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Abhay Kant Jha Deepraaj's Blog – December 2010 Archive (20)

GHAZAL - 22

                       ग़ज़ल





फ़र्ज़  के  पैगाम  का  बस,  उम्र  भर  ये  स्वर  सुना  है |

युग विजेता बन  मनुज  तू ,  जिसने ये अम्बर बुना है ||



वो  कि -   जो  बैठे  हुए  थे   खुद   किनारों  पर   कहीं,

कह  रहे  थे -   खास  गहरा  नहीं  ये  सागर,  सुना  है ||



कल  न  जाने  बात  क्या  थी ?  आसमां  नीचा  लगा,

आज  जब  उँचाई  उसकी  नाप  ली  तो  सिर  धुना  है ||



लौट  कर  आया  नहीं,  उस  ख़त  के  बदले  कोई…
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 25, 2010 at 7:46pm — 1 Comment

GHAZAL - 21

ग़ज़ल





भारत  माता  माँग  रही  है - इस  नीति  से  पूर  विधान |

जिसमें हों सब  भाई बराबर, जाति - धर्मं से दूर, समान ||



जिसमें किसी की हो न उपेक्षा, मिले बराबर का अधिकार,

सब  हों  माँ  के एक से बेटे- अधिकारी, मजदूर, किसान ||



तंग  दिलों  से  बाहर  आ  कर, आओ,  रचें हम वह संसार.

जिसमें  सुख की हो सुगंध पर हों न दुखों के क्रूर निशान ||



बात   जोहती   है  भारत माँ , बेटों   के  इस   न्याय   का ,

जिसकी …
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 25, 2010 at 11:35am — 2 Comments

GHAZAL - 20

                    ग़ज़ल





मेरे  दिल  को  जलाने  वाले,  खुदा  तेरा  भी  दिल  जलाए |

मुझे जो तूने दिया है ये गम, तेरे भी दिल को सुकूँ न आये ||



मेरी  मुहब्बत  न तूने समझी, मुझे जो तूने दिया है ये गम,

खुदा तुझे भी अमन न बख्शे , तेरे चमन को खिज़ां जलाये ||



मेरी  वफ़ा  को जूनून  कहकर, मुझे जो तूने कहा है पागल,

तुझे   सजा   दे   खुदाई   इसकी, दर्द  तुझको  गले लगाए ||



जफा  के  खंज़र, का ये कातिल, दर्द क्या…
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 24, 2010 at 11:05pm — No Comments

GHAZAL - 19

                 ग़ज़ल





दोस्तों, कुछ  रात  ऐसी  भी थी, जब  सोया  नहीं  मैं |

दर्द  से  तड़पा  बहुत  पर  चीख  कर  रोया  नहीं  मैं  ||



कोई  शीशा  सा  तड़क  कर,  टूट, दिल  में  आ चुभा,

इसलिए  उस  रात भर तक, ख्वाब में खोया नहीं मैं ||



कौन सी मंजिल है किसकी और कहाँ किसका मकाँ ?

कौन  है  इस  राह  पर  भटका  हुआ, वो  या  कहीं मैं ?



ज़िन्दगी   के   मायने,  अहसान …
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 24, 2010 at 10:55pm — 2 Comments

GHAZAL - 18

                       ग़ज़ल





न  जाने  कब  वो  समझेंगे  मुहब्बत  मेरे इस दिल की |

सताती  है  बहुत  मुझको,  अदा  
ये  मेरे  कातिल  की ||



ज़माना  देख  कर  मुझको,  पलट  कर  के  उलझता  है,

नज़र   मेरी   तरफ   उठती  नहीं  पर  मेरी  मंजिल  की ||



जिन्हें   मेरी   तमन्ना   है,  मेरी   चाहत   नहीं  हैं  वो,

मेरी  चाहत  की  चाहत  मैं  नहीं, है  बात …
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 22, 2010 at 2:30pm — 3 Comments

GHAZAL - 17

                  ग़ज़ल



प्रश्न   मेरे  सामने  यह   एक   अन्धा   सा   कुआँ    है |

क्या हुआ जो दोस्त था कल आज वो दुश्मन  हुआ  है ||



जिसने  दी  थी  कल  खुशी, वो  आज  आँसू दे रहा,

ये   न  जाने   किसकी   मेरे   वास्ते एक …

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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 20, 2010 at 3:00am — 2 Comments

GHAZAL - 16

                    ग़ज़ल



रात - रात  भर  सोते - जगते,  मैंने   उसे   मनाया   है |

फिर भी खुदा न मेरा अब तक, सिर  सहलाने  आया है ||



कहते हैं- मालिक ने हमको, तुमको, सबको, जन्म दिया,

पर  लगता  है - कोई  वो पागल था जिसने भरमाया है ||



एक …

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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 19, 2010 at 12:00am — 2 Comments

GHAZAL - 15

                   ग़ज़ल



मैं   दर्दों   का   समंदर   हूँ,  ग़मों  का  आशियाना   हूँ |

मैं  जिंदा  लाश  हूँ , बीमार  दिल , घायल  फसाना हूँ ||



बदन  पर  ये  हजारों  ज़ख्म, तोहफे  हैं  ये  अपनों के,

मैं  जिनके  प्यार  का  बीमार, आशिक हूँ , दिवाना हूँ ||…



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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 18, 2010 at 9:30pm — 1 Comment

GHAZAL - 14

                               ग़ज़ल



बहुत  विषैला  है  विष  यारो,  दुनिया   की  सच्चाई  का |

आखिर,   कैसे  दर्द  सहें  हम,  दिल  में  फटी बिवाई का ||



बनकर  इन्सां  जीते - जीते  खुद  को  हमने  लुटा  दिया,

फिर  भी  तमगा मिला न हमको एक अदद अच्छाई का ||…



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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 18, 2010 at 2:00am — 2 Comments

GHAZAL - 11

                       ग़ज़ल





दिलनशीं, सुन ले कि- मुझको, तुझ से कितना प्यार है |

तुझमें    ही    सारी   दुनिया,   और    मेरा    संसार    है ||



प्यार है इतना नज़र से ,   दिल   तलक   तेरे   वास्ते ,

ज़र्रे - ज़र्रे    में    तेरा    ही    अक्श    एक    दरकार   है ||…



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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 15, 2010 at 8:00pm — 2 Comments

GHAZAL - 5

                          ग़ज़ल



मीत   मेरे   मैं   तुम्हारी   रूह   का   श्रृंगार   हूँ |

प्यार हो तुम मेरे दिल का, मैं तुम्हारा  प्यार हूँ ||



हर   ख़ुशी  और  राह  मेरी,   मीत  मेरे  एक है,

तू मेरा आधार  प्रियतम,  मैं   तेरा  आधार  हूँ ||



तू…

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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 14, 2010 at 9:30pm — No Comments

GHAZAL - 13

                     ग़ज़ल



इस  तरह  तोड़ा  हमारा   दिल    हमारे   प्यार   ने.|

जैसे  क  जीने  का  हम  से  ले  लिया  संसार   ने || 



जिंदगी  को   आज  जकड़ा,  इस  तरह  तूफ़ान  ने,

ले  लिया  आगोश  मैं  मुझे  दर्द  के  …

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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 14, 2010 at 9:30pm — 2 Comments

GHAZAL - 12

                               ग़ज़ल





आ  जाओ  हमारी  बांहों  में,   कुछ   प्यार   मोहब्बत   हो  जाये |

ये    प्यार   इबादत   होता   है,  आओ   ये   इबादत  हो   जाये ||



दुनिया  से  भला  क्या   घबराना, जलता  है  कोई  तो  जलने  दो.

आ  जाओ  मिला  लें  दिल  से दिल,  दुनिया से…

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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 13, 2010 at 12:30am — 1 Comment

GHAZAL - 10

                           ग़ज़ल





महबूब   मेरे   सूरत   तेरी,   मुझे   इतनी   प्यारी   लगती   है |

सौ  जन्मों  से  भी  पहले  की,  तेरी  -  मेरी   यारी   लगती   है ||



तेरा  प्यार  मेरी रग़ - रग़ में बसा है, बन के नशा हमराज़ मेरे,

एक  पल  की   भी  तन्हाई  मुझे,  कातिल …

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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 1:30pm — No Comments

GHAZAL - 4

                                   ग़ज़ल



छोटे  से  दिल  में  दुनिया  का,   दर्द   छुपाये  फिरता  हूँ |

आंसू  के   फूलों  से   अपनी,   लाश   सजाए   फिरता  हूँ ||



अपना  बनकर  दिल  को  लूटना,  है  दस्तूर ज़माने का,

मैं  ऐसे  ही  कुछ  रिश्तों  पे,  खुद  को  लुटाये फिरता हूँ…

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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 1:00pm — 1 Comment

GHAZAL - 3

                                 ग़ज़ल



हर  पल  दिल  ने  तुझे  पुकारा  है यूँ अय हमराज़ मेरे |

भींग   गए   हैं   रोते-रोते   आंसू   से   हर   साज़   मेरे ||



जी  करता  है -   इन  रश्मों  की  दीवारों  से  लड़ जाऊं,…

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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 12:30pm — 1 Comment

GHAZAL - 9

                                  ग़ज़ल



मित्रों , हमें ज्ञान का दीपक  घर-घर  आज  जलाना  होगा |

भटक  गयी है जो  मानवता ,  उसको  राह  दिखाना  होगा ||



दिल  से  दिल  को आज जोड़ना होगा हमको आगे बढ़कर,…

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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 2:00am — 1 Comment

GHAZAL - 2

                                ग़ज़ल



यारों ,   पापों  के  हिंडोले  की  यह  डोली   बहुत   बुरी   है |

होली  खेलो   मगर   खून  की  होली  यारों  बहुत  बुरी  है ||



तन से मानव बहुत मिलेंगे पर तुम बनना मन से मानव,

गोली  बनो  दवा  की …

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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 12, 2010 at 1:30am — 2 Comments

GHAZAL - 8

                       ग़ज़ल



मेरी  मौत  के  बाद  मेरा  गम,  तुझको  बहुत सताएगा |

मेरे  दिल  का  ये  भोलापन,   तुझको   बहुत   रुलाएगा ||


आज  शरारत  मेरी  तुझको,  शायद  बोझिल  लगती हैं ,

कल   मेरी   ख़ामोशी   का   वो,…
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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 10, 2010 at 9:00pm — 1 Comment

GHAZAL - 6

 

 

                                     ग़ज़ल

 

मैंने  दुनिया  की  दुश्मनी  देखी,  दोस्त  तू  भी  मुझे  भुला देना |

तेरे दिल को ये हक है चाहे तो,  मेरा   नाचीज़  दिल  जला  देना ||



तुझको हमराज़-हमनशीं कर के, मैंने खुशियों के ख्वाब देखे थे,

मुझसे गर भर गया हो…

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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 9, 2010 at 12:30am — 2 Comments

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