For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

PHOOL SINGH
  • Male
  • India
Share on Facebook MySpace

PHOOL SINGH's Friends

  • Yogi Saraswat
  • Rekha Joshi
  • Dr.Prachi Singh
  • Ashok Kumar Raktale
  • PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA
  • rajesh kumari
  • Naval Kishor Soni
  • Shubhranshu Pandey
  • DR SHRI KRISHAN NARANG
  • वीनस केसरी
  • Deepak Sharma Kuluvi
 

PHOOL SINGH's Page

Latest Activity

PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है कोई कहता है कि उनका जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी के घर में हुआ। और उनके बड़े भाई महर्षि भृगु भी परम ज्ञानी थे। कहीं कहीं जिक्र आता है कि वह भील जाति से सम्बन्ध रखते थे जिन्हे आजकल की भाषा में चुढे अर्थात भंगी कहा जाता है| भंगी जाति के लोग आज तक उनको पूजते आ रहे है और उनको अपना आदर्श और भगवान मानकर उनका सम्मान करते है| इस जाति में उनका पालन पोषण हुआ| यह भी कहा…See More
Apr 10
PHOOL SINGH posted blog posts
Mar 6
PHOOL SINGH added 2 discussions to the group धार्मिक साहित्य
Jan 27
PHOOL SINGH posted a blog post

महाराणा संग्राम सिंह

राजपूत राजाओं को संगठित करताएक मेवाड़ का अद्भुत शासक थाथर-थर कांपते शत्रु जिससे, वह संग्राम सिंह महाराजा था॥ वीरता-उदारता का समावेश था जिसमेंसिसोदिया वंश का गौरव थाविस्तार किया जो साम्राज्य का, हिंद देश का रक्षक था॥ सौ लड़ाइयाँ लड़ी थी जिसनेखो आँख-हाथ-पैर को बैठा थाएक छत्र के नीचे लाया राजपूतों को, शक्तिशाली ऐसा उत्तर भारत का राजा था॥ सतलुज से लेकर नर्मदा तकसाम्राज्य जिसका फैला थाग्वालियर से लेकर भरतपुर तक, परचम उसका लहराया था॥ हिंदुपत की उपाधि पातादो बार इब्राहिम लोदी को हराया थामहानायक था…See More
Jan 27
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

वैंकुंठधाम आगमन

काल का नियम कठोर है होतासभी को इसको वरना होश्री राम अछूते रह सके न, क्या मानव जीवन का वर्णन हो|| आते साधू रूप में काल देवताश्री राम से वचन एक लेना होगुप्त बात कोई सुन सके न, इस बात की पुष्टि प्रथम हो|| मृत्यु दंड का भागी होगाविघ्न वार्तालाप में डाले जो  लक्ष्मण को द्वारपाल बनाया, हनुमान न उपस्थित उस क्षण हो|| पूरा हुआ अब समय आपका  वैंकुंठ धाम अब चलना होकर्म सभी तो हो चुके हैं, अवतरण जिनकी खातिर हो|| दुर्वासा ऋषि आ तब पहुँचते  माया प्रभु की अद्भुत होदुनियाँ जानती उनके क्रोध को, वर-श्राप भी उनके…See More
Jan 18
PHOOL SINGH posted a blog post

चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य

जिसे कहते भारत का गौरवआज उस सम्राट की गाथा कहता हूँस्वर्णभूमि जो सुख-समृद्धि की, महिमा उस अमरावती की गाता हूँ॥ विश्व का केंद्र जो विश्व की धुरी थीजिसे उज्जयिनी नगरी कहता हूँकीर्ति सौरभ जिसका चहुँ ओर था फैला, उसे महाकाल से रक्षित पाता हूँ॥ स्वर्ण-रजत मोती-माणिक की न कमी जहाँ परधन-धान्य से राजकोष को भरा मैं पाता हूँसच्चे परितोष थे नगर के जो, उन्हें संज्ञा नवरत्न से सुशोभित पाता हूँ॥ पहचान करता सच्चा जौहरीअतुलनीय-अनमोल सम्राट उन्हें मैं कहता हूँहर क्षेत्र में महारत हासिल, जिनकी न तुलना किसी से…See More
Jan 15
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

क्या युद्ध निश्चित था?

क्यूँ रोकते द्रौपदी कोजब कर्ण लक्ष्य भेद में माहिर थाअपमान कराते द्रौपदी से उसका, जानते थे वो ज्येष्ठ पुत्र है कुंती का|| युद्ध से पहले क्यूँ न बतातेरंगमच के बाद ही क्यूँ न बतातेसुतपुत्र नहीं तू ज्येष्ठ पुत्र है, मेरी बुआ तू कुंती का||  क्या सच है कृष्णाशान्ति दूत बन आएं थेयुद्ध नहीं वो शान्ति चाहते, क्या ये सब उनके भाव बतलाएँ थे।। जहर घुलता जब बहती हवा मेंविष जुबा में घुलता हैअच्छे-अच्छे कड़वे होते, वाणी में मधु-सुधा न कहीं मिलता है।। दोहरी भूमिका न ज्यादा चलतीक्यूँ छवि न अपनी बदल सकेयुद्ध तो…See More
Jan 15
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

कर्ण का विवाह

प्रथम रुषाली कर्ण की पत्नीजिसे पितृ इच्छा से पातादूसरी कहलाती सुप्रिया, खास भानुमती से जिसका नाता|| अंसावरी को वही बचाताथा आतंकवादियों ने जिसको घेरा  प्रेम करती उससे पहले, फिर सुतपुत्र कह धुत्कारा|| स्वयंवर जीता अंसावरी काप्रेम था उससे करताधुत्कार जिससे सह चुका था, अब स्वीकार न उसको करता|| दासी पद्मावती उससे प्रेम थी करतीविनती राजा से उसकी करताअटूट रिश्ता सदा उससे रहता, सच्ची संगनी जग पद्मावती को उसकी कहता|| द्रौपदी स्वयंवर में आया कर्णदुर्योधन का सहायक बनतापहली नजर में दिल हारता, जब द्रौपदी के…See More
Jan 13
PHOOL SINGH added 2 discussions to the group धार्मिक साहित्य
Jan 5
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

भगवान परशुराम और कर्ण

हवन की अग्नि बुझ चुकी थीअब कहाँ से आगे की शिक्षा पानीगुरू द्रोण ने इंकार किया तो, बात गुरु परशुराम की आनी॥ ढूँढता जाता खोजता फिरताशिकन माथे पर आनीकैसे मिलेंगे परशुराम जी, थी राह महेंद्र पर्वत की अपनानी॥ फूलों से बगिया महकी सारीनीड़ों में खैरभैर भी जारीज्ञान की जिज्ञासा मन में भड़की, जिसकी खोज पूरी कर जानी॥ द्वार तृण-कुटी पर परशु भारीजो भारी भरकम भीषण-आभाशालीधनुष-बाण एक ओर टंगे थे, पालाश-कमंडलू एक पड़ा लौह-दंड अर्ध अंशुमाली॥ अचरज की थी बात निरालीआज वीरता तपोवन में किसने पालीधनुष-कुठार संग हवन-कुंड…See More
Jan 4
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महावीर कर्ण और दुर्योधन

सूर्यदेव का अंश कहलायामाता सती कुमारीजननी का क्षीर चखा न जिसने, था कवच-कुंडलधारी॥ अधिरथ-राधा ने था गोद लियाराधा माँ सुत वासुसेन को देख निहारीपालना बनी थी आब की धारा, बिछौना बनी पिटारी॥ निज समाधि में निरत हमेशाकिया स्वयं विकास भी भारीशोण का था भाई प्यारा, जिसे भ्रातप्रेम से दुनियाँ जानी|| गुरु द्रोण से शिक्षा पाताशिष्य अद्भुत व्यवहारीब्रहमसिर अस्त्र की मंशा रखता, जिसे गुरु ने नहीं स्वीकारी|| प्रतापी-तपस्वी, ज्ञानी-ध्यानीजिसका पौरुष था अभिमानीकोलाहल से दूर नगर के, जो सम्यक अभ्यास का था…See More
Dec 29, 2023
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

वंदना- श्री गणेश

वंदना करूँ मैं गिरजालाल कीसिद्धि विनायक बुद्धिनाथ कीस्वर्ण मुकुट व नयन विशाला, तिलक-त्रिपुंड कृष्णपिंगाक्ष की|| सुंदर पीताम्बर तन सुशोभितबुद्धि-शुद्धि के दाता षडानन भ्रात कीरिद्धि-सिद्धि चँवर सुधारेपति-परमेश्वर उनके लम्बोदरनाथ की|| गजकर्ण संग एक सूँड है जिनकीप्रथम पूज्य प्रथमेश्वर महाराज कीमोदक, लड्डू जिनको प्यारे, माँ गिरजा के बाल-गोपाल की|| मूषकवाहन है जिनको प्यारासमृद्धि के दाता एकाक्षरनाथ कीपाश, अंकुश जो हाथ में धरते, गौरीसुत, गणाध्यक्ष प्रभात की|| मात-पिता की प्रदक्षिणा करतेदेवव्रत और…See More
Dec 26, 2023
PHOOL SINGH posted a blog post

तिरंगा

हरा-केसरिया, श्वेत रंग का, तिरंगा झड़ा कहलाता हैहरियाली-साहस, सत्य दर्शाताप्रतीक-एकता, अखंडता का बन जाता है॥ राम-कृष्ण-बुध जन्मे जहाँ पर, मन उस पवित्र भूमि को शीश नवाता हैआन-बान-शान भारत देश कीहर भारतीय की जान कहलाता है॥ सभी भाषाओं की जन्मधात्री, संस्कृत, जो सबसे पुरानी भाषा हैविभिन्न उत्कृष्ट संस्कार-संस्कृति की पवित्र भूमिजहाँ इंसान, मोक्ष-शांति-ज्ञान का मार्ग अपनाता है॥ अशोक-पृथ्वी जैसे धरती पुत्र, जहाँ, राणा-शिवाजी यौद्धा हैमातृभूमि के लिए तैयार हमेशाउनकी, जो देशभक्ति दिखलाता है॥ लक्ष्मी,…See More
Dec 26, 2023
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

यक्ष और धर्मराज युधिष्ठिर संवाद

अपने इस काव्य पाठ काइस संवाद से आरंभ करता हूँजीवन को अनमोल शिक्षा देता, संवाद युधिष्ठिर और यक्ष के बीच का कहता हूँ।। गूढ रहस्य इस जीवनचक्र का   दृष्टि में लाना चाहता हूँहर इंसान को सीखना चाहिए, ये आज यहाँ बतलाता हूँ|| कुछ त्रुटि यदि हो जाएं तोप्रथम क्षमा माँगना चाहता हूँजीवन गाथा कर्ण की यहाँ में, आपके समक्ष लाना लाना चाहता हूँ|| यौद्धा-ज्ञानी जो बलवान थे सारेदुर्दशा पांडवों की बतलाता हूँसंयम जीवन कैसे रखना पड़ता, मैं वक्त की नजाकत कहता हूँ|| अजय विजेता भू-धरा केपड़ा उन्हे मृत भूमि पर पाता…See More
Dec 21, 2023
नाथ सोनांचली commented on PHOOL SINGH's blog post सम्राट अशोक महान
"आद0 फूल सिंह जी सादर अभिवादन। बहुत बेहतरीन सृजन सम्राट अशोक महान पर। आपकी यह एक कालजयी सृजन ह्। हृदयतल से बधाई निवेदित करता हूँ। अगर सम्भव हो तो मुझे 9532855181 पर जुड़ सकते हैं।"
Apr 4, 2023
PHOOL SINGH posted a blog post

सम्राट अशोक महान

चन्द्रगुप्त का पौत्र, जो बिन्दुसार का पुत्र थाबौद्ध धर्म का बना अनुयायीजो धर्म-सहिष्णु सम्राट हुआ|| माता जिसकी धर्मा कहलाती, सुशीम नाम का भाई थाइष्ट देव शिव-शंकर पहलेज्ञान-विज्ञान का बड़ा जिज्ञासु हुआ|| परोपकार की भावना जिसमें, उत्सुक जो अभिलाषी थामहेंद्र-संघमित्रा का पिता न्यारासदा पुत्र-पुत्री का साथ मिला|| बेहतरीन अर्थव्यवस्था ग़ज़ब सुशासन, जिसका कल्याणकारी द्रष्टिकोण थादेवताओं का प्रिय प्रजा का रक्षकजिसका देवानांप्रिय भी नाम हुआ|| प्रजावत्सल वह कर्तव्यपरायण, भू-भाग का बड़े सम्राट थाधर्मग्रंथो…See More
Mar 28, 2023

Profile Information

Gender
Male
City State
DELHI
Native Place
DELHI
Profession
KALSHANIA CONSULTANCY
About me
NOTHING MUCH

जीवन संगिनी

हार हार का टूट चुका जब

तुमसे ही आश बाँधी है

मैं नहीं तो तुम सही

समर्थ जीवन की ठानी है||

 

मजबूर नहीं मगरूर नहीं मैं 

मोह माया में चूर नहीं मैं

साथ तुम्हारा मिल जाए तो

लक्ष्य से भी दूर नहीं मैं ||

 

सुख दुःख की घटना तो

जीवन में घटती रहती है

छोटी छोटी नोक झोंक भी

हर रिश्ते में होती है 

छोड़ न देना साथ निभाना

तुमसे, प्रेम की डोर जो बाँधी है||

 

गलत किये थे कुछ निर्णय

ये बात भी स्वीकारी है

मैं  गलत और तुम सही

गलती मैंने मानी है

मझधार में फसीं जिंदगी की

नैया पार लगानी है||

 

जीवन संगिनी बनकर,

मेरी जिंदगी, सँवारी है

घर नहीं मेरे दिल में रहना

बस ख़्वाहिश ये हमारी है

मैं नहीं तो तुम सही

समर्थ जीवन की ठानी है||

 

PHOOL SINGH's Blog

सम्राट समुद्रगुप्त

उदार शासक एक वीर योद्धा

कला-प्रतिभा का संरक्षक जिसे कहा

गुप्त वंश एक महान योद्धा, जिसे भारत का नेपोलियन सबने कहा।।

 

चंद्रगुप्त प्रथम का राजदुलारा

कुमारदेवी का पुत्र रहा

विनयशील जो मृदुलवाणी का, प्रखर बुद्धि का स्वामी हुआ।।

 

उत्तराधिकारी का प्रबल दावेदार

पराजित अग्रज काछा भी उससे हुआ

विजय अभियान की ख़ातिर जाना जाता, अजय-अभय एक योद्धा रहा।।

 

गृह कलह को शांत है…

Continue

Posted on March 1, 2024 at 4:30pm

महाराणा संग्राम सिंह

राजपूत राजाओं को संगठित करता

एक मेवाड़ का अद्भुत शासक था

थर-थर कांपते शत्रु जिससे, वह संग्राम सिंह महाराजा था॥

 

वीरता-उदारता का समावेश था जिसमें

सिसोदिया वंश का गौरव था

विस्तार किया जो साम्राज्य का, हिंद देश का रक्षक था॥

 

सौ लड़ाइयाँ लड़ी थी जिसने

खो आँख-हाथ-पैर को बैठा था

एक छत्र के नीचे लाया राजपूतों को, शक्तिशाली ऐसा उत्तर भारत का राजा था॥

 

सतलुज से लेकर नर्मदा…

Continue

Posted on January 23, 2024 at 2:54pm

चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य

जिसे कहते भारत का गौरव

आज उस सम्राट की गाथा कहता हूँ

स्वर्णभूमि जो सुख-समृद्धि की, महिमा उस अमरावती की गाता हूँ॥

 

विश्व का केंद्र जो विश्व की धुरी थी

जिसे उज्जयिनी नगरी कहता हूँ

कीर्ति सौरभ जिसका चहुँ ओर था फैला, उसे महाकाल से रक्षित पाता हूँ॥

 

स्वर्ण-रजत मोती-माणिक की न कमी जहाँ पर

धन-धान्य से राजकोष को भरा मैं पाता हूँ

सच्चे परितोष थे नगर के जो, उन्हें संज्ञा नवरत्न से सुशोभित पाता…

Continue

Posted on January 15, 2024 at 10:00am

तिरंगा

हरा-केसरिया, श्वेत रंग का, तिरंगा झड़ा कहलाता है

हरियाली-साहस, सत्य दर्शाता

प्रतीक-एकता, अखंडता का बन जाता है॥

 

राम-कृष्ण-बुध जन्मे जहाँ पर, मन उस पवित्र भूमि को शीश नवाता है

आन-बान-शान भारत देश की

हर भारतीय की जान कहलाता है॥

 

सभी भाषाओं की जन्मधात्री, संस्कृत, जो सबसे पुरानी भाषा है

विभिन्न उत्कृष्ट संस्कार-संस्कृति की पवित्र…

Continue

Posted on December 21, 2023 at 11:51am

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service