Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 25, 2010 at 7:46pm — 1 Comment
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 25, 2010 at 11:35am — 2 Comments
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 24, 2010 at 11:05pm — No Comments
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 24, 2010 at 10:55pm — 2 Comments
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 22, 2010 at 2:30pm — 3 Comments
ग़ज़ल
प्रश्न मेरे सामने यह एक अन्धा सा कुआँ है |
क्या हुआ जो दोस्त था कल आज वो दुश्मन हुआ है ||
जिसने दी थी कल खुशी, वो आज आँसू दे रहा,
ये न जाने किसकी मेरे वास्ते एक …
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 20, 2010 at 3:00am — 2 Comments
ग़ज़ल
रात - रात भर सोते - जगते, मैंने उसे मनाया है |
फिर भी खुदा न मेरा अब तक, सिर सहलाने आया है ||
कहते हैं- मालिक ने हमको, तुमको, सबको, जन्म दिया,
पर लगता है - कोई वो पागल था जिसने भरमाया है ||
एक …
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 19, 2010 at 12:00am — 2 Comments
ग़ज़ल
मैं दर्दों का समंदर हूँ, ग़मों का आशियाना हूँ |
मैं जिंदा लाश हूँ , बीमार दिल , घायल फसाना हूँ ||
बदन पर ये हजारों ज़ख्म, तोहफे हैं ये अपनों के,
मैं जिनके प्यार का बीमार, आशिक हूँ , दिवाना हूँ ||…
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 18, 2010 at 9:30pm — 1 Comment
ग़ज़ल
बहुत विषैला है विष यारो, दुनिया की सच्चाई का |
आखिर, कैसे दर्द सहें हम, दिल में फटी बिवाई का ||
बनकर इन्सां जीते - जीते खुद को हमने लुटा दिया,
फिर भी तमगा मिला न हमको एक अदद अच्छाई का ||…
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 18, 2010 at 2:00am — 2 Comments
ग़ज़ल
दिलनशीं, सुन ले कि- मुझको, तुझ से कितना प्यार है |
तुझमें ही सारी दुनिया, और मेरा संसार है ||
प्यार है इतना नज़र से , दिल तलक तेरे वास्ते ,
ज़र्रे - ज़र्रे में तेरा ही अक्श एक दरकार है ||…
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 15, 2010 at 8:00pm — 2 Comments
ग़ज़ल
मीत मेरे मैं तुम्हारी रूह का श्रृंगार हूँ |
प्यार हो तुम मेरे दिल का, मैं तुम्हारा प्यार हूँ ||
हर ख़ुशी और राह मेरी, मीत मेरे एक है,
तू मेरा आधार प्रियतम, मैं तेरा आधार हूँ ||
तू…
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 14, 2010 at 9:30pm — No Comments
ग़ज़ल
इस तरह तोड़ा हमारा दिल हमारे प्यार ने.|
जैसे हक जीने का हम से ले लिया संसार ने ||
जिंदगी को आज जकड़ा, इस तरह तूफ़ान ने,
ले लिया आगोश मैं मुझे दर्द के …
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 14, 2010 at 9:30pm — 2 Comments
ग़ज़ल
आ जाओ हमारी बांहों में, कुछ प्यार मोहब्बत हो जाये |
ये प्यार इबादत होता है, आओ ये इबादत हो जाये ||
दुनिया से भला क्या घबराना, जलता है कोई तो जलने दो.
आ जाओ मिला लें दिल से दिल, दुनिया से…
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 13, 2010 at 12:30am — 1 Comment
ग़ज़ल
महबूब मेरे सूरत तेरी, मुझे इतनी प्यारी लगती है |
सौ जन्मों से भी पहले की, तेरी - मेरी यारी लगती है ||
तेरा प्यार मेरी रग़ - रग़ में बसा है, बन के नशा हमराज़ मेरे,
एक पल की भी तन्हाई मुझे, कातिल …
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 1:30pm — No Comments
ग़ज़ल
छोटे से दिल में दुनिया का, दर्द छुपाये फिरता हूँ |
आंसू के फूलों से अपनी, लाश सजाए फिरता हूँ ||
अपना बनकर दिल को लूटना, है दस्तूर ज़माने का,
मैं ऐसे ही कुछ रिश्तों पे, खुद को लुटाये फिरता हूँ…
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 1:00pm — 1 Comment
ग़ज़ल
हर पल दिल ने तुझे पुकारा है यूँ अय हमराज़ मेरे |
भींग गए हैं रोते-रोते आंसू से हर साज़ मेरे ||
जी करता है - इन रश्मों की दीवारों से लड़ जाऊं,…
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 12:30pm — 1 Comment
ग़ज़ल
मित्रों , हमें ज्ञान का दीपक घर-घर आज जलाना होगा |
भटक गयी है जो मानवता , उसको राह दिखाना होगा ||
दिल से दिल को आज जोड़ना होगा हमको आगे बढ़कर,…
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 2:00am — 1 Comment
ग़ज़ल
यारों , पापों के हिंडोले की यह डोली बहुत बुरी है |
होली खेलो मगर खून की होली यारों बहुत बुरी है ||
तन से मानव बहुत मिलेंगे पर तुम बनना मन से मानव,
गोली बनो दवा की …
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 1:30am — 2 Comments
ग़ज़ल
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 10, 2010 at 9:00pm — 1 Comment
ग़ज़ल
मैंने दुनिया की दुश्मनी देखी, दोस्त तू भी मुझे भुला देना |
तेरे दिल को ये हक है चाहे तो, मेरा नाचीज़ दिल जला देना ||
तुझको हमराज़-हमनशीं कर के, मैंने खुशियों के ख्वाब देखे थे,
मुझसे गर भर गया हो…
ContinueAdded by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 9, 2010 at 12:30am — 2 Comments
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