For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Somesh kumar's Blog – November 2014 Archive (12)

बस इतना मेरा जीवन

बस इतना मेरा जीवन

मैं बच्चों में बच्चे मुझमें

बस इतना मेरा जीवन

 

वो ही मेरा सोना-चाँदी

उनसे मेरा तन-मन-धन

आने वाले कल की सूरत

जिनकी रेखा खींच रहा

कल पक के धन्य-धान करेंगी

मैं वो फसलें सींच रहा

मैं बच्चों में बच्चे मुझमें

बस इतना मेरा जीवन

 

सुबह मिल अभिवादन करते

मन हो जाता बहुत प्रसन्न

होड़ लगाए बढ़-चढ़ आते

सर बजा दें टन-टन-टन |

मैं बच्चों में बच्चे मुझमें

बस इतना मेरा…

Continue

Added by somesh kumar on November 30, 2014 at 11:50pm — 7 Comments

सहेजना

सहेजना  

बिखराव में समझ आता है

सहेजे का मोल

मनचाही चीज़ जब

आसानी से नहीं मिलती तो

याद आती है माँ/पत्नी//बहन  

सुबह-सुबह खाना पकाती

सेकेण्ड-सुई से रेस लगाती

हर पुकार पे प्रकट हो जाती

मुराद पूर्ण कर फिर जाती

कितना आसान बना देती है

ज़िन्दगी को,माँ/पत्नी/बहन  

सहेजना एक कौशल है

पर रोज़-रोज़ एक जैसे

को सहेजना बिना आपा खोये

समर्पण है प्यार है त्याग है

औरतें रोज़ इन्हें सहेजती हैं

और एक…

Continue

Added by somesh kumar on November 30, 2014 at 9:33am — 9 Comments

मरघट का जिन्न (कहानी)

दो मित्र थे, |शेरबहादुर और श्रवणकुमार | नाम के अनुसार शेरबहादुर बहुत वीर और निर्भीक थे ,अन्धविश्वास से अछूते ,बिना विश्लेषण किसी घटना पर यकीन नहीं करते |दुसरे शब्दों में पुरे जासूस थे |बाल की खाल निकालना और अपनी और दूसरों की फजीहत करना उनका शगल था |श्रवणकुमार नाम के अनुसार सुनने की विशेष योग्यता रखते थे |एक तरह से पत्रकार थे ,मजाल है गाँव की कोई कानाफूसी उनके कानों से गुजरे बिना आगे बढ़ जाए |तीन में तेरह जोड़ना उनकी आदत थी इसलिए नारदमुनि का उपनाम उन्हें मिला हुआ था |पक्के अन्धविश्वासी और डरपोक…

Continue

Added by somesh kumar on November 27, 2014 at 10:00am — 7 Comments

तुम मेरे कौन हो

तुम मेरे कौन हो?

तुम मेरे कौन हो ?

उषा सिंदूरी या चाँदनी रात

उषा जिससे ज़िन्दगी का अन्धेरा जाता है

जिसके स्पर्श से जीवन लहराता है

खिल उठते हैं जिसके दर्शन से बेल-बूटे…

Continue

Added by somesh kumar on November 25, 2014 at 7:30pm — 10 Comments

खुला इश्तिहार

आज ‘नियति’ व ‘आदित्य ‘ आमने-सामने बैठे थे | सेमिनार के बाद यह उनकी पहली मुलाकात थी |और शायद .....

सेमिनार की उस आखिरी शाम से उनके बीच की बर्फ पिघलने लगी थी| शुरुवात एक चिट्ठे से हुई थी जब उसने बिल्कुल खामोश रहने वाली नियति की डायरी में अपना नम्बर लिखा और लिखा-“शायद हम दोनों का एक दर्द हो| तुम्हारी ये ख़ामोशी खलती है ,तुमसे बात करना चाहता हूँ |”

 “ क्यों ?”

“ लगता है तुम्हारा मेरा कोई रिश्ता है शायद दर्द का - - “

पूरे सेमिनार वो चुप्प रही और वो उसे रिझाने अपनी और…

Continue

Added by somesh kumar on November 16, 2014 at 1:30pm — 11 Comments

माँ

माँ ने तुलसी लगाई, ताकि घर में सुख-शांति आए | माँ ने मनी-प्लांट लगाया- ताकि घर में बरकत और समृद्धि आए |

माँ बीमार हो गई, बेटा ग्वारपाठा और गिलोय लगाने लगा  |

“माँ,दवाइयाँ रोज़ महंगी हो जाती हैं,आप इनका....“

माँ उन्हें भी सीचने लगी पर.....

.

सोमेश कुमार (मौलिक एवं अप्रकाशित )

Added by somesh kumar on November 15, 2014 at 9:00am — 3 Comments

तूती

तूती

अफ्सर की कवि पत्नी मंच संचालिका बन और मोटा लिफ़ाफ़ा पाकर खुश थी |

विभाग-मंत्री अपनी स्तुति से खुश थे |

अफ्सर का दिल ज़ोरों से बल्लियाँ मार रहा था |अब कुछ रोज़ दोनों जगह उसकी तूती बजेगी |

सोमेश कुमार (मौलिक एवं प्रकाशित )

Added by somesh kumar on November 14, 2014 at 8:09pm — No Comments

प्रतियोगिता

प्रतियोगिता

“ सर ,प्रतियोगिता में तो 24 प्रतिभागी आने थे पर हमें लेकर केवल 11 हैं | मज़ा नहीं आएगा |” वो थोड़ा निराश था |

“ये प्रतियोगिता है मेला नहीं ,वैसे भी पहले तीन ही जाने जाते हैं बाकी गिनतियों के बारे में कोई नहीं सोचता |येन-तेन प्रकारेण भवः विजयते |”

उनका कुटिल ज्ञान उसकी नसों में सुईयाँ चुभो रहा था |

सोमेश कुमार (मौलिक एवं प्रकाशित )

Added by somesh kumar on November 13, 2014 at 8:03am — No Comments

रेस का घोड़ा (लघुकथा)

“बेटा, 20 हज़ार में क्या होगा ? कुछ और कोशिश कर, आखिर तेरी दीदी की शादी है !“

“सुना है भईया ने 5 हज़ार देकर हाथ खड़े कर लिए हैं | वो उनकी बहन नहीं है क्या ?“

वो बढ़ते बोझ और थकान से टूटने लगा था |

“बेटा ! लंगड़े और बिदकने वाले घोड़ो को रेस में नहीं रखा जाता |“

पक्षपात माँ की बेबसी थी  |

.

सोमेश कुमार (मौलिक एवं अप्रकाशित)

Added by somesh kumar on November 12, 2014 at 9:00am — 6 Comments

जलावन

जलावन

शहर की सरकारी डिस्पेंसरी में छांटे गए पेड़ो की टहनियों ने उसकी आँखों में चमक पैदा की |हर चौथे रोज़ वो छोटे सिलिंडर में 100 रुपया की गैस भराती थी और अगर काम मिले तो एक रोज़ की मजूरी थी-250 रुपया | यानि इतना जलावन मतलब 800 रुपया |तीनों बच्चों के सरदी के पुराने कपड़े वो नए पटरी बज़ार से खरीद लेगी यानि कि उनकी दिवाली |वैसे भी उसका बेवड़ा-निठल्ला पति रोज़ उसकी गरिमा को तार-तार करता था फिर चौकीदार को तो उन जलावन का हिसाब भी देना होता है आखिर सर्दीयां आ रही थीं |

सोमेश कुमार (मौलिक एवं…

Continue

Added by somesh kumar on November 11, 2014 at 8:00am — 5 Comments

चक्र-घिरनी

“सुना है शादी के बाद हाथों की लकीरें बदल जाती हैं.“ सुमन ने अपनी छह महीने पहले ब्याही बहन से पूछा

"वो तो तू ही जाने ज्योतिषाचार्या, मुझे तो इतना पता है की सात फेरों के बाद औरत के पाँवों की रेखाएं अवश्य बदल जाती है और ज़िन्दगी चक्र-घिरनी हो जाती है |"

उसने गहरी साँस भरते हुए कहा |

सोमेश कुमार

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

 

Added by somesh kumar on November 3, 2014 at 9:00pm — 9 Comments

मुख्यधारा

 मुख्यधारा

“ ए रुको,अपना लाइसेंस दो “ट्रैफिक हवलदार ने उसकी मोटर-साईकिल रोकते और चलान मशीन की तरफ देखते हुए कहा |

“ क्यों ,क्या हुआ साहब ? ”

“ पिछली सवारी बिना हेलमेट के है |”

“ नाम-मदन ,गाड़ी न.- - - - “

सर ,कारण क्या देंगें ?

“ पिछली पुरुष सवारी बिना हेलमेट “

पर ये तो - - -

“अच्छा ,स्त्री है ,माफ़ करना,पहनावे और बालों से मालूम नहीं हुआ “

“तो सर ,चालन में स्त्री या पुरुष लिखना जरूरी है ?”

“हूँ |अब जब से औरतों के लिए हेलमेट…

Continue

Added by somesh kumar on November 2, 2014 at 9:25pm — 5 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
10 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
11 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service