बैजनाथ शर्मा 'मिंट'
अरकान - 122 122 122 122
गमख्वार समझा था मक्कार निकला|
जो दिखता था सज्जन गुनहगार निकला|
जिसे…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on December 17, 2015 at 11:41pm — 9 Comments
बैजनाथ शर्मा ‘मिंटू’
अरकान - 212 212 212 212
हो के मुझसे तू ऐसे खफ़ा ज़िन्दगी |
जा बसी है कहाँ तू बता ज़िन्दगी|
जग को ठुकरा दिया मैंने तेरे लिए,
कर न पायी तू मुझसे वफ़ा ज़िन्दगी|
तेरी सूरत ही थी मेरा दर्पण सदा,
तू मिले फिर सजूँ इक दफा ज़िन्दगी|
तू हंसाती भी है और रुलाती भी है,
तू दिखाती है क्या क्या अदा ज़िन्दगी|
पहले इतना बता क्या है मेरी ख़ता,
फिर जो चाहे तू देना सज़ा…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on December 9, 2015 at 10:33pm — 2 Comments
अरकान -1222 1222 1222 1222
मुझे सच को कभी भी झूठ बतलाना नहीं आता|
तभी तो मेरे घर भी यार नज़राना नही आता|
अगर तुम प्यार से कह दो लुटा दूँ जान भी अपनी,…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on December 2, 2015 at 11:30pm — 14 Comments
अरकान - 122 122 122 122
किया जिसने दिल में ही घर धीरे-धीरे|
उसी ने रुलाया मगर धीरे –धीरे|
उमर मेरी गुजरी है यादों में जिनकी ,
हुई आज उनको खबर धीरे –धीरे |
जहाँ तक पहुचने की ख्वाहिश है मेरी,
यकीनन मैं पहुंचूंगा पर धीरे –धीरे|
बचपन में सरका जवानी में दौड़ा,
बुढापा गया अब ठहर धीरे-धीरे|
न शिकवा किसी से न है अब शिकायत,
भरा घाव मेरा मगर धीरे –धीरे|
मौलिक व…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 26, 2015 at 8:00pm — 4 Comments
अरकान - 2122 2122 2122 212
आप आये और मेरा दिन सुनहरा हो गया|
आपको देखा तो मेरा फूल चेहरा हो गया|
कुछ समय पहले तलक तो थी हरी यें वादियाँ ,
आपके जाते ही तो हर सिम्त सहरा हो गया|
क़त्ल का ए सिलसिला क्यों और आगे बढ़ गया,
जब से मेरे गाँव में कुछ सख्त पहरा हो गया |
लाख चीखो और चिल्लाओ सुनेगा कौन अब,
हाय पत्थर दिल ज़माना आज बहरा हो गया|
जख्म तो बस जख्म था जो भर भी सकता था मगर…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 20, 2015 at 10:00pm — 1 Comment
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुझको याद किया|
भूल गई मैं सारे जग को, फिर भी तेरा नाम लिया|
यादों में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही गुजार दिया,
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुझको याद किया|
देख के तेरी भोली सूरत हम भी धोखा खा ही गए,
मोहन तेरी मीठी-मीठी बातों में हम आ ही गए,
हार गए जीवन में सब फिर भी तेरा नाम लिया
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुझको याद किया|
करती हूँ कोशिश मैं मोहन याद हमेशा तुम आओ,
रह नही सकती…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 19, 2015 at 8:30pm — 2 Comments
अरकान - 122 122 122 122
नया कोई सपना सजाकर तो देखो|
परायों को अपना बनाकर तो देखो
लगेगी ए दुनिया तुम्हें खूबसूरत,
ज़रा दिल से नफ़रत भुलाकर तो देखो|
सफलता मिलेगी तुम्हें भी यकीनन,
कदम अपने तुम भी बढाकर तो देखो|
बहू-बेटियाँ क्यों न पर्दा करेगी,
हया उनको तुम भी सिखाकर तो देखो|
करोगे जहां को भी सूरज –सा रोशन,
तुम अपने को पहले तपाकर तो देखो|
बनेंगे…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 18, 2015 at 6:30pm — 9 Comments
अरकान- 1222 1222 1222 1222
सुनो सब गौर से वीरों मेरा पैगाम बाक़ी है|
न हारो हौसला अपना अभी तो लाम बाकी है|
मैं आकर मैकदे में अब बता कैसे रहूँ प्यासा,
पिला दे जह्र ही साक़ी अभी इक जाम बाक़ी है|
जमीं से तोड़कर रिश्ता बहुत आगे निकल आया,
मगर हालत कहते हैं अभी अंजाम बाकी है|
गए पकड़े वो सारे जो बहुत मासूम थे यारो,
सही कातिल का लेकिन इक सियासी नाम बाक़ी…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 17, 2015 at 12:00am — 4 Comments
अरकान - 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2
तेरे बिन घर वन लगता है बाकी सब कुछ अच्छा है|
तुझ बिन बेटे जी डरता है बाकी सब कुछ अच्छा है|
माँ तेरी बीमार पड़ी है गुमसुम बहना भी रहती,
भैया का भी हाल बुरा है बाकी सब कुछ अच्छा है|
दादी तेरी बुढिया हैं पर चूल्हा-चौका हैं करती,
कोई न उनका दुख हरता है बाकी सब कुछ अच्छा है|
दादा जी पूछा करते…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 13, 2015 at 6:00pm — 8 Comments
अरकान- 1222 1222 1222 1222
न जाने क्यों भला फिर आज उनकी याद आयी है|
न मिलने की कसम जिनसे हमेशा मैंने खाई है|
मुरव्वत से हैं बेगाने हया तक बेच खाई है,
छूटे गर पिंड ऐसों से इसी में ही भलाई है|
तुम्हारी याद हावी है मेरे दिल पर उसी दिन से,
हुई खुशियाँ मेरी रुखसत दुखों से ही सगाई है|
समझकर देवता पत्थर को घर में ला बिठाया है,
इमारत दिल की यूँ अफसोस क्यों मैंने सजाई है|
जो मारा पीठ पर…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 9, 2015 at 8:00pm — 1 Comment
अरकान- 212 212 212 212
दर्द सीने में अक्सर छुपाती है माँ|
तब कहीं जाकर फिर मुस्कुराती है माँ|
ख़ुद न सोने की चिंता वो करती मगर,
लोरियां गा के हमको सुलाती है माँ|
रूठ जाते हैं हम जो कहीं माँ से तो,
नाज-नखरे हमारे उठाती है माँ|
लाख काँटे हों जीवन में उसके मगर,
फूल बच्चों पे अपनी लुटाती है माँ|
माँ क्या होती है पूछो यतीमों से तुम,
रात-दिन उनके सपनों में आती है…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on October 26, 2015 at 10:30pm — 7 Comments
महकती ज़िन्दगी हो फिर शिकायत कौन करता है
बिना कारण ही मरने की हिमाकत कौन करता है
तुम्हारी आँखों में सूखे हुए कुछ फूल देखे थे
तड़पकर माज़ी से इतनी मुहब्बत कौन करता है
बड़े काबिल हो तुम लेकिन तुम्हारी जेब है खाली,
भला ऐसों से भी यारा मुहब्बत कौन करता है|
कड़कती धूप भी सहते कभी बरसात ठंडी भी,
खुदा ऐसों पे तेरे बिन इनायत कौन करता है|
न पूजेगा कोई तुमको खुदा गर सामने आया ,
बिना डर और लालच के इवादत कौन…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on October 24, 2015 at 1:30pm — 6 Comments
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