For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

SANDEEP KUMAR PATEL's Blog – June 2013 Archive (4)

ग़ज़ल

वेदियों सा तप्त मन अपने लिए

कर रहा सारे हवन अपने लिए



अपनेपन को छोड़ मतलब साधते

दोस्त का होता चयन अपने लिए



मूढ़ मन में मैल ले गंगा नहा

कर रहा है आचमन अपने लिए



तितलियों को हांक कर भंवरे कहें

फूल कलियाँ हैं चमन अपने लिए



देश की है फ़िक्र किस इंसान को

हर कहीं चिंतन मनन अपने लिए



हिंदियों की नाक ऊँची कर रहा

पश्चिमी का ला चलन अपने लिए



आँख दिखलाता है वो माँ बाप को

संस्कृति का कर हनन अपने लिए…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 30, 2013 at 10:30am — 6 Comments

अब तो कर दो बंद, लोगो प्रकृति का दोहन

दोहन करते प्रकृति का, बड़े बड़े विद्वान्

चला चला बस योजना, बनते खूब महान

बनते खूब महान , हरे जंगल कटवाते

दूषित कर परिवेश, कारखाने बनवाते

धरा बचाने आज, नहीं आने मनमोहन

अब तो कर दो बंद, लोगो प्रकृति का दोहन

 

संदीप पटेल “दीप”  

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 5, 2013 at 5:55pm — 13 Comments

प्रगति के महल

आओ ज़रा शहर निहारें

चमचमाती सड़कों पर

चमचमाती कारें

ऊँचे ऊँचे दीप्ति खंभ

अँधेरे को पीते

बड़े बड़े लट्टू

रग रग में संचरित होता दंभ



सुन्दर बाग़

ये महल अटारी

मशीन भारी भारी

और कुछ बड़ी बीमारी



सब तन रहा है

गाँव गाँव

अब शहर जो बन रहा है

बढ़ रहा है

धीरे धीरे

अटारी पर अटारी

तानी जा रही हैं

जो प्रगति की निशानी 

मानी जा रही है 



बेशुध हुआ सा आदम

भागा जा रहा है

अरमानों के…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 5, 2013 at 1:00pm — 6 Comments

हे पथिक

एक अँधेरी गली

सुनसान

वीरान

पथिक व्यथित

हलाकान

 

न कोई

हलचल

न कोई

आवाज

न साज

पथिक व्यथित

उदास

 

गहन अँधेरा

कालिमा का बसेरा

ह्रदय के स्पंदन

स्वर में बदल रहे हैं

चीत्कार

स्वयं की

बस स्वयं की

 

वर्षों सुनसान

गली में

चलते चलते

स्वयं से

परिचर्चा करते करते

कभी थाम लेता था

हाथ

स्वयं का दिलासा…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 2, 2013 at 12:00pm — 21 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service