212 212 212 2122
जब तलक इस जहाँ में हवायें रहेंगी
तेरे चेहरे पे मेरी निगाहें रहेंगी
कोई पागल कहे या कहे फिर दिवाना
बस तेरे वास्ते ही व़फायें रहेंगी
चाहता ही नहीं मैं तुझे भूलजाना
मैं रहूँ न रहूँ मेरी चाहें रहेंगी
हर कदम पर बुलन्दी कदम चूमे तेरे
इस तरह की मेरी सब दुआयें रहेंगी
अक्ल के शहर में आ गया एक पागल
कब तलक बेगुनाह को सजायें रहेंगी
आजकल बिक रही दौलतों से बहारें
बस अमीरें के घर में फिजायें…
Added by umesh katara on November 29, 2014 at 10:30am — 8 Comments
212 212 212 2122
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मुद्दतों से पलक बन्द करके चला हूँ
मैं समन्दर को आँखों में भरके चला हूँ
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जा बसा पत्थरों में हुआ वो भी पत्थर
मैं फकीरों के जैसे बे-घरके चला हूँ
....
कैसे कहदूँ मेरे यार को बेव़फा मैं
जिसकी तस्वीर को दिल में धरके चला हूँ
....
ले गया वो मेरी साँस भी साथ अपने
जिन्दगी भर बिना साँस मरके चला हूँ
....
ले न जाये छुड़ाके कहीं याद अपनी
इसलिये उम्र भर ही मैं ड़रके चला…
Added by umesh katara on November 25, 2014 at 8:18am — 22 Comments
212 212 212 212
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नाम जिसके मेरी जिन्दगानी लिखी है
कतरे कतरे में वो ही दिवानी लिखी है
आखिरी साँस तक आह भरता रहूँ मैं
इस तरह से ये उसने कहानी लिखी है
मैं बदलता रहा उम्र भर आशियाँ
फिर भी तस्वीर दिल में पुरानी लिखी है
कैसे भूलूँ उसे मै बताओ मुझे
नाम जिसके ये मेरी जवानी लिखी हैे
याद करता रहूँ मैं हमेशा उसे
इसलिये आँसुओं की निशानी लिखी है
मौलिक व अप्रकाशित
उमेश कटारा
Added by umesh katara on November 14, 2014 at 9:30pm — 14 Comments
2122 2122 2122 212
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तंग सी तेरी गली की याद वो जाती नहीं
मुद्दतों से वो तेरी तस्वीर धुँधलाती नहीं
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बे-जबाबी हो चुके हैं ला-ज़बाबी ख़त मेरे
क्या मेरी चिट्ठी तेरे अब दिल को धड़काती नहीं
..
खत्म होने को चला है सिलसिला तेरा मेरा
बेव़फाई पर तेरी क्यों आके पछताती नहीं
..
झूठ से तकदीर लिखना खूब आता है तुझे
लूटकर तू दिल किसी का लौट कर आती नहीं
..
खौफ़ हावी हो चुका है आज तेरा शहर में
कत्ल करके भी तेरी…
Added by umesh katara on November 11, 2014 at 6:45pm — 8 Comments
212 212 212 212
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एक किस्सा उसी ने बनाया मुझे
फिर तो पूरे शह़र ने ही गाया मुझे
बात आँखों से आँखों ने छेडी ज़रा
रात को छत पे उसने बुलाया मुझे
चाँद शामिल रहा फिर मुलाकात में
प्यार का गीत उसने सुनाया मुझे
रात चढ़ती गयी बात बढ़ती गयी
उसने बाहों में भरके सुलाया मुझे
मिल गये दिल, बदन से बदन मिल गये
पंछियों की चहक ने ज़गाया मुझे
सुब्ह होने से पहले दिखा आयना
खुद हक़ीक़त…
Added by umesh katara on November 8, 2014 at 10:00am — 22 Comments
कोई भी लफ्ज आगे से नहीं सच का निकालेंगे
जुबाँ गर जह्र जो उगले जुबाँ को काट डालेंगे
चलो तनहाई को लेकर यहाँ से दूर चलते हैं
ग़मे दिल के सहारे से नयी दुनिया बसालेंगे
मग़र तरक़ीब तो कोई बतादे बेव़फा हमको
तेरी हो याद ज़ोरों पर भला कैसे सँभालेंगे
कभी भी जुर्म के आगे मेरा सर झुक नहीं सकता
अना के वास्ते अपनी उसी दिन सर कटालेंगे
लगा है देश अब घुटने सियासत कायदे भूली
कभी आवाम के आँसू सियासत को डुबालेंगे
मौलिक व…
Added by umesh katara on November 5, 2014 at 10:00am — 13 Comments
1222 1222 1222 1222
मुझे ख़त भेज़ता है वो ,कभी मेरा हुआ था जो
गया था छोड़कर मुझको ,मेरा बनकर ख़ुदा था जो
सितारों की कसम उस चाँद को भूला नहीं अब तक
मेरी तन्हा भरी उस रात में सँग सँग ज़गा था जो
परेशाँ तो नहीं होगा,अकेला तो नहीं होगा
मुझे है फिक्र क्यों उसकी, नहीं मेरा हुआ था जो
कभी दिन के उज़ाले में चला था साथ वो मेरे
मगर फिर छोड़कर मुझको अँधेरे में गया था जो
जमाने को शिकायत भी मेरे इन आँसुओं से है
बहुत लम्बा चला…
Added by umesh katara on November 1, 2014 at 8:30pm — 6 Comments
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