नकारात्मक ग्रोथ से, होवे बेडा गर्क ।
सकल घरेलू मस्तियाँ, इन्हें पड़े नहिं फर्क-
आम जिंदगी नर्क बनाए ।
पर परिवर्तन नहीं सुहाए ॥
रोटी थाली की छिने, चाहे रोजी जाय ।
छद्म धर्म निरपेक्षता, मौला-ना मन भाय -
फिर भी फिर सरकार बनाये ।
पर परिवर्तन नहीं सुहाए ॥
पाक बांग्लादेश से, दुश्मन की घुसपैठ ।
सीमा में घुस चाइना, रहा रोज ही ऐंठ -
अन्दर वह सीमा सरकाए ।
पर परिवर्तन नहीं सुहाए ॥
चला…
ContinueAdded by रविकर on July 14, 2013 at 8:00pm — 4 Comments
हम ले दे के चार मन, दिग्गी मम्मी पूत ।
हमले रो के रोक लें, पर कैसे यमदूत ।
पर कैसे यमदूत, नस्ल कुत्ते की इनकी ।
मार काट का पाठ, पढ़े ये कातिल सनकी ।
मन्दिर मस्जिद हाट, पहुँच जाते हैं बम ले ।
पुलिस जोहती बाट, भाग जाते कर हमले ॥
मौलिक / अप्रकाशित
Added by रविकर on July 11, 2013 at 11:01am — 12 Comments
पाये अध्यादेश से, भोजन जन गन देश |
चारो पाये तंत्र के, दिये हमें पर क्लेश |
दिये हमें पर क्लेश, दिये टिमटिमा रहे हैं |
हुआ तैल्य नि:शेष, काल ने प्राण गहे हैं |
है आश्वासन झूठ, मूठ हल की जब आये |
पाये हल हर हाल, जियें मानव चौपाये ||
मौलिक/अप्रकाशित
Added by रविकर on July 5, 2013 at 9:01pm — 4 Comments
बिपदा बढ़ती बहु-गुणा, बा-शिंदे बेहाल |
बस-बेबस बहते बहे, बज-बंशी भूपाल |
बज बंशी भूपाल, बहर बंदिशें सुरीली |
मनमोहन मदमस्त, मगन मीरा शर्मीली |
चले अचल छल-चाल, भयंकर नदी बिगडती |
चारो तरफ बवाल, हमारी बिपदा बढ़ती ||
मौलिक / अप्रकाशित
Added by रविकर on July 4, 2013 at 11:00pm — 7 Comments
हो जाती कुदरत खफा, देती मिटा वजूद ।
उलथ उत्तराखंड ज्यों, होय नेस्तनाबूद ।।
क्या मूरख मानव चेता ।।
विस्फोटों से तोड़ते, ऊंचे खड़े पहाड़ ।
हाड़ कुचलते शैलखंड, अपना मौका ताड़ ।।
ऐसे ही बदला लेता ।।
सरिता-झरना का करे, मनुज मार्ग अवरुद्ध ।
कुछ वर्षों में ही मगर, कर दे वर्षा शुद्ध ।।
जीव-जंतु घर बार समेता ॥
विजय होय बहु-गुणों से, किन्तु चेतना सून।
मार जाय लाखों मनुज, ज्यों तेरह का जून ॥
धिक्कारो ऐसा…
ContinueAdded by रविकर on July 2, 2013 at 11:11am — 11 Comments
थोथी-थूल दलील दे, भाँजे लापरवाह |
लीला लाखों जिंदगी, कातिल है नरनाह |
कातिल है नरनाह, दिखाए दुर्गति-लीला |
विपत-प्रबंधन ढील, बहे घर-ग्राम-कबीला |
धरे हाथ पर हाथ, मजे में बाँचे पोथी |
छी छी सत्ता स्वार्थ, थुड़ी थू थोथा-थोथी ||
मौलिक / अप्रकाशित
Added by रविकर on July 1, 2013 at 7:33pm — 12 Comments
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