2122×3+212
जिंदगी ने सब दिया पर चैन का बिस्तर नहीं
जिस जगह सर को न पटका ऐसा कोई दर नहीं
हार कर मजबूर होकर आज ये कहना पड़ा
इश्क इक ऐसा परिंदा है कि जिसका घर नहीं
मुझको मंजिल से जुदा कर तूने साबित कर दिया
मैं तेरे रस्ते पे हूं पर तू मेरा रहबर नहीं
इस जहां में बस वही आराम से जीता मिला
जिसको अपनी ही गरज है आसमां का डर नहीं
आंखों से ख्वाबों के संग तेरा भरोसा भी गया
मुझको जीना तो पड़ेगा पर तेरा होकर…
Added by मनोज अहसास on September 10, 2019 at 10:17pm — 4 Comments
2×15
इस दुनिया में एक तमाशा जाने कितनी बार हुआ
वो दरिया में डूब गया जो तैर समंदर पार हुआ
अच्छे दिन की चाहत वालों ऐसी भी क्या बेताबी
चार नियम बनते ही बोले जीना ही दुश्वार हुआ
एक पहाड़ी पर शीशे के घर में बैठा बाजीगर
नाच नचाकर देख रहा है कौन बड़ा फनकार हुआ
तुमने अपने मातम पर भी खर्च किया मोटा पैसा
और किसी निर्धन के घर में मुश्किल से त्यौहार हुआ
चार कदम की दूरी पर थी मंजिल…
ContinueAdded by मनोज अहसास on September 8, 2019 at 10:40pm — 1 Comment
2×15
सबका इक दिन आता है दिन मेरा भी आ जायेगा
जीवन पूरा होते-होते जीना भी आ जायेगा
आहें भरना सीख गए तो लिखना भी आ जायेगा
इन शब्दों में इक दिन उसका चेहरा भी आ जायेगा
इसको मन की लाचारी भी कहते हैं दुनिया वाले
खुद से बातें करते करते कहना भी आ जायेगा
आलू पर मिट्टी लिपटी थी ,मिट्टी से जब आया था
दुनिया में कुछ रोज रहेगा छिलका भी आ जायेगा
जिसकी चाहत में इतने दिन आस लगाकर जिंदा थे
मिल…
Added by मनोज अहसास on September 6, 2019 at 11:41pm — 2 Comments
2×15
मेरे मन की लाचारी में जल जायें ना मेरे हाथ
मुझको फिर से पावन कर दे तू हाथों में लेके हाथ
मम्मी,पापा,बहना,भाई,बीवी,बच्चे और साथी
काम-समय अपने हाथों में दिखते मुझको सबके हाथ
सुन लेने की आदत को कमजोरी समझा जाता है
सच्चे साबित हो जाते हैं पल-पल हाथ नचाते हाथ
सच कहने की चाहत तो है लेकिन इन झूठों के बीच
कैसे सबको बतलाऊं मैं मेरे भी हैं काले हाथ
अपना मानना,अपना कहना,अपना होना बात कई
लेकिन…
Added by मनोज अहसास on September 2, 2019 at 11:10pm — 2 Comments
221 2121 1221 212
मुझको तेरे रहम से मयस्सर तो क्या नहीं
जिस और खिड़कियां है उधर की हवा नहीं
हमको तो तेरी खोज में बस ये पता चला
तेरा पता बस इतना है तू लापता नहीं
उसने तमाम गीत लिखे औरों के लिए
फिर भी वो मेरे दिल के लिए बेवफा नहीं
यूं तो तमाम लोग तरक्की पसंद है
मैं इश्क से अलग कभी कुछ लिख सका नहीं
वह इसलिए ही जीत के बेहद करीब है
क्या-क्या कुचल गया है कभी सोचता नहीं
सबका…
ContinueAdded by मनोज अहसास on August 24, 2019 at 11:30pm — 3 Comments
पीछे मायूसी का साया आगे खतरा अनजाना है
हर लम्हा ये सोच रहा हूँ खुद को कैसे समझाना है
तेरी यादों का सूरज भी काम नहीं आता अब मेरे
मुझको इस मुश्किल मौसम में खुद से दूर चले जाना है
हम दिल की बातें लिखते हैं दिल न दुखाने की सीमा तक
ऊंची सोच की इस महफिल से हमको जल्द ही उठ जाना है
तेरे खतों की मधुर कहानी सोच से पीछे छूट गई है
पैथोलॉजी की रिपोर्ट का हाथों में एक अफसाना है
मां की हथेली चूम के निकला फौजी बेटा अपने घर…
ContinueAdded by मनोज अहसास on August 18, 2019 at 10:30pm — 3 Comments
2×15
कोई अपना साथ न आए, हर कोशिश नाकाम लगे
मेरे पास चले आना जब, जीवन ढलती शाम लगे
इसको पिछले जन्मों का फल,कहते हैं दुनिया वाले
पेड़ बबूल के बोये फिर भी,उसके हाथों आम लगे
बिक जाने की लाचारी का,एक तजुर्बा ये भी है
जितनी ज्यादा खुद्दारी थी,उतने ही कम दाम लगे
चौथ का चांद देखने वाले,पर लगता है झूठा दोष
हमने तो पूनम को देखा फिर भी सौ इल्जाम लगे
टूटा मन है ,रोगी तन है, रिश्तों में बेगानापन
यारो कुछ…
Added by मनोज अहसास on August 7, 2019 at 9:13pm — 4 Comments
उजड़ गई क्यों प्यार की महफिल,कुछ भी कहा नहीं जाता
मैं सच्चा था या था बुजदिल,कुछ भी कहा नहीं जाता
दिल का टूटना जिसे कहा था वह दुनिया का खेल था इक
अब आकर जो टूटा है दिल,कुछ भी कहा नहीं जाता
सीधा रस्ता मान रहे थे जिसको हम वो उलझन थी
खुद अपने सपनों के कातिल,कुछ भी कहा नहीं जाता
इक दिन मर जाना है सबको दिल में बैठ गई ये बात
कैसा रिश्ता कैसे मंजिल,कुछ भी कहा नहीं जाता
नैतिकता अपराध बन गई अधिकारों की धरती…
ContinueAdded by मनोज अहसास on July 25, 2019 at 10:26pm — 3 Comments
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तुम ही बताओ साधु फकीरों तुमने तो देखा होगा ।
इस झूठी दुनिया का वो सच्चा मालिक कैसा होगा ।
जिसकी सोच के हर कतरे में मौत का खौफ समाया हो ,
सोच के देखो दुनिया वालों कैसे वो जीता होगा ।
जिस रास्ते पर चलते चलते मैं तुझको भी भूल गया ,
वो रस्ता तू समझ ले दिलबर कितना पथरीला होगा।
पल पल अपने जीवन का बस इस चिंता में घुलता है ,
बीते कल में ऐसा क्यों था ,आते कल में क्या होगा ।
धोखे ने सौ शक्लें…
ContinueAdded by मनोज अहसास on May 10, 2019 at 4:00pm — No Comments
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एक ताज़ा ग़ज़ल
आदमी सोच के कुछ चलता है,दुनिया में हो जाता कुछ।
मानव की इच्छाएं कुछ है, अर मालिक का लेखा कुछ ।
अपने अपने दुख के साये मैं हम दोनों जिंदा है ,
तू क्या समझे,मैं क्या समझूं, तेरा कुछ है, मेरा कुछ ।
दुनिया के ग़म ,रब की माया और सियासत की बातें ,
खुद से बाहर आ सकता तो, इन पर भी लिख देता।
एक जरा सी बात हमारी हैरानी का कारण है,
ख्वाब में हमने कुछ देखा था ,आंख खुली तो…
Added by मनोज अहसास on April 23, 2019 at 10:51pm — 5 Comments
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फरियाद कोई उनसे सुनाई नहीं जाती ।
आंखों से मगर ,बात छुपाई नहीं जाती ।
मैं जानता हूं ,तू मेरे हक में नहीं है पर
दिल से तेरी तस्वीर मिटाई नहीं जाती ।
जो बात जला देती है दिल को मेरे अक्सर
वो बात किसी से भी बताई नहीं जाती।
तुझपे न असर होगा किसी बात का मेरी
फिर भी मेरे होठों से दुहाई नहीं जाती ।
बारिश में बिखर जाते हैं जिनके सभी खुश रंग
तस्वीर वो अश्कों से सजाई नहीं…
Added by मनोज अहसास on April 3, 2019 at 5:06pm — 3 Comments
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हर लम्हा इक चोट नई थी मुझ पर क्या गुजरी होगी
मेरी हस्ती टूट रही थी मुझ पर क्या गुजरी होगी
मेरे पाँव में इक कांटे से तुझको कितना दर्द हुआ
जब तू शोलों से गुजरी थी मुझ पर क्या गुजरी होगी
जिन सपनों को हमने मालिक के हाथों में सौंपा था
उन सपनों में आग लगी थी मुझ पर क्या गुजरी होगी
सारे रस्ते आकर के जिस रस्ते पर मिल जाते हैं
उस रस्ते पर पीर घनी थी मुझ पर क्या गुजरी होगी
छोड़…
ContinueAdded by मनोज अहसास on February 8, 2019 at 12:26pm — 6 Comments
कहते हैं देख लेता है नजरों के पार तू
मेरी तरफ भी देख जरा एक बार तू
हर बार मान लेता हूं तेरी रजा को मैं
हर बार तोड़ता है मेरा एतबार तू
करने से मेरे कुछ नहीं होना अगर तो
अहसासे बेनियाजी दे मुझ में उतार तू
सूनी पड़ी है तेरे बिना दिल की महफिलें
दो पल तो इस दयार में आकर गुजार तू
मेरी रगों में भर गई है कितनी उलझनें
है थोड़ा सा चैन दे भी दे मुझको उधार तू
मेरी पुकार में नहीं है असलियत कोई
या फिर…
Added by मनोज अहसास on January 21, 2019 at 10:05pm — 4 Comments
एक ताज़ा ग़ज़ल
1222 1222 1222 1222
उदासी घिर के आई है चलो फिर कुछ नया कह दें
पलक को बेवफा कह दें या पैसे को खुदा कह दें
यहाँ से टूट कर जुड़ना नहीं मुमकिन मगर फिर भी
चलो एक बार फिर से आंसुओं को अलविदा कह दें
समंदर सी बड़ी नाकामियां है सामने अपने
ये सोचा है कि अपना नाम मिट्टी पर लिखा कह दें
तुम्हारे आने की उम्मीद की भी क्या जरूरत है
हमें ही लोग शायद कुछ दिनों में जा चुका कह दें
ये धड़कन…
ContinueAdded by मनोज अहसास on January 19, 2019 at 10:39pm — 4 Comments
आज मन मुरझा गया है
मर गई सब याचनाएं
धूमिल हुई योजनाएं
एक बड़ा ठहराव जैसे ज़िन्दगी को खा गया है
आज मन मुरझा गया है
खुरदरी सी हर सतह है
आंसुओ से भी विरह है
वेदना का तेज़ झोंका मेरा पथ बिसरा गया है
आज मन मुरझा गया है
किसलिये बाकी ये जीवन
किसलिये सांसों का बंधन
भावना ,विश्वास पर जब घुप अंधेरा छा गया है
आज मन मुरझा गया है
मौलिक और अप्रकाशित
Added by मनोज अहसास on December 15, 2018 at 9:20pm — 5 Comments
221 1221 1221 122
वेदना के पल कुँवारे ले चलो
कुछ तो जीने के सहारे ले चलो
दिल बहुत मायूस है परदेस में
बस हमें अब घर हमारे ले चलो
झील सी आंखों में हैं खामोशियाँ
थोड़े से सपने उधारे ले चलो
मैकदे में बंटती है अब भी शिफा
मैकदे में ज़ख्म सारे ले चलो
दुनिया मे महफूज कोई भी नहीं
साथ कितने भी सहारे ले चलो
मौलिक और अप्रकाशित
Added by मनोज अहसास on December 6, 2018 at 8:38pm — 7 Comments
थोडा सा मुस्काने से गम हल्का भी हो सकता है
हर पल की तड़पन से दिल को खतरा भी हो सकता है
अक्सर धोखा हो जाता है देर से प्यासी आंखों को
तुम जिसको दरिया कहते हो सहरा भी हो सकता है
मैं तो अपने दिल से ही हर बार शिकायत करता हूं
वो भी मुझको भूल गया हो ऐसा भी हो सकता है
अब तो मैं यह सोच कर उसकी राहों से हट जाता हूं
इन आंखों से उसका दामन मैला भी हो सकता है
लोग तो अपने मन से बस इल्जाम लगाते रहते हैं
जो दरिया…
Added by मनोज अहसास on December 5, 2018 at 11:30pm — 6 Comments
221 2121 1221 212
माबूद कह दिया कभी मनहूस कह दिया
उसकी निगाहों ने सदा तस्लीम ही कहा
मुझको ये कैसा दिल दिया तूने मेरे खुदा
जिसको खुशी और गम का सलीका नहीं पता
ओझल नजर से हो गई तस्वीर आपकी
बस इतना होने के लिए क्या-क्या नहीं हुआ
जीवन के सारे हादसे आंखो में आ गए
मुरझा के एक फूल जो मिट्टी में जा गिरा
आया है अब की बार इक दूजे ही रंग में
तन्हाइयों से दर्द का रिश्ता नया…
Added by मनोज अहसास on December 5, 2018 at 10:53pm — 4 Comments
एक ताज़ा ग़ज़ल
वो खुद ही मजबूर बहुत हैं उनको हाल बताना क्या
जिनके दिल में प्यार नहीं है उन पर प्यार लुटाना क्या
हम तो तेरे नाम के जोगी अपना यार ठिकाना क्या
बिरहा में जलना है हमको महफिल क्या वीराना क्या
टूट गया है उस से नाता जो दुनिया का मालिक है
अब सारी दुनिया को अपने दिल के जख्म दिखाना क्या
सारे जीवन के पछतावे सांसो को झुलसाते हैं
अपनी किस्मत में लिक्खा है तिल तिल कर मिट जाना क्या
जीवन के…
ContinueAdded by मनोज अहसास on December 2, 2018 at 11:30pm — 8 Comments
2122 2122 2122 212
एक ताज़ा ग़ज़ल
जो भी जग में साथ हैं सब छूट जाने के लिए
क्यों हो तेरा ज़िक्र फिर दिल को दुखाने के लिए
दिल्लगी में शायद तेरी रह गई थी कुछ कमी
भेजा है क़ासिद को मेरा हाल पाने के लिए
इसलिए महसूस तेरी बेरुखी होती नहीं
मुझमें कुछ बाकी नहीं तुझको सुनाने के लिए
रात गहरी कट गई फिर भी न पाई रोशनी
आ गई बरसात मेरा दिल जलाने के लिए
आज कल मायूस होकर घूमता हूं दर बदर
इक खिलौना बन गया हूँ…
Added by मनोज अहसास on November 29, 2018 at 10:24pm — 5 Comments
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