2212 1212 2212 12
रुक्का किसी का जेब में मेरी जो पा लिया
उसने तो सर पे अपने सारा घर उठा लिया //१
लगने लगा है आजकल वीराँ ये शह्र-ए-दिल
नज्ज़ारा मेरी आँख से किसने चुरा लिया //२
ममनून हूँ ऐ मयकशी, अय्यामे सोग में
दिल को शिकस्ता होने से तूने बचा लिया //३
सरमा ए तल्खे हिज्र में सहने के वास्ते
दिल में बहुत थी माइयत, रोकर…
Added by राज़ नवादवी on December 26, 2018 at 4:00pm — 20 Comments
2212 1212 2212 12
आती नहीं है नींद क्यों आँखों को रात भर
हमने तो उनसे की थी बस दो टूक बात भर //१
दिल में न और ज़िंदगी की ख्व़ाहिशात भर
हस्ती है सबकी नफ़सियाती पुलसिरात भर //२
पढ़ ले तू मेरी आँख में जो है लिखा हुआ
गरचे किताबे दिल नहीं है काग़ज़ात भर //३
हर आदमी में मौत की ज़िंदा है एक लौ
तारीकियों की बज़्म ये रौशन है रात भर //४…
Added by राज़ नवादवी on December 25, 2018 at 12:17pm — 15 Comments
मिर्ज़ा ग़ालिब की ज़मीन पे लिखी ग़ज़ल
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
न हो जब दिल में कोई ग़म तो फिर लब पे फुगाँ क्यों हो
जो चलता बिन कहे ही काम तो मुँह में ज़बाँ क्यों हो //१
जहाँ से लाख तू रह ले निगाहे नाज़ परदे में
तसव्वुर में तुझे देखूँ तो चिलमन दरमियाँ क्यों हो //२
यही इक बात पूछेंगे तुझे सब मेरे मरने पे
कि तेरे देख भर लेने से कोई कुश्तगाँ क्यों हो…
Added by राज़ नवादवी on December 21, 2018 at 11:30am — 19 Comments
२२१२ १२१२ २२१२ १२
हस्ती का मरहला सभी इक इक गुज़र गया
मैं भी तमाशा बीन था, अपने ही घर गया //१
इश्वागरी के खेल से मैं यूँ अफ़र गया
सारा जुनूने आशिक़ी सर से उतर गया //२
खोया न मैं हवास को आई जो नफ़्से मौत
ज़िंदा हुआ मशामे जाँ, मैं जबकि मर गया //३
हैराँ हूँ अपने शौक़ की तब्दीलियों पे मैं
नश्शा था तेरे हुस्न का, कैसे उतर गया //४…
Added by राज़ नवादवी on December 17, 2018 at 7:41pm — 8 Comments
2212 1212 2212 12
अच्छे बुरे का बार है सबके ज़मीर पे
ख़ुद को जवाब देना है नफ़्से अख़ीर पे //१
रख ले मुझे तू चाहे जितना नोके तीर पे
मरने का ख़ौफ़ हो भी क्या दिल के असीर पे //२
कुछ रह्म तो दिखा मेरे शौक़े कसीर पे
पाबंदियाँ लगा न दीदे ना-गुज़ीर पे //३
यकता है इस जहान में क़ुदरत की हर मिसाल
तामीरे ख़ल्क़ मुन्हसिर है कब नज़ीर पे…
Added by राज़ नवादवी on December 14, 2018 at 4:00am — 10 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
दिल मेरा ख़ाली नहीं ज्यों कस्रते आज़ार से
है फुगाँ मजबूर अपनी फ़ितरते इसरार से //१
लाख समझाऊँ तेरी तब-ए-सितम को प्यार से
तू मुकर जाता है अपने वादा-ए-इक़रार से //२
वस्ल की तश्नालबी बढ़ जाती है दीदार से
कम नहीं फिर दिल ये चाहे सुहबते बिस्यार से //३
आ गए जब तंग हम हर वक़्त की गुफ़्तार से
सीख ली हमने ज़ुबाने ख़ामुशी…
Added by राज़ नवादवी on December 14, 2018 at 3:51am — 8 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
जह्र बनके काम करती है दवाई देख ली
अच्छे अच्छों की भी हमने रहनुमाई देख ली //१
पीठ पीछे मर्तबा ए बे अदाई देख ली
तेरी भी मेहमाँ नवाज़ी हमने, भाई देख ली //२
आरज़ी थी दो दिनों की जाँ फ़िज़ाई देख ली
इश्क़ की ताबे जुनूने इब्तिदाई देख ली //३
दिन को सोना और शब की रत-जगाई देख ली
मय की जो भी कैफ़ियत थी इंतिहाई देख ली…
Added by राज़ नवादवी on December 12, 2018 at 6:38pm — 2 Comments
2122 1122 1122 22/ 112
बज़्मे अग्यार में नासूरे नज़र होने तक
क्यों रुलाता है मुझे दीदा-ए-तर होने तक //१
कितने मुत्ज़ाद हैं आमाल उसके कौलों से
टुकड़े करता है मेरा लख़्ते जिगर होने तक //२
गिर के आमाल की मिट्टी में ये जाना मैंने
तुख़्म को रोज़ ही मरना है शज़र होने तक //३
मौत का ज़ीस्त में मतलब है अबस हो जाना
ज़िंदा हूँ हालते…
Added by राज़ नवादवी on December 12, 2018 at 2:30pm — 13 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
ज़र्बे दिल तू दे, पे हम दिल की दवाई तो करें
हम तेरी ख़ू ए गुनह की मुस्तफ़ाई तो करें //१
कह के दिल की बात किस्मत आज़माई तो करें
करते हों गर वो जो मुझसे कज अदाई तो करें //२
नफ़रतों को ख़त्म कर दिल की सफ़ाई तो करें
आप समझें गर हमें भी अपना भाई,तो करें //३
गर मिलें हम, कुछ नहीं पर, ख़ुश अदाई तो करें
आप हमसे…
Added by राज़ नवादवी on December 8, 2018 at 3:00pm — 8 Comments
२२१२ २२१२ २२१२ १२
जब से मैं अपने दिल का सूबेदार हो गया
सहरा भी मेरे डर से लालाज़ार हो गया //१
छोड़ा जो तूने साथ, ख़ुद मुख्तार हो गया
तू क्या, ज़माना मेरा ख़िदमतगार हो गया //२
आईन मेरा ग़ैर क्या बतलायेंगे मुझे
मैं ख़ुद ही अपना आइना बरदार हो गया //३
गर बेमज़ा है आशिक़ी मेरे हवाले से
तू क्यों फ़साने में मेरे किरदार हो गया…
Added by राज़ नवादवी on December 6, 2018 at 3:00pm — 11 Comments
१२१२ ११२२ १२१२ २२
कभी तो बख्त ये मुझपे भी मेहरबाँ होगा
मेरी ज़मीन के ऊपर भी आस्माँ होगा //१
गवाह भी नहीं उसका न कुछ निशाँ होगा
जो तेरे हुस्न के ख़ंजर से कुश्तगाँ होगा //२
हम एक गुल से परेशाँ हैं उसकी तो सोचो
वो शख्स जिसकी हिफ़ाज़त में गुलसिताँ होगा //३
ये ख़ल्क हुब्बे इशाअत का इक नतीजा है
गुमाँ नहीं था कि होना सुकूंसिताँ होगा…
Added by राज़ नवादवी on December 5, 2018 at 3:27pm — 6 Comments
2122 2122 2122 212
बाग़पैरा क्या करे गुल ही न माने बात जब
शम्स का रुत्बा नहीं कुछ, हो गई हो रात जब //१
बाँध देना गाँठ में तुम गाँव की आबोहवा
शह्र के नक्शे क़दम पर चल पड़ें देहात जब //२
दोस्त मंसूबा बनाऊं मैं भी तुझसे वस्ल का
तोड़ दें तेरी हया को मेरे इक़दमात जब //३
इक किरन सी फूटने को आ गई बामे उफ़ुक़
रौशनी की जुस्तजू में खो गया…
Added by राज़ नवादवी on December 3, 2018 at 7:30pm — 7 Comments
2121 2121 2121 212
उड़ रहे थे पैरों से ग़ुबार, देखते रहे
वो न लौटे जबकि हम हज़ार देखते रहे //१
ताब उसकी, बू भी उसकी, रंग भी था होशकुन
गुल को कितनी हसरतों से ख़ार देखते रहे //२
हम तो राह देखते थे उनके आने की मगर
वो हमारा सब्रे इन्तेज़ार देखते रहे //३
तोड़ते थे बेदिली से वो मकाने इश्क़, हम
टूटते मकाँ का इंतेशार देखते रहे //४ …
Added by राज़ नवादवी on December 2, 2018 at 3:00am — 8 Comments
2122 1122 1212 22/ 112
उसका बदला हुआ तर्ज़े करम सताता था
यार बेज़ार था कुछ यूँ कि कम सताता था //१
होके कुछ यूँ वो ब मिज़गाने नम सताता था
कब मैं समझा कि वो अबरू-ए-ख़म सताता था //२
दूर रहने पे तेरी क़ुरबतों की याद आई
पास रहने पे जुदाई का ग़म सताता था //३
जिनको इफ़रात थी रिज़्को ग़िज़ा की जीने में
ऐसे लोगों को भी कर्बे शिकम…
Added by राज़ नवादवी on December 1, 2018 at 11:30am — 8 Comments
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