For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

PHOOL SINGH's Blog – December 2018 Archive (5)

मैं गलती का पुतला हूँ

अपने बारे क्या बताऊँ

      मैं गलती का पुतला हूँ

सही-गलत का ज्ञान नहीं

      पर, दिल की अपने सुनता हूँ

अपने बारे क्या बताऊँ

                 मैं गलती का पुतला हूँ||

 

ऊँच -नीच का भेद नहीं

                विश्वासघात ना करता हूँ

सीरत नहीं मैं, भाव देखता

                 प्रेम सभी से करता हूँ

 अपने बारे क्या बताऊँ

                 मैं गलती का पुतला हूँ||

 

आस्तिक हूँ मैं धर्म…

Continue

Added by PHOOL SINGH on December 31, 2018 at 12:04pm — 2 Comments

शरद ऋतू

मैं इठलाती,

मैं बलखाती,

मंद चाल से,

बढ़ती हूँ

शरद ऋतु जब,

वर्ष में आये

अपना जाल,

बिछाती हूँ||

 

कहीं थपेड़े,

पवन दिलाती

कहीं,

बर्फ पिघलाती हूँ

कहीं,

तरसते धूप

को सब जन

कहीं कपकपी,

खूब दिलाती हूँ

वर्षा ऋतू,

के बाद में आयी,

शरद ऋतू,

कहलाती हूँ||

 

कोई निकाले,

कम्बल अपने,

कोई,

रजाई खोज रहा

कोई जला…

Continue

Added by PHOOL SINGH on December 17, 2018 at 3:00pm — 8 Comments

फिर लौट कर ना आनी है

बुलबुले सी होती जिंदगी

मिट्टी में मिल जानी है

जो भी करना आज ही कर ले

फिर लौट कर ना आनी है||

 

पंख लगा के अरमानों के

नभ में उड़ान तो भर

निर्भय होके बढ़ता चल

जो भी करना आज ही कर ले

कल की किसने जानी है||

 

कहीं किसी ने, बात बड़ी

इंतज़ार में तेरे, मौत खड़ी

इच्छा अपनी पूरी कर ले

ये, वक्त देने वाली है

बुलबुले सी होती जिंदगी

मिट्टी में मिल जानी है…

Continue

Added by PHOOL SINGH on December 14, 2018 at 3:30pm — 3 Comments

जाम से मुक्त, सारे शहर को कर दूँ

अवाक् रह गया, देख जाम को

खड़ा खड़ा मैं सोच रहा

जाम से मुक्त, सारे शहर को कर दूँ

ऐसा उपाय कोई खोज रहा ||

  

बस स्टैंड और प्लेटफॉर्म पर

जीवन, लोगों का बीत रहा

देश के सारे एयरपोर्ट पर

ना, दिन रात का भेद रहा

भगदड़ सी इस जिंदगी में

जैसे, इंसान खो सा गया

खड़ा खड़ा मैं सोच रहा

आश्चर्य से सब देख रहा ||

 

 बस भीड़ से भरी पड़ी

रेलें भी सारी लधी पड़ी

मोटरबाइक की झड़ी लगी

और कार रोड़ पर पार्क…

Continue

Added by PHOOL SINGH on December 11, 2018 at 4:00pm — 3 Comments

जीवन संगिनी

हार हार का टूट चुका जब

तुमसे ही आश बाँधी है

मैं नहीं तो तुम सही

समर्थ जीवन की ठानी है||

 

मजबूर नहीं मगरूर नहीं मैं 

मोह माया में चूर नहीं मैं

साथ…

Continue

Added by PHOOL SINGH on December 10, 2018 at 4:30pm — 1 Comment

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service