For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी
  • Male
  • Bhopal, Madhya Pradesh
  • India
Share on Facebook MySpace

राज़ नवादवी's Friends

  • Ajay Tiwari
  • Samar kabeer
  • Amit Kumar "Amit"
  • dr rakesh kumar sharma
  • Gyanesh Pandey
  • Manoj Bidkar
  • Dibyendu Sarkar
  • Priyanka singh
  • Neeraj Nishchal
  • बसंत नेमा
  • anwar suhail
  • Dibyendu Paul
  • प्रमेन्द्र डाबरे
  • लोकेश सिंह
  • Sadhana Lamgora
 

राज़ नवादवी's Page

Latest Activity

सालिक गणवीर left a comment for राज़ नवादवी
"भाई राज़ नवादवी जी आदाब बहुत उम्दा ग़ज़ल की बधाइयां स्वीकारें. आशा करता हूँ कि भविष्य में भी ऐसी ही रचनाओं को पढ़ने का अवसर प्राप्त होता रहेगा."
Mar 29, 2020
राज़ नवादवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-117
"आदरणीय मोहन बेगोवाल जी, बेहद शुक्रिया आपका. "
Mar 28, 2020
राज़ नवादवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-117
"आदरणीय जनाब समर कबीर साहिब, इस्लाह का बेहद शुक्रिया, बहुत जल्दी में कही गई ग़ज़ल खासकर वो पहला मतला. उसे हटा दूंगा. सादर "
Mar 28, 2020
राज़ नवादवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-117
"2122-1122-1122-22/112   चोट खा खा के कोई फ़र्द बशर बनता है रिज़्क़ जब गलता है पानी में, ख़ुमर बनता है //१   कितना भी शोला हवाओं में ज़बर बनता है एक दिन जल के वो भी राख मगर बनता है //२   हम मरे जाते हैं उल्फ़त में ख़बर है किसको उनको इक छींक…"
Mar 28, 2020
राज़ नवादवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-117
"आदरणीय  dandpani nahak जी, वाह वह बहुत अछा प्रयास  इल्तिज़ा है कि सभी लोग घरों में ही रहेंटाल दें कोई ज़रूरी जो सफ़र बनता हैऔर मैं क्या कहूँ ऐ यार तेरी यारी मेंमार दे मुझको तेरा काम अगर बनता है अच्छे अशआर, बधाई स्वीकार करें.…"
Mar 28, 2020
राज़ नवादवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-117
" आदरणीया Rachna Bhatia जी,  अछा प्रयास है. जीस्त का यूँ ही नहीं यारो कवर बनता है आजकल झूठ से ही कोई बशर बनता है कुछ यूँ करें तो बह्र पूरी होती है. आदरणीय  समर साहिब ने इसी और इशारा किया है. सादर "
Mar 28, 2020
राज़ नवादवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-117
"जनाब Khan Hasnain Aaqib साहिब, वाह वाह मतला सुन्दर है,  वक़्त बदले तो हर एक ज़ेर ज़बर बनता है आम को चूस के खाना भी ख़बर बनता है। बाक़ी आदरणीय समर साहिब की बात. सादर. "
Mar 28, 2020
राज़ नवादवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-117
"आदरणीय सूबे सिंह सुजान  साहिब, वाह वाह, बहुत अच्छा प्रयास, बधाई स्वीकार करें.  जितनी कड़वी दवा,उतना ही असर बनता है (2) को  जितनी कड़वी है दवा,उतना असर बनता है (2) ऐसे भी कहा जा सकता है. सादर "
Mar 28, 2020
राज़ नवादवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-117
" आदरणीय Md. Anis arman, साहिब, वाह वाह बहुत खूब भाई, क्या कहने  2)जड़ पकड़ लेता है ये दिल की ज़मीं पर फ़ौरनइश्क़ का पौधा बड़ी जल्दी शजर बनता है | मज़ा आ गया इस शहर में, सादर "
Mar 28, 2020
राज़ नवादवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-117
"वाह वाह जनाब  Tasdiq Ahmed Khan साहिब, क्या कहने, बधाई हो  ग़म भी पड़ते हैं मुहब्बत में उठाने यारोयूँ किसी का न कोई जान ए जिगर बनता है l बहुत ख़ूब, सादर "
Mar 28, 2020
राज़ नवादवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-117
"वाह वाह जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर साहिब, बहुत ख़ूब,  जिसने औरों का बचाया है हमेशा जीवनयार दुनिया में वही शख़्स अमर बनता है।४। बहुत सुन्दर, सादर "
Mar 28, 2020
राज़ नवादवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-117
"आदरणीय   रवि भसीन 'शाहिद जी, आदाब अर्ज़ है. एक सुन्दर प्रयास के लिए हृदय से आभार. शे'र कहने का हुनर खेल नहीं है यारोरात दिन मश्क़ से उस्ताद-ए-'समर' बनता है [10] बहुत खूब, वाह वाह  सादर "
Mar 28, 2020
राज़ नवादवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-117
"आदरणीय   anjali gupta जी, आदाब अर्ज़ है. एक सुन्दर प्रस्तुति के लिए हृदय से आभार. सादर  चाहे जितना भी उछालो उसे टूटे न मगर कोई बतलाये के दिल ऐसा किधर बनता है (4) बहुत खूब. "
Mar 28, 2020
राज़ नवादवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-117
"आदरणीय  ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi) साहिब, आदाब अर्ज़ है. मुशायरे का आगाज़ करने के लिए ढेरों बधाइयां. बहुत बढ़िया प्रयास. सादर "
Mar 28, 2020
राज़ नवादवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-108
"वाह, बहुत ख़ूब आदरणीय रवि शुक्ला जी, सुंदर प्रस्तुति के लिए ढेरों बधाई। सादर। "
Jun 27, 2019
राज़ नवादवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-108
"आदरणीय नाहक साहिब, बहुत आभार। सादर। "
Jun 27, 2019

Profile Information

Gender
Male
City State
Bhopal, Madhya Pradesh
Native Place
Nawada, Bihar
Profession
Education, Training, and Community Development. Hybrid Value Chain Entrepreneur (HVCE) at Ashoka Innovators for the Public
About me
Main shayar to nahin, magar ai zindgee, jab se tum ko samjha, shayari aa gai.

राज़ नवादवी's Photos

  • Add Photos
  • View All

राज़ नवादवी's Blog

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ९४

जनाब अहमद फराज़ साहब की ज़मीन पे लिखी ग़ज़ल



221 1221 1221 122



बुझते हुए दीये को जलाने के लिए आ

आ फिर से मेरी नींद चुराने के लिए आ //१



दो पल तुझे देखे बिना है ज़िंदगी मुश्किल

मैं ग़ैर हूँ इतना ही बताने के लिए आ //२



तेरे बिना मैं दौलते दिल का करूँ भी क्या

हाथों से इसे अपने लुटाने के लिए आ //३



तेरा ये करम है जो तू आता…

Continue

Posted on May 1, 2019 at 12:00am — 9 Comments

प्याज भी बोलते हैं (लघुकथा) राज़ नवादवी

प्याज भी बोलते हैं- एक लघुकथा

-------------------------------------

हर कोई सब्ज़ी वाले से बड़ा प्याज माँगता है। कल मैं भी ठेलेवाले भाई से प्याज ख़रीदते समय बड़े प्याज माँग बैठा। तभी, बड़े प्याजों के बीच बैठे एक छोटे प्याज ने मुझसे कहा,

"भाई साहब, हर कोई बड़ा प्याज माँगता है, तो हमारा क्या होगा? हम भी तो प्याज हैं!"

मैं सकपका गया, ये कौन बोल रहा है? प्याज? क्या प्याज भी बोलते हैं? तभी मैंने देखा वहीं पड़े कुछ बड़े प्याज आंनद…

Continue

Posted on April 27, 2019 at 1:00pm — 7 Comments

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ९३

२२१ २१२१ १२२१ २१२



अपनी गरज़ से आप भी मिलते रहे मुझे

ग़म है कि फिर भी आशना कहते रहे मुझे //१ 



दिल की किताब आपने सच में पढ़ी कहाँ

पन्नों की तर्ह सिर्फ़ पलटते रहे मुझे //२ 



मिस्ले ग़ुबारे दूदे तमन्ना मैं मिट गया

बुझती हुई शमा' सा वो तकते रहे मुझे //३ 



सौते ग़ज़ल से मेरी निकलती थी यूँ फ़ुगाँ

महफ़िल में सब ख़मोशी से सुनते रहे मुझे…

Continue

Posted on February 4, 2019 at 10:13am — 6 Comments

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ९२

२२१ २१२१ १२२१ २१२



मिलना नहीं जवाब तो करना सवाल क्यों

मेरी ख़मोशियों पे है इतना मलाल क्यों //१

दामाने इंतज़ार में कटनी है ज़िंदगी

मरने तलक है हिज्र तो होगा विसाल क्यों //२ 

यारों को कब पता नहीं कैसे हैं दिन मेरे

है जो नहीं वो ग़ैर तो पूछेगा हाल क्यों //३ 



जब है ज़रीआ कस्ब का कोई नहीं मेरा

आसाईशों की चाह की फिर हो मज़ाल…

Continue

Posted on February 3, 2019 at 12:09pm — 3 Comments

Comment Wall (14 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 6:10pm on March 29, 2020, सालिक गणवीर said…
भाई राज़ नवादवी जी
आदाब
बहुत उम्दा ग़ज़ल की बधाइयां स्वीकारें. आशा करता हूँ कि भविष्य में भी ऐसी ही रचनाओं को पढ़ने का अवसर प्राप्त होता रहेगा.
At 9:54pm on August 28, 2017, Samar kabeer said…
जनाब राज़ साहिब,कृपया फोन कर लें,मुझे ओबीओ पर चेट करना नहीं आता ।
At 2:14am on July 31, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ओपन बुक्स परिवार की ओर से आपको जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें.

At 3:21pm on July 18, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
said…

जी आप कुछ कुछ ठीक कह रहे हैं त्रुटी वश ये न की जगह ना लिखा गया 'केवल दो किलोमीटर पीछे हुए एक्सीडेंट का वो बेचारा पेशेंट साइकिल वाला था न  और ये कार वाला, क्या ये  अंतर मैं नहीं समझती'----ये इस तरह लिखा था मेरी मूल लघु कथा में ----हम दैनिक बोलचाल में न शब्द का इस्तेमाल ? के साथ करते हैं  इसमें न के बाद ? मार्क लगाना भूल गई बहुत बहुत आभार इस और ध्यान दिलाने के लिए 

At 12:30pm on July 18, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
said…

सादर आभार तहे दिल से शुक्रिया ग़ज़ल आपको पसंद आई राज़ जी 

At 5:36pm on October 11, 2012, Deepak Sharma Kuluvi said…

welcome sir

At 2:36pm on October 11, 2012, Deepak Sharma Kuluvi said…

aapki rachnaen behatreen hain

At 4:38pm on October 8, 2012, नादिर ख़ान said…

मुझको तिरी बेजारियों का कुछ गिला नहीं

मेरी भी ज़िंदगी अना दिखला के रह गई  

मैं भी न मिल सका उसे पिछले बरसके बाद

तनहा कली कहीं कोई मुरझा के रह गई

बहुत ही उम्दा गज़ल है राज़ भाई  बहुत ख़ूब

At 11:45am on September 21, 2012, प्रमेन्द्र डाबरे said…

राज़ साहब आपने मुझ नाचीज़ की भी रचना पढ़ी मैं धन्य हो गया, आपकी दाद मेरे लिए सबसे बड़ा तोहफा है और कुछ और अच्छा लिखने की प्रेरणा अब मुझे मिलती रहेगी.... आपका तलबगार  प्रमेन्द्र डाबरे

At 10:24am on September 21, 2012, लोकेश सिंह said…

राज भाई तहे दिल से मेरा शुकराना स्वीकार करे ,आपके स्नेहिल वचन मुझे और अच्छे काव्य की रचना की प्रेरणा देंगे ,सराहना के लिए बहुत -बहुत साधुवाद ......लोकेश सिंह

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service