पूरे गॉव में करन सिंह ही एक मात्र धींवर था! वह कुछ गिने चुने परिवारों का ही पानी भरता था! वह चार घर ठाकुरों के,चार घर ब्राह्मणों के और दो घर बनियों के पानी ले जाता था! गॉव में तीन कुंऐ थे! एक बडा कुंआ ठाकुर भूप सिंह की हवेली के अहाते में था,जिससे केवल तीन ऊंची जाति,ठाकुर,ब्राह्मण और बनियां, इन्हीं लोगों का पानी जाता था! दूसरा कुंआ चमारों का था तथा तीसरा भंगिओं का ! करन सिंह का बेटा रेलवे में अफ़सर बन गया था!बेटे ने दवाब डाला तो करन सिंह ने गॉव में पानी भरना बंद कर दिया! अगले दिन करन सिंह भोर…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on July 21, 2015 at 4:00pm — 5 Comments
लघुकथा - अग्नि परीक्षा –
"रचना, तू यह क्या कर रही है, मुझे तो यह तेरा कदम सही नहीं लग रहा, पति पत्नी के बीच की दरार को जितनी जल्दी हो घटाना चाहिये पर तू तो और बढा रही है "!
"मॉ ,अब पानी सिर से ऊपर जा चुका है,अब मेरी बर्दास्त की सीमा समाप्त हो चली है, हर वक्त ताने"!
"नहीं बेटी ,स्त्री की बर्दास्त का तो कभी अंत ही नहीं होता, फ़िर तेरे साथ तो दो बच्चों का भी जीवन जुडा है"!
"मॉ ,झगडे की मुख्य वज़ह भी तो ये बच्चे ही हैं, राकेश तो यह मानने को तैयार ही नहीं कि ये बच्चे…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on July 17, 2015 at 11:30am — 4 Comments
लघु कथा - मुर्गी का अंडा –
नज़ीर भाई और रसूल मियां वर्षों से पडौसी थे!नज़ीर भाई की टैक्सियां चलती थी और रसूल मियां घर के पिछवाडे ही मुर्गी पालन और अंडे बेचने का काम करते थे!
एक दिन एक मुर्गी नज़ीर भाई के अहाते में घुस गयी!पीछे पीछे रसूल मियां उसे पकडने दौडे!रसूल मियां ने देखा कि मुर्गी ने नज़ीर भाई के अहाते में अंडा दे दिया!नज़ीर भाई ने अंडा उठा लिया!रसूल मियां ने मुर्गी को पकड लिया,साथ ही नज़ीर भाई से अंडा भी मांगने लगे!
नज़ीर भाई साफ़ मुकर गये,"अरे रसूल मियां ,यह अंडा तो मैं…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on July 16, 2015 at 11:51am — 10 Comments
इधर गॉव से ताई जी अपने परिवार के साथ, पूरे बीस दिन के लिये आ गयीं थी! उधर पिछले तीन दिन से काम वाली बाई नहीं आरही थी!
आखिरकार पांच दिन बाद बाई जी आईं!जैसे ही बाई रसोई की तरफ़ बढी, ताई जी ने कडकती आवाज़ में उसे रोक दिया"ए रुको, पहले बताओ तुम कौन जाति की हो"!
"किसलिये, कोई रिश्ता करना है क्या"!
"अरे यह तो बडी मुंहफ़ट है"!
“क्यों बुरा लगा ना"!
"तुमको जाति बताने में क्या परेशानी है"!
"हमने तो कभी आपसे आप की जाति नहीं पूछी"!
"अरे वाह,तुम किसलिये…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on July 13, 2015 at 11:00am — 7 Comments
शंभू सिंह्जी पत्नी के देहांत के बाद, बेटे ब्रिगेडियर बाबू सिंह के साथ रहने लगे थे! ब्रिगेडियर साहब के बंगले पर रात को पार्टी चल रही थी!
आउट हाउस में शंभू सिंह जी रात के खाने का इंतज़ार कर रहे थे! पार्टी के कारण किसी को शंभू सिंह को खाना देने की याद ही नहीं रही !
शंभू सिंह जी की, लेटे लेटे , कब आंख लग गयी ,पता ही नहीं चला!
सुबह ब्रिगेडियर साहब का अर्दली चाय लेकर आया तो शंभू सिंह जी पूछ बैठे,"रात को किस बात की पार्टी थी"!
"जन्म दिन की"!
शंभू सिंह जी…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on July 10, 2015 at 10:30am — 13 Comments
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