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Somesh kumar's Blog – June 2015 Archive (6)

हौसलों का पंछी -2(कहानी,सोमेश कुमार |

हौसलों का पंछी -2(गतांक से आगे )

उनके बैठने के बाद मैं फिर पूछता हूँ-सारी कहानी क्या है ?और बस प्रकाश के नाम से ?

“उस समय काम अच्छा चल रहा था |उसे नासिक पढ़ने के लिए भेज दिए |सोचा कुछ बन जाएगा |पर- - - -वो साला चार साल तक पढ़ाई के नाम पर ऐययासी  करता रहा |फिर सुधारने के लिए शादी कर दी |पर साला कुत्ता का पोंछ | सब चौपट करता गया |हम खून जला-जलाकर जोड़ते रहे वो दारू और रंडीबाजी में उड़ाता रहा | ”

“इसका मतलब आप ने अन्धविश्वास किया ?”

“बड़ा था मैं तो अपना फर्ज़ समझकर…

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Added by somesh kumar on June 20, 2015 at 7:30pm — 3 Comments

हौंसलों का पंछी-1

हौसलों का पंछी(कहानी,सोमेश कुमार )

“हवा भी साथ देगी देख हौसला मेरा

मैं परिंदा ऊँचे आसमान का हूँ |”

कुछ ऐसे ही ख्यालों से लबरेज़ था उनसे बात करने के बाद |ये उनसे दूसरी मुलाकात थी|पहली मुलाक़ात दर्शन मात्र थी |सो जैसे ही बनारस कैंट उतरा तेज़ कदमों से कैंट बस डिपो के निकट स्थित उनके कोलड्रिंक के ठेले पर जा पहुँचा |जाने कौन सी प्रेणना थी कि 4 घंटे की विलंब यात्रा और बदन-तोड़ थकावट के बावजूद मैंने उनसे मिलने का प्रण नहीं छोड़ा |

“दादा,एक छोटा कोलड्रिंक दीजिए|” मैंने…

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Added by somesh kumar on June 19, 2015 at 7:52pm — 1 Comment

उमस(सोमेश कुमार)

उमस(सोमेश कुमार )

“ आज तो चलना है ना, “सरोजनी नगर मार्किट ” पल्लवी ने थोड़ा नाराजगी भरे लहजे में कहा

”हाँ-हाँ बाबा,पक्का, कसम से ” आयाम बोला

“कब ?”

“काम निपटा लो, फिर चलते हैं ११-१२ बजे तक”

१०.३० बजे नाश्ता करने के बाद बिस्तर पर उंघते हुए- “पल्लवी , कैंसिल करते हैं याsर, सोने का मन कर रहा है| उमस भी है|सारा बदन –चिपचिप-चिपचिप हो रहा है | “

“हाँs , ना तो ये उमस कम होगी और ना ही तुम्हारे मन की उमस जाएगी |अब भी तो वही है तुम्हारे ख्यालो में- - - - तुम्हें शीतल करती,… Continue

Added by somesh kumar on June 15, 2015 at 2:16pm — 13 Comments

दो दिल दो रास्ते(कहानी,सोमेश कुमार )

दो दिल दो रास्ते

मोबाईल पर मैसेज आया –“गुड बाय फॉर फॉरएवर |”

कालीबाड़ी मन्दिर पर उस मुलाकात के समय जब तुमने आज तक का एकमात्र गिफ्ट प्यारा सा गणेश दिया था तो उसके रैपर पर बड़े आर्टिस्टिक ढंग से लिखा था-फॉर यू फॉरएवर और अब ये !|

यूँ तो तुम सदा कहते थे -मुझे एक दिन जाना होगा |

पर इसी तिथि को जाओगे जिस रोज़ मेरी ज़िन्दगी में आए थे दो साल पहले |वो भी इस तरह |इसकी कल्पना भी ना की थी |

अगला मैसेज-मुझे याद मत करना |अगर तुम मुझे याद करोगी तो मैं स्थिर नहीं रह…

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Added by somesh kumar on June 11, 2015 at 11:30pm — 1 Comment

उमठी दाल

उमठी दाल

पायलगी करके मैं शिवनाथन बाबा की सामने वाली खटिया पर बैठ गया और वो रोटी के कौर को दाल में डुबाने लगे |

“इ साली मटर दाल भी बहुत तंग करती है |कभी भगोनी तले आंच धर के ज्ठाइन लगती है तो कभी पानी में घुलती ही नहीं |पकना तो जैसे इसके स्वभाव में है ही नहीं |”

“दादा जी दाल ,क्या भदेली में पकाते हैं ?” मैंने पूछ लिया

वो कुछ देर खाने में तल्लीन रहे और फिर झटके से बोले

“और नहीं तो क्या हमारे पास क्या कुकड़ धरा है |एलुमिनियम हाड़ी-मटिया के चूल्हे की आग पर ही हमारे यहाँ खाना… Continue

Added by somesh kumar on June 10, 2015 at 9:02pm — 4 Comments

रुकी हुई सी इक ज़िन्दगी-सिक्वेल 2

रुकी-रुकी सी इक ज़िन्दगी –सिक्वेल 2

 25 साल का सोनू मुझसे चार साल बाद मिल रहा था |इससे पहले जब मिला था तो उसकी शादी नहीं हुई थी |यूँ तो उसका मेरे घर पर बराबर आना-जाना है |पर दिल्ली में रहने और एकाध दिन के लिए ही गाँव में ठहरने के कारण उससे चार सालों से नही मिला था |जाति से लुहार और पेशे से ट्रक-ड्राईवर |पर मेरे पिताजी से उसके पिताजी और उसके आत्मीय सम्बन्ध थे |बस पिताजी की एक छोटी सी मदद के बदले पूरा परिवार मेरे पिता के लिए हमेशा खड़ा रहता था |जब उसकी शादी तय हुई तो पिताजी दिल्ली…

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Added by somesh kumar on June 9, 2015 at 1:12pm — 3 Comments

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