में आना और वो पायल की धुन ।
शायद गुजरती रात की वह तीरगी पढ़ने लगी ।।
गोया के वो महफ़िल में आई बाद मुद्दत के मगर ।
ये क्या हुआ उसको जो मेरी सादगी पढ़ने लगी ।।
कुछ हसरतों को दफ़्न कर देने पे ये तोहफा मिला ।
वो फिर…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 20, 2016 at 6:00am — 8 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on December 16, 2016 at 2:00pm — 5 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on December 16, 2016 at 12:39pm — 6 Comments
2122 2122 212
मौत का मेरे नया फरमान कर ।
हो सके तो ऐ खुदा एहसान कर ।।
जिंदगी तो काट दी मुश्किल में, अब
रास्ता जन्नत का तो आसान कर ।।
जी रहा है आदमी किस्तों में अब ।
धड़कनो की बन्द यह दूकान कर ।।
टूट जाती हैं उमीदें सांस की।।
खत्म तू बाकी बचा अरमान कर ।।
हसरतें सब बेवफा सी हो गईं ।
आसुओं के दौर से अनजान कर ।।
हार जाता है यहां हर आदमी।
क्या करूँगा मौत को पहचान कर ।।
है गरीबी से मेरा रिश्ता…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 12, 2016 at 11:30pm — 14 Comments
121 22 121 22 121 22 121 22
न वक्त का कुछ पता ठिकाना न रात मेरी गुज़र रही है ।
अजीब मंजर है बेखुदी का , अजीब मेरी सहर रही है ।।
ग़ज़ल के मिसरों में गुनगुना के , जो दर्द लब से बयां हुआ था ।
हवा चली जो खिलाफ मेरे , जुबाँ वो खुद से मुकर रही है ।।
है जख़्म अबतक हरा हरा ये , तेरी नज़र का सलाम क्या लूँ ।
तेरी अदा हो तुझे मुबारक , नज़र से मेरे उतर रही है ।।
मिरे सुकूँ को तबाह करके , गुरूर इतना तुझे हुआ क्यूँ ।
तुझे पता है तेरी हिमाकत , सवाल…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 7, 2016 at 11:00am — 11 Comments
2122 1122 1122 22
अश्क आए तो निगाहों को सजा क्या दोगे ।
है पता खूब वफाओं को सिला क्या दोगे।।
खत जो आया था मुहब्बत की निशानी लेकर ।
लोग पूछें तो जमाने को बता क्या दोगे ।
सुन लिया मैंने तेरे प्यार के किस्से सारे ।
टूट जाए जो मेरा दिल तो खता क्या दोगे ।।
मेरी किस्मत ने मुझे जब भी पुकारा होगा ।
मुझको मालूम मेरे घर का पता क्या दोगे ।।
आशियाँ जब भी उजाड़ोगे तो मुश्किल होगी ।
तेरी हस्ती ही नही मुझको हटा क्या दोगे…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 2, 2016 at 2:30am — 16 Comments
2122 1122 1122 22
मांग इनसे न दुआ जख़्म दिखाने वाले ।
दौलते हुस्न में मगरूर ख़जाने वाले ।।
जो निगाहों की गुजारिश से खफा रहता है ।
कितने जालिम हैं अदाओं से जलाने वाले ।।
एक मुद्दत से तेरी राह पे ठहरी आँखें ।
क्या मिला तुझ को हमे छोड़ के जाने वाले ।।
था रकीबों का करम शाख से टूटा पत्ता ।
यूं निभाते है यहां फर्ज ज़माने वाले ।।
टूट जाते है वो रिश्ते जो कभी थे चन्दन ।
इश्क़ क्यों जुर्म है मजहब को चलाने वाले ।।
मेरी…
Added by Naveen Mani Tripathi on December 1, 2016 at 4:00pm — 13 Comments
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