Added by sanjiv verma 'salil' on July 3, 2011 at 8:30pm — No Comments
-: हिंदी सलिला :-
विमर्श १
भाषा, वर्ण या अक्षर, शब्द, ध्वनि, व्याकरण, स्वर, व्यंजन
-संजीव वर्मा 'सलिल'-
औचित्य…
ContinueAdded by sanjiv verma 'salil' on June 28, 2011 at 11:29pm — No Comments
नवगीत/दोहा गीत:
पलाश...
संजीव वर्मा 'सलिल'
*
बाधा-संकट हँसकर झेलो
मत हो कभी हताश.
वीराने में खिल मुस्काकर
कहता यही पलाश...
*
समझौते करिए नहीं,
तजें नहीं सिद्धांत.
सब उसके सेवक सखे!
जो है सबका कांत..
परिवर्तन ही ज़िंदगी,
मत हो जड़-उद्भ्रांत.
आपद संकट में रहो-
सदा संतुलित-शांत..
शिवा चेतना रहित बने शिव
केवल जड़-शव लाश.
वीराने में खिल मुस्काकर
कहता…
ContinueAdded by sanjiv verma 'salil' on June 15, 2011 at 1:23pm — 2 Comments
नवगीत:-
टेसू तुम क्यों लाल हुए?
संजीव वर्मा 'सलिल'
*
टेसू तुम क्यों लाल हुए?
फर्क न कोई तुमको पड़ता
चाहे कोई तुम्हें छुए.....
*
आह कुटी की तुम्हें लगी क्या?
उजड़े दीन-गरीब.
मीरां को विष, ईसा को
इंसान चढ़ाये सलीब.
आदम का आदम ही है क्यों
रहा बिगाड़ नसीब?
नहीं किसी को रोटी
कोई खाए मालपुए...
*
खून बहाया सुर-असुरों ने.
ओबामा-ओसामा ने.
रिश्ते-नातों चचा-भतीजों…
ContinueAdded by sanjiv verma 'salil' on June 15, 2011 at 1:00pm — 4 Comments
मुक्तिका :
भंग हुआ हर सपना
संजीव 'सलिल'
*
भंग हुआ हर सपना,
टूट गया हर नपना.
माया जाल में उलझे
भूले माला जपना..
तम में साथ न कोई
किसे कहें हम अपना?
पिंगल-छंद न जाने
किन्तु चाहते छपना..
बर्तन बनने खातिर
पड़ता माटी को तपना..
************
Added by sanjiv verma 'salil' on May 31, 2011 at 12:02am — No Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on May 12, 2011 at 3:57pm — 2 Comments
मुक्तिका:
तुम क्या जानो
संजीव 'सलिल'
*
तुम क्या जानो कितना सुख है दर्दों की पहुनाई में.
नाम हुआ करता आशिक का गली-गली रुसवाई में..
उषा और संझा की लाली अनायास ही साथ मिली.
कली कमल की खिली-अधखिली नैनों में, अंगड़ाई में..
चने चबाते थे लोहे के, किन्तु न अब वे दाँत रहे.
कहे बुढ़ापा किससे क्या-क्या कर गुजरा तरुणाई में..
सरस परस दोहों-गीतों का सुकूं जान को देता है.
चैन रूह को मिलते देखा गजलों में,…
ContinueAdded by sanjiv verma 'salil' on May 10, 2011 at 10:03am — 11 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on May 3, 2011 at 2:01pm — 5 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on May 1, 2011 at 5:13pm — No Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on April 26, 2011 at 2:00pm — 1 Comment
Added by sanjiv verma 'salil' on April 19, 2011 at 8:30am — No Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on April 19, 2011 at 8:25am — No Comments
कुछ द्विपदियाँ :
संजीव 'सलिल'
वक्-संगति में भी तनिक, गरिमा सके न त्याग.
राजहंस पहचान लें, 'सलिल' आप ही आप..
*
चाहे कोयल-नीड़ में, निज अंडे दे काग.
शिशु न मधुर स्वर बोलता, गए कर्कश राग..
*
रहें गृहस्थों बीच पर, अपना सके न भोग.
रामदेव बाबा 'सलिल', नित करते हैं योग..
*
मैकदे में बैठकर, प्याले पे प्याले पी गये.
'सलिल' फिर भी होश में रह, हाय! हम तो जी गए..
*
खूब आरक्षण दिया है, खूब बाँटी…
ContinueAdded by sanjiv verma 'salil' on April 16, 2011 at 10:15pm — 3 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 31, 2011 at 12:06pm — 3 Comments
मुक्तिका:
हुआ सवेरा
संजीव 'सलिल'
*
हुआ सवेरा मिली हाथ को आज कलम फिर.
भाषा शिल्प कथानक मिलकर पीट रहे सिर..
भाव भूमि पर नभ का छंद नगाड़ा पीटे.
बिम्ब दामिनी, लय की मेघ घटा आयी घिर..
बूँद प्रतीकों की, मुहावरों की फुहार है.
तत्सम-तद्भव पुष्प-पंखुरियाँ डूब रहीं तिर..
अलंकार की छटा मनोहर उषा-साँझ सी.
शतदल-शोभित सलिल-धार ज्यों सतत रही झिर..
राजनीति के कोल्हू में जननीति वृषभ क्यों?
बिन पाये प्रतिदान रहा बरसों…
ContinueAdded by sanjiv verma 'salil' on March 31, 2011 at 9:30am — 1 Comment
नवगीत
कब होंगे आज़ाद हम
संजीव 'सलिल'
*
कब होंगे आजाद?
कहो हम
कब होंगे आजाद?
गए विदेशी पर देशी
अंग्रेज कर रहे शासन
भाषण देतीं सरकारें पर दे
न सकीं हैं राशन
मंत्री से संतरी तक कुटिल
कुतंत्री बनकर गिद्ध-
नोच-खा रहे
भारत माँ को
ले चटखारे स्वाद
कब होंगे आजाद?
कहो…
Added by sanjiv verma 'salil' on March 26, 2011 at 12:29am — 2 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 21, 2011 at 6:40pm — 7 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 21, 2011 at 6:39pm — No Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 20, 2011 at 10:24am — No Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 19, 2011 at 11:52pm — 2 Comments
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