For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

Views: 26203

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

ग़ज़ल का उम्दा प्रयास है आदरणीय अजय जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। मतले में काफिया दोष है। देख लीजिएगा। सादर।

लाल फ़ीते से बांध रक्खा है
और तरक़्क़ी कहा गया है मुझे

नोंक लगते ही फ़टना तय समझो
बस हवा से भरा गया है मुझे

बहुत खूब आदरणीय 

लाल फ़ीते से बांध रक्खा है
और तरक़्क़ी कहा गया है मुझे ... लालफ़ीताशाही को जिस अंदाज़ में बाँधा गया है वह आपकी सोच के मेयार को ज़ाहिर करता है.  

नोंक लगते ही फ़टना तय समझो
बस हवा से भरा गया है मुझे ... .. कमाल की सोच के लिए बार-बार वाह वाह वाह ! 

आपकी तैयारी सतत रहे और आप मंच पर बने रहें. देखिएगा, आशातीत सुधार होगा. इस मुबारक़ आयोजन में आपकी शिरकत का धन्यवाद और बधाइयाँ, आदरणीय अजय गुप्ता जी. 

शुभातिशुभ

आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, काफिया लेने में गड़बड़ी हो गई है वरना कुछ अच्छे अशआर भी हुए हैं. आपके इस प्रयास के लिए बहुत बधाई स्वीकारें. सादर. 

आदरणीय अजय जी अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

आदरणीय अजय गुप्ता साहब ..ख़ूबसूरत कलाम के  लिए मुबारकबाद 

मतले की तरफ पहले ही इशारा हो चुका है ...बाकी के अशआर अच्छे हुए हैं ..लाल फीते वाला शेर सबकी तरह मुझे भी बहुत पसंद आया|

//इस तरह देखता गया है मुझे
यार दिल की जता गया है मुझे// मतला अच्छा है मगर "ता" का दोष है। इसे दुरुस्त करने का प्रयास करें.  

//तेरी नज़रों से दिल में आना था
ये सफ़र ही थका गया है मुझे// बहुत खूब. 

//इसने मरहम कभी लगाया ना
वक़्त बस मारता गया है मुझे// अच्छा शेअर हुआ है. 

//रोटियाँ खाई जब पसीने की
स्वाद नमकीन भा गया है मुझे// खूब 

/क्या मैं गाड़ी नहीं चलाऊँगा?
एक चालान आ गया है मुझे// ये शेअर भर्ती का है, इसके बग़ैर भी काम चल सकता था। 

//चार लोगों से चार बातें सुन
पाँचवी वो सुना गया है मुझे// बहुत बढ़िया शेअर है. 

//लाल फ़ीते से बांध रक्खा है

और तरक़्क़ी कहा गया है मुझे// हासिल-ए-ग़ज़ल शेअर और ख्याल भी एकदम नया है, वाह वाह वाह। 

//नोंक लगते ही फ़टना तय समझो
बस हवा से भरा गया है मुझे// वाह, बहुत खूब. 

//तुझसे मिलने की आस में ही सही
*सब्र करना तो आ गया है मुझे*// गिरह का मिसरा बहुत ही पसंद आया। इस सद्प्रयास हेतु मेरी दिली बधाई स्वीकार करें भाई अजय गुप्ता जी।  

आदरणीय अजय जी, सुंदर गजल। गजल में न कहा जाता है, ना का प्रयोग दोष माना जाता है। बधाइयाँ।

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है अजय भाई बधाई |

बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है आ अजय गुप्ता साहब, //रोटियाँ खाई जब पसीने की
स्वाद नमकीन भा गया है मुझे// यह शेर तो कमाल का है. शेर दर शेर मुबारकवाद कुबूल कीजिये

आदरणीय अजय गुप्ता जी, उम्दा अशआर हुए हैं दूसरा और छठा शेर ख़ास तौर से अच्छा लगा. हार्दिक बधाई.

//तेरी नज़रों से दिल में आना था
ये सफ़र ही थका गया है मुझे//

वाह ! क्या कहने ! बहुत ख़ूब कहा है। 

//लाल फ़ीते से बांध रक्खा है
और तरक़्क़ी कहा गया है मुझे//     उम्दा शेेअर...

//नोंक लगते ही फ़टना तय समझो
बस हवा से भरा गया है मुझे//       ये शेेेअर भी बहुत खूब हुआ है।

मेरी दिली दाद और शुमकामनाएँ स्वीकार करें आदरणीय अजय गुप्ता साहब।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी "
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अच्छी रचना हुई है ब्रजेश भाई। बधाई। अन्य सभी की तरह मुझे भी “आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा”…"
18 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"बेहतरीन अशआर हुए हैं आदरणीय रवि जी। सभी एक से बढ़कर एक।"
18 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश नूर भाई। बहुत बधाई "
18 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आभार रक्षितासिंह जी    "
23 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"अच्छे दोहे हुए हैं भाई लक्ष्मण धामी जी। एक ही भाव को आपने इतने रूप में प्रकट किया है जो दोहे में…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. रक्षिता जी, दोहों पर उपस्थिति, और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
23 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"सधन्यवाद आदरणीय !"
yesterday
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"बहुत खूब आदरणीय,  "करो नहीं विश्वास पर, भूले से भी चोट।  देता है …"
yesterday
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"सधन्यवाद आदरणीय,  सत्य कहा आपने । निरंतर मनुष्य जाति की संवेदनशीलता कम होती जा रही है, आज के…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service