For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sarita Bhatia's Blog – February 2014 Archive (14)

शिवरात्रि दोहावली

उत्सव भारत देश के ,करें सभी हम गर्व

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी , महाशिवरात्रि पर्व /



फाल्गुन में शिवरात का होता पर्व विशेष

रंगों भरी फुहार से मिटाओ गिले द्वेष /



मध्यरात अवतरित हो धरा रूप सारंग

गले में सर्प हार औ रमे भस्म से अंग/



रूद्र रूप को देख के भर लो ह्रदय उमंग

शिव शक्ति का मिलनदिवस मनाओ प्रेम संग /



सदा ही मिले आपको शिव का आशीर्वाद

शिव के नित उपवास से मिले दुआ प्रसाद /



धतूरे बेलपत्र से, करना कर्म विशेष…

Continue

Added by Sarita Bhatia on February 26, 2014 at 7:34pm — 14 Comments

बिटिया [कुण्डलिया]

बिटिया ना अपनी हुई कैसा रहा विधान 

राजा हो या रंक की बिटिया सभी समान /

बिटिया सभी समान रहेंगी सदा बेगानी

छोड़ेगी वो गेह रीत पड़ेगी निभानी 

चाहे गेह अमीर या रही गरीब की कुटिया 

सरिता कहती मान पराई होती बिटिया//…

Continue

Added by Sarita Bhatia on February 26, 2014 at 10:27am — 3 Comments

तुम बिन प्रिय

कुछ कम रोशन है रोशनी तुम बिन

बरसात कम है गीली तुम बिन

हवाओं में खुश्बू नहीं है तुम बिन

चाँद की कम है चाँदनी तुम बिन

सूरज करे ना उजाला तुम बिन

घर बन गया मकान है तुम बिन

भंवरे नही हैं गुनगुनाते तुम बिन

थम सा गया है वक्त तुम बिन

 

पर मेरी हर ख्वाहिश है तुम से

पर अब भी हर सांस में बसे हो तुम

हर धड़कन में आवाज़ है तुम्हारी

हर पल जैसे छू जाते हो दिल को

हर आहट में अहसास है तुम्हारा

 

पीछे से…

Continue

Added by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 4:00pm — 6 Comments

मेरा विश्वास

जब सब कुछ था

मेरे पास

जो

जीने के लिए काफी था

तुम्हारा प्यार,

तुम्हारा साथ,

तुम्हारा समय

तुम्हारा विश्वास

हमारा साहस

यही सब

मेरी बहुमूल्य पूंजी थी

वो

उड़ान भरते

सुनहरे सपने

जो

हम दोनों ने कभी देखे थे

दुनिया

अपने कदमों में थी

तो किसकी लगी नज़र ?

जो छूटा ...

तुम्हारा प्यार

तुम्हारा साथ

क्यों रुकीं

वो सांसें

वो जिन्दगी

टूटीं उम्मीदें

टूटे सपने

और

साथ ही

टूट…

Continue

Added by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 3:03pm — 21 Comments

कह मुकरियाँ [11 से 18] सरिता भाटिया

11.

दोस्ती मेरी सदा निभाए

न्यारी न्यारी बात बताए

बताए हरदम सही जवाब

क्या सखि साजन ? ना सखि किताब

12.

तुझ बिन जगत यह कड़की धूप

तेरे संग खिलता है रूप

कैसा तूने किया करिश्मा

क्या सखि साजन ? ना सखि चश्मा

13.

ज्यों चलूँ वो साथ ही हो ले

अंग संग खाए हिचकोले

मधुर सुरों से ह्रदय छले छलिया 

क्या सखि साजन ? ना पायलिया

14.

उलझे मेरे लट सुलझाता

न बोलूँ तो खीझ है जाता

रूप दिखाता रंग बिरंगा

क्या सखि…

Continue

Added by Sarita Bhatia on February 24, 2014 at 9:56am — 6 Comments

कह मुकरियाँ [6 से 10]

6.

जीवन मेरा रोशन करता

सूरज जैसे तम को हरता

उस बिन धड़के मेरा जिया

क्या सखि साजन ? ना सखि दीया

7.

चले संग वो धड़कन जैसे

उस बिन कटे बताऊँ कैसे

रखे हिसाब हर पल हर कड़ी

क्या सखि साजन ? नहीं सखि घड़ी

8.

पलकें मीचूं सपने लाता

कोमलता से फिर सहलाता

छोड़े ना वो पूरी रतिया

क्या सखि साजन? ना सखि तकिया

9..

नया रूप ले रात को आता

दिन चढ़ते वैरी छुप जाता

छिपता जाने कौनसी मांद

क्या सखि साजन ? ना सखि चाँद…

Continue

Added by Sarita Bhatia on February 21, 2014 at 7:35pm — 15 Comments

कह मुकरियाँ - सरिता भाटिया

प्रथम प्रयास कह मुकरियाँ पर आप सब सुधीजनों के मार्गदर्शन की अभिलाषी हूँ ...

1.

लीला सखिओं संग रचाता

मन का हर कोना महकाता

भागे आगे पीछे दैया

क्यों सखि साजन ? ना कन्हैया

2.

जिसको हमने स्वयं बनाया

मान और सम्मान दिलाया

उसको हमारी ही दरकार

क्यों सखि साजन ? नहीं सरकार

3.

बच्चे बूढ़े सबको भाए

नाच दिखाए खूब हँसाए

सबके दिल का बना विजेता

क्यों सखि साजन ? ना अभिनेता

4.

उसके बिना चैन ना आए

पाकर उसको मन…

Continue

Added by Sarita Bhatia on February 20, 2014 at 9:30am — 7 Comments

जो छत हो आसमां सारा यहाँ ऐसा मकाँ इक हो [गजल]

दिलों में रंजिशें ना हों यहाँ ऐसा जहाँ इक हो

जो छत हो आसमां सारा यहाँ ऐसा मकाँ इक हो /



नया हर जो सवेरा हो मिले सुख शांति हर घर में

मिटे ना वक्त के हाथों जो ऐसा आशियाँ इक हो /



बुराई लोभ भ्रष्टाचार धोखा दूर हो कोसों

हो केवल प्यार हर घर में बसेरा अब वहाँ इक हो /



मिले केवल सुकूं अब और हो मुस्कान होठों पर

घुली मिश्री हो बातों में यहाँ ऐसी जुबाँ इक हो /



निशानी अब हसीं यादों की लम्हा लम्हा मुस्काये

हों चर्चे कुल जहां…

Continue

Added by Sarita Bhatia on February 18, 2014 at 3:44pm — 19 Comments

थोड़ा हँस लो थोड़ा गा लो [गीत]

आओ कुछ तो समय निकालो

थोड़ा हँस लो थोड़ा गा लो |

जीवन की आपाधापी में

अपने पीछे छूट न जाएँ

नन्हे सपने टूट न जाएँ

जरा नया उत्साह जगा लो

थोड़ा हँस लो.......

अपने हम से रूठ गए जो

जीवन पथ पर छूट गए जो

उनकी यादों से अब निकलो

रूठ गए जो उन्हें मना लो

थोड़ा हँस लो........

देख समय ने करवट खाई

फिर क्यों है मायूसी छाई

दे दो गम को आज विदाई

बुरे समय को हँस कर टालो

थोड़ा…

Continue

Added by Sarita Bhatia on February 12, 2014 at 3:00pm — 31 Comments

कुण्डलिया सरिता भाटिया

जागो प्यारे भोर में मन में ले विश्वास 
आस जगाती जिन्दगी करना है कुछ ख़ास /
करना है कुछ ख़ास मन में जगा लो चाहत
करो वक्त पे काम मिले तनाव से राहत
सरिता कहे पुकार नहीं मुश्किल से भागो
पड़े बहुत हैं काम भोर हुई अभी जागो //

..................................................

...........मौलिक व अप्रकाशित...........

Added by Sarita Bhatia on February 10, 2014 at 4:37pm — 13 Comments

कुण्डलिया [सरिता भाटिया]

डरना कैसा मौत से, यह तो सच्ची यार
धोखा देती जिन्दगी , मौत निभाए प्यार /
मौत निभाए प्यार , साथ है लेकर जाती
सबक जिंदगी रोज, नया हमको सिखलाती
नेक मौत का काम, सबकी पीर को हरना
सरिता कहे पुकार, मत तुम मौत से डरना //

.....................................................

................मौलिक व प्रकाशित ...........

Added by Sarita Bhatia on February 7, 2014 at 10:02am — 16 Comments

मन [कुण्डलिया]

मन के जीते जीत है ,मन के हारे हार
मन को समझा ना अगर जीना हो दुश्वार /
जीना हो दुश्वार अगर मन दुख से भारी
सुख से पल संवार, कर के मन संग यारी
मन से कर लो प्रीत ,छोड़ो मोह अब तन के
मन की ना हो हार ,प्यार के फेरो मनके //

..........मौलिक व अप्रकाशित ..............

Added by Sarita Bhatia on February 6, 2014 at 10:00am — 10 Comments

मधुमास दोहावली

शुक्ल पंचमी माघ से ,शुरू शरद का अंत

पवन बसंती है चली, आया नवल बसंत /



ले आया मधुमास है, चंचल मस्त फुहार

पीली चादर ओढ़ के, धरा करे शृंगार /



रात सुहानी हो गई उजली है अब भोर

डाली डाली फूल हैं ,हरियाली चहुँ ओर /



निर्मल अम्बर है हुआ, पाया धरा निखार

जर्रे जर्रे में बसा , कुदरत में है प्यार /



रंग बिरंगी तितलियाँ , मन में भरें उमंग

प्यार हिलोरें ले रहा , अब प्रीतम के संग /



पेड़ आम के बौर से, इतरायें हैं आज

मन को है…

Continue

Added by Sarita Bhatia on February 3, 2014 at 11:06pm — 12 Comments

पूस की वो रात

ठिठुरते हुए तारे

शांत माहौल

आँख मिचौली खेलता

बादलों के पीछे छिपा चाँद

जिसे निहारते हुए

एकाएक खुशबु लिए

एक हवा का झोंका

तुम्हारे स्पर्श सा

छू गया मुझे

पूस की वो रात

लेटते हुए

कभी इस करवट

कभी उस करवट

ह्रदय में हुआ कंपन

आँखों से छलका प्रेम

भिगो गया

मेरा तन बदन

मेरा मन

तन्हा गुजारते हुए

पूस की वो रात

तुम्हारी छूअन से

पूस की वो रात

आत्मीय हो उठती…

Continue

Added by Sarita Bhatia on February 2, 2014 at 12:00pm — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
1 minute ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
6 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service