2121 2122 2121 212
खो गया सुकून दिल का कार हो गया जहाँ
गुम गया सनम भँवर में ख़ार हो गया जहाँ
कामयाबी तौलती दुनिया भरोसे जऱ ज़मी
फार्म जिनके हैं नहीं गुड़मार हो गया जहाँ
ज़िन्दगी जिसे कहा हमने कहीं छुपा गया
है निशान अपने ज़ालिम पार हो गया जहाँ
कार-ए-दुनिया और कुछ हैं और कुछ दिखें ख़ुदा
मारकाट हाल कारोबार हो गया जहाँ
तोड़ हद रहे सभी अब तो अदब जहान में
लाज लुट रही घरों मुरदार हो गया…
Added by Chetan Prakash on November 8, 2023 at 8:30pm — No Comments
दोहा पंचक . . . .
लुप्त हुई संवेदना, कड़वी हुई मिठास ।
अर्थ रार में खो गए , रिश्ते सारे खास ।।
*
पहले जैसे अब कहाँ, मिलते हैं इन्सान ।
शेष रहा इंसान में, बड़बोला अभिमान ।।
*
प्रीत सरोवर में खिले, क्यों नफरत के फूल ।
तन मन को छिद्रित करें, स्वार्थ भाव के शूल ।।
*
किसको अपना हम कहें, किसको मानें गैर ।
भूल -भाल कर दुश्मनी , सबकी माँगें खैर ।।
*
शर्तों पर यह जिंदगी , काटे अपनी राह ।
सुध-बुध खो कर सो रही, शूल नोक पर चाह…
Added by Sushil Sarna on November 5, 2023 at 7:46pm — 4 Comments
तेरे बोलों के ख़ार आँखों में
दिख रहे हैं हजार आंखों में
मैनें देखा खुमार आँखों में
इश्क का बेशुमार आँखों में
इश्क है होशियार आँखों में
इश्क फिर भी गवार आँखों में
तेरी गलियों को छान कर जाना
होता क्या-क्या है यार आँखों में?
होठ बेशक हँसी से फैले हैं
दर्द पर बरकरार आँखों में।
'बाल' नादान है समझ तेरी
ढूंढती बस जो प्यार आँखों में।
मौलिक अप्रकाशित
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 3, 2023 at 9:30am — 7 Comments
221/2121/1221/212
****
सब से हसीन ख्वाब का मंजर सँभालकर
नयनों में उस के प्यार का गौहर सँभालकर।१।
*
उर्वर करेगा कोई तो फिर से ये सोच बस
सदियों रखा है जिस्म का बंजर सँभालकर।२।
*
कीटों के प्रेत नोच के हर शब्द ले गये
रक्खा है खत का आज भी पैकर सँभालकर।३।
*
पुरखों से सीख पायी है इस से ही रखते हम
नफरत के दौर प्यार के तेवर सँभालकर।४।
*
फूलों से उस को दूर ही रखना सनम सदा
जिस ने रखा है हाथ में…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 30, 2023 at 12:39pm — 3 Comments
किसे अपना कहें हम यहाँ
खंजर उसी ने मारी जिसको गले लगाया
किससे कहें हाल-ए-दिल यहाँ
हर राज उसी ने खोला जिसे हमराज़ बनाया
किसे जख्म दिखाये दिल का
हार घाव उसी ने कुरेदा जिसको भी मरहम लगाया …
ContinueAdded by AMAN SINHA on October 27, 2023 at 10:21pm — 2 Comments
मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन फ़ऊलुन
1222 1222 122
हज़ज मुसद्दस महजूफ़
———————————
निछावर जिसपे मैंने ज़िंदगी की,
उसे पर्वा नहीं मेरी ख़ुशी की
*
समझता ही नहीं जो दर्द मेरा,
निगाहों ने उसी की बंदगी की
*
वही इक शख़्स जो कुछ भी नहीं है,
हर इक मुश्किल में उसने रहबरी की
*
उसी का रंग है मेरे सुख़न में,
उसी से आबरू है शायरी की
*
उजाले गिर पड़े क़दमों पे आकर,
अंधेरों से जो मैंने दोस्ती की
*
अदीबों में है मेरा नाम…
Added by SALIM RAZA REWA on October 25, 2023 at 6:00am — 5 Comments
जीवन ....दोहे
झुर्री-झुर्री पर लिखा, जीवन का संघर्ष ।
जरा अवस्था देखती, मुड़ कर बीते वर्ष ।।
क्या पाया क्या खो दिया, कब समझा इंसान ।
जले चिता के साथ ही, जीवन के अरमान ।।
कब टलता है जीव का, जीवन से अवसान ।
जीव देखता रह गया, जब फिसला अभिमान ।।
देर हुई अब उम्र की, आयी अन्तिम शाम ।
साथ न आया काम कुछ ,बीती उम्र तमाम ।।
जीवन लगता चित्र सा, दूर खड़े सब साथ ।
संचित सब छूटा यहाँ, खाली दोनों हाथ…
Added by Sushil Sarna on October 17, 2023 at 9:30pm — 6 Comments
लेबल्ड मच्छर ......(लघु कथा )
"रामदयाल जी ! हमें तो पता ही नही था कि हमारे मोहल्ले से मच्छर गायब हो गए हैं सिर्फ पार्षद के घर के अलावा ।" दीनानाथ जी ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा ।
"वो कैसे ।" रामदयाल जी बोले ।
"वो क्या है रामदयाल जी । आज सवेरे में छत पर पौधों को पानी दे रहा था कि अचानक मुझे नीचे कोई मशीन चलने की आवाज सुनाई दी । नीचे देखा तो देख कर दंग रह गया ।"
"क्यों? क्या देखा दीनानाथ जी । पहेलियाँ मत बुझाओ ।साफ साफ बताओ यार ।" रामदयाल जी बोले…
ContinueAdded by Sushil Sarna on October 15, 2023 at 8:05pm — No Comments
पूजा बता रहे हैं
उषा अवस्थी
पाले हैं,यौन कुंठा
पूजा बता रहे हैं
न जाने ऐसे लोग
किस राह जा रहे हैं?
रचते हैं ढोंग ज्ञान का
कल्मष बढ़ा रहे हैं
लिखते अभद्र भाषा
निर्मल बता रहे हैं
अपने ही मन की ग्रन्थि
सुलझा न पा रहे हैं
बच्चों औ युवजनों को
क्या -क्या सिखा रहे हैं?
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Usha Awasthi on October 11, 2023 at 3:30am — 2 Comments
दोहा पंचक. . . . .
तर्पण को रहता सदा, तत्पर सारा वंश ।
दिये बुजुर्गो को कभी, कब मिटते हैं दंश ।।
तर्पण देने के लिए, उत्सुक है परिवार ।
बंटवारे के आज तक, बुझे नहीं अंगार ।।
लगा पुत्र के कक्ष में, मृतक पिता का चित्र ।
दम्भी सिर को झुका रहा, उसके आगे मित्र ।।
देह कभी संसार में, अमर न होती मित्र ।
महकें उसके कर्म ज्योँ , महके पावन इत्र ।।
तर्पण अर्पण कीजिए, सच्चे मन से यार ।
चला गया वो आपका,…
Added by Sushil Sarna on October 9, 2023 at 1:30pm — No Comments
२२१/२१२१/१२२१/२१२
***
ये सच नहीं कि रूप से वो भा गयी मुझे
बारात उस के वादों की बहका गयी मुझे।१।
*
सरकार नित ही वोट से मेरी बनी मगर
कीमत का भार डाल के दफना गई मुझे।२।
*
दंगो की आग दूर थी कहने को मीलों पर
रिश्तों की ढाल भेद के झुलसा गई मुझे।३।
*
अच्छे बहुत थे नित्य के यौवन में रत जगे
पर नींद ढलते काल में अब भा गयी मुझे।४।
*
नद झील ताल सिन्धु पे है तंज प्यास यूँ
दो एक…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 9, 2023 at 7:58am — No Comments
कुछ विचार
उषा अवस्थी
राष्ट्र, समाज, स्वयं का
यदि चाहें कल्याण
चोरी, झूठ, फरेब से
है पाना परित्राण
अशुभ निवारक गुरु चरण
वन्दन कर, छल त्याग
जिनके दर्शन मात्र से
पाप, शोक हों नाश
यह दुनिया हर निमिष पल
गिरे काल के गाल
क्यों पाना इसको भला?
जहाँ बचे न भाल
इस अनन्त ब्रम्हाण्ड में
पृथ्वी का क्या मोल?
पल-पल, घिस-घिस छीजती
तोल सके तो…
ContinueAdded by Usha Awasthi on October 8, 2023 at 6:52pm — 3 Comments
ईमानदारी ....
"अरे भोलू ! क्या हुआ तेरे पापा 4-5 दिन से दूध देने नहीं आ रहे ।"सविता ने भोलू के बेटे को दूध का भगोना देते हुए पूछा ।
"वो बीवी जी, पापा की साइकिल कुछ खराब हो गई इसलिए मैं दूध देने आ गया ।" भोलू के बेटे ने भगोने में दूध डालते हुए कहा ।
"अच्छा , अच्छा यह बता जब से तुम दूध दे रहे हो दूध इतना पतला क्यों है ? पापा तो दूध गाढ़ा लाते थे ।"
सविता ने कहा ।
"बीवी जी, यह साइकिल नहीं फटफटिया है । अगर दूध गाढ़ा बेचेंगे तो फटफटिया कैसे चलायेंगे…
ContinueAdded by Sushil Sarna on October 8, 2023 at 1:30pm — 2 Comments
सुनो,
एक बात कहानी है
गर गलत न समझो तो
तो कह कर हल्का हो लूँ
हाँ अगर तुम्हें भली ना लगे
तो कुछ ना कहना और चली जाना तुम
पर एक इल्तजा है सुन लो “ना” ना कहना…
ContinueAdded by AMAN SINHA on October 8, 2023 at 7:31am — No Comments
ज़िन्दगी के कीड़े
सुरेन्द्र वर्मा
दो स्थितियां होती हैं – एक मिथ, अंधविश्वास, रूढियों, कर्मकाण्डों की, तो दूसरी बुद्धि, विवेक, तर्क, सोच-विचार और ज्ञान की। एक पक्ष कहता है कि कहीं न कहीं आस्था तो टिकनी ही है, जब सब जगह से निराश हो जाएं, तो जहां कहीं से आशा की किरण जीवन में प्रवेश करती है, वहीं शरण ले लेते हैं और फिर वहां विज्ञान और तर्क बौने पड़…
ContinueAdded by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on October 7, 2023 at 10:14pm — No Comments
भिखारी छंद -
24 मात्रिक - 12 पर यति - पदांत-गा ला
मन से मन की बातें, मन करता मतवाला ।
मन में हरदम जलती , इच्छाओं की ज्वाला ।
भोगी मन तो चाहे , बाला की मधुशाला ।
पी कर मन ये नाचे , नैन नशीली हाला ।
××××××
उल्फ़त की सौगातें, आँखों की बरसातें ।
तन्हा - तन्हा बीती , भीगी - भीगी रातें ।
जाकर फिर कब आते , बीते दिन मतवाले ।
दिल को बहुत सताते , खाली-खाली प्याले ।
सुशील सरना /5-10-23…
ContinueAdded by Sushil Sarna on October 5, 2023 at 2:38pm — No Comments
मनका / वर्णिका छंद - तीन चरण, पाँच-पाँच वर्ण प्रत्येक चरण,दो चरण या तीनों चरण समतुकांत
मस्त जवानी
फिर न आनी
हसीं कहानी !
*
आई बहार
अलि गुँजार
पुष्प शृंगार !
*
झड़ते पात
अन्तिम रात
एक यथार्थ !
*
मुक्त विहार
काम विकार
देह व्यापार!
*
घोर अँधेरा
छुपा सवेरा
स्वप्न का डेरा !
सुशील सरना 3-10-23
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on October 3, 2023 at 1:24pm — 2 Comments
२२२२ २२२२ २२२२ २
**
पर्वत पीछे गाँव पहाड़ी निकला होगा चाँद
हमें न पा यूँ कितने दुख से गुजरा होगा चाँद।१।
*
आस नयी जब लिए अटारी झाँका होगा चाँद
मन कहता है झुँझलाहट से बिफरा होगा चाँद।२।
*
हम होते तो कोशिश करते बात हमारी और
शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद।३।
*
चाँद बिना हम यहाँ नगर में जैसे काली रात
अबके पूनौ हम बिन भी तो आधा होगा चाँद।४।
*
बातें करती होगी बैठी याद हमारी पास
कैसे कह दें तन्हाई में तन्हा होगा…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 1, 2023 at 12:33pm — 4 Comments
दोहा पंचक. . . राजनीति
राजनीति के जाल में, जनता है बेहाल ।
मतदाता पर लोभ का, नेता डालें जाल ।।
राजनीति में आजकल, धन का है व्यापार ।
भ्रष्टाचारी की यहाँ , होती जय जयकार ।।
राजनीति में अब नहीं , सत्य निष्ठ प्रतिमान ।
श्वेत तिजोरी मांगती , जनता से बलिदान ।।
भ्रष्टाचारी पंक में, नेता करते ठाठ।
कीच नीर में यूँ रहें, जैसे तैरे काठ ।।
राजनीति के तीर पर, बगुले करते ध्यान ।
मीन…
Added by Sushil Sarna on September 26, 2023 at 2:00pm — 6 Comments
. पिंकी के बारे में उसको यह पता चला था कि वह बहुत बीमार रही और काफ़ी समय तक अस्पताल में रही। उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था परंतु जब पिंकी को स्कूल में देखा तो वह चहक उठी। वह पिंकी से लिपट गयी और कुछ पूछने को थी कि पिंकी ने जमकर उसका हाथ पकड़ लिया। पूरे दिन दोनों में से कोई न बोला। स्कूल खत्म होने पर दोनों एक साथ हाथ पकड़ कर बाहर निकले तब पिंकी के पापा-मम्मी को उनकी कार में खड़े पाया। चुप्पी तोड़ते हुए पिंकी ने धीरे से कहा, "घर चलोगी?" तान्या ने पिंकी की मम्मी से उनका मोबाइल माँगा और कॉल लगाया। इस…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 26, 2023 at 1:49pm — 2 Comments
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