Added by Dr.Prachi Singh on June 13, 2012 at 11:09pm — 20 Comments
५-जून ( विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में)
Added by Dr.Prachi Singh on June 5, 2012 at 6:30pm — 12 Comments
Added by Dr.Prachi Singh on June 4, 2012 at 12:30pm — 23 Comments
साहित्य साधना इष्ट आराधना
पवित्रतम ह्रदय निस्सृत पूजा है,
निर्मल निर्झर भाव सरिता ये
उद्गम अन्तः मन जिसका है,…
Added by Dr.Prachi Singh on May 30, 2012 at 7:30pm — 34 Comments
Added by Dr.Prachi Singh on May 28, 2012 at 12:31pm — 14 Comments
चक्षु पटल भींच
एक अक्स उभरता है...
जो गहन तिमिर में
कोटिशः सूर्य सा चमकता है...
स्मरण जिसका महका देता है
सम्पूर्ण जीवन...
ख़ामोशी में गूंजती है
जिसकी प्रतिध्वनि अन्तः करणों में
और उन अनकहे शब्दों की
झंकृत स्वर तरंगें
नस नस में दौढ़ती हैं
सिहरन बन कर...
और बेसुध मन बावरा
तय कर लेता है
मीलों के फांसले
एक क्षण…
Added by Dr.Prachi Singh on May 26, 2012 at 11:00am — 10 Comments
Added by Dr.Prachi Singh on May 17, 2012 at 12:30pm — 23 Comments
Added by Dr.Prachi Singh on May 16, 2012 at 12:00am — 24 Comments
मैं नन्ही सी चिड़िया...भरती हूँ आज खुले आसमान में लम्बी से लम्बी उड़ान l याद है मुझे आज भी सर्द ठिठूरी कुहासे भरी वो गीली गीली सी सुबह, जब अपनी ही धुन में मस्त, मिट्टी की सौंधी सी खुशबू में गुम मैं फुदक रही थी एक पगडंडी पर l नम घास की गुदगुदाती छुअन मदमस्त कर रही थी मुझे और मैं अपनी ही अठखेलियों से आह्लादित चहक रही थी…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on May 7, 2012 at 1:07pm — 16 Comments
एक नयी दुनिया
एक नयी दुनिया देखी है … अन्तः मन की आँखों से
जिसमे कोई रंग नहीं हैं , पर सारे रंगों से सुन्दर…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on May 5, 2012 at 9:42pm — 6 Comments
खूबसूरत सपनों नें
कितनी रातों को मुझे जगाया,
कंटीले रास्तों पर
बेतहाशा दौड़ाया,
बार-बार गिराया..
फिर भागने के लिए
सम्हल सम्हल उठना सिखाया,
और मैं भागती गयी...
घायल पैरों के
फूटे छालों से
रिसते लहू की
परवाह किये बिना
बस भागती गयी...
पर
हमेशा
सिर्फ दो कदम के फासले पर
मुस्कुराते रहे सपने ..
मुझे भगाते रहे सपने..
हाथ आते ही
फिर रूप बदल
सिर्फ दो कदम से
मुझे ललचाते रहे सपने..
एक न बुझने…
Added by Dr.Prachi Singh on May 4, 2012 at 4:00pm — 16 Comments
Added by Dr.Prachi Singh on May 3, 2012 at 5:37pm — 10 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |