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लक्ष्मण रामानुज लडीवाला's Blog (188)

तीन मुक्तक - लक्ष्मण लडीवाला

मुक्तक 
एकाकीपन सांझ का, चंचल मन भटकाय
इस पड़ाव पर उम्र के,बनता कौन सहाय 
सुन्दर हर पल वह घडी,अनुपम सा उपहार 

साँस साँस की हर लड़ी,मुग्ध मुझे करजाय |


(2)
 
बिगड़ न जावे और ये, जीवन के हालात 

वर्षा जल भूजल करे, तभी बनेगी बात |

हरियाली वसुधा रहे, नदियों में जलधार,

पनघट…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 30, 2013 at 12:30pm — 15 Comments

कुंडलिया छंद

सत्ता मद में चाहिए, येन केन बस वोट,

गधे तो कहे बांप तो,उसमे क्या है खोट |                                                                                                                                                              

उसमे क्या है खोट, जो नित भार ही ढोता

सत्ता का वह मीत, बोलता  जैसे  तोता    

जीत पर बदल आँख,बता जनता को धत्ता,

नेता की क्या साख, मिले कैसें भी सत्ता |

(२)

गंगा जल में छुप गये,झट से भोले नाथ,

केदारनाथ धाम में,…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 25, 2013 at 4:00pm — 19 Comments

इनसे नाता जोड़



परिचय करते वक्त ही,  पहले पूछे नाम

परिचय सुद्रड़ हो तभी, करे बात की काम॥ 



परिचय देवे पेड़ का, बच्चे को बतलाय,

इनके क्या क्या नाम है,अच्छे से समझाय 

 

कन्द मूल खाकर रहे, वन में सीता राम,

चौदह वर्षों तक किया,…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 5, 2013 at 4:30pm — 15 Comments

सार्थक मन की दौड़ है (दोहे)



मानव दौड़ें राह पर, थकते उसके पाँव

आत्मा नापे दूरियाँ, नगर डगर हर गाँव |

 

थक जाते है पाँव जब, फूले उसकी साँस,

मन तो अविरल दौड़ता,मन में हो विश्वास |

 

सार्थक मन की दौड़ है, भौतिकता को छोड़

सही राह को जान ले, उसी राह पर दौड़ |

 

पञ्च तत्व से तन बना, जिसका होता अंत

बसते मन में प्राण है, जिसकी दौड़ अनंत…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 29, 2013 at 6:17pm — 15 Comments

माँ को आता सब कुछ सहना

घर लौटकर पूत विदेश से

माँ से बोला बड़े प्यार से, 

आया मै तुमको लेने माँ

यहाँ अकेली अब न रहना |

इस घर को अब बेच चलेंगे

खाली घर में भूत बसे माँ,

संग में मेरे अब तू रहना

उम्र नहीं यह तन्हा रहना |

उमडा उसपर माँ का प्यार,

बेच दिया सारा घरबार,

पोर्ट पर जाकर माँ से बोला-

माँ तू यहाँ पर बैठे रहना |

माँ बोली क्या बात है बेटा

पूत कहे कुछ बात नहीं है,

सामान की है जांच कराना,

माँ बोली जा, जल्दी आना…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 15, 2013 at 3:00pm — 15 Comments

दोहे (सन्दर्भ -पाक में सर्वजीत की ह्त्या)

 

सरबजीत शहीद हुए, सत्ता करे न काम   

छोड़ गया दो बेटियाँ, जो देगी अंजाम |

 

याद करो इतिहास को, और इंदिरा नाम,…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 3, 2013 at 5:30pm — 22 Comments

वीर छंद - लक्ष्मण लडीवाला

वीर छंद (३१ मात्राएँ/ १६ मात्राओं पर यति, १५ मात्राओं पर पूर्ण विराम/ अंत गुरु लघु)

सरबजीत भव पार गया है ---छोड़ गया वह देश जहान।  

अमर शहीदो से मिलने वह-- चला गया देकर फरमान। …

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 2, 2013 at 3:00pm — 22 Comments

एक हकीकत बस वह जाने-----

तेरे मन में स्वार्थ भले हो

वह  इसको सौभाग्य मानती----

 

मानव की है फिदरत देखो

सब्ज बाग़ दिखा  पत्नी  को 

बाते करके चुपड़ी चुपड़ी

क्षणभर में ही खुश कर देता |

सिद्ध करने को मतलब अपना

प्यार भरी बातो से उसका 

क्षण भर में ही आतप हरकर 

गुस्सा उसका ठंडा करता |

तेरे मन में स्वार्थ भले हो

वह इसको सौभाग्य मानती------

 

अति लुभावन वादे करके

बातो ही बातो में पल में

उसके भोले मन को ही

वह…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 29, 2013 at 2:58pm — 15 Comments

कुंडलिया छंद -लक्ष्मण लडीवाला

कुंडलिया छंद 

पत्नी लागी दाँव पर, गए युधिष्ठिर  हार,

महासमर के वार का, धर्म बना आधार |

धर्म बना आधार, द्रोपदी चीर हरण का,

कृष्ण बने मझधार, तन पर बढ़ते चीर का  

दुशासन मढ़े…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 24, 2013 at 10:00pm — 16 Comments

कुंडलिया छंद

कुंडलिया छंद 

 



नारी तू अबला नहीं, अपनी ताकत जान 

दोषी से कर सामना, पूरे कर अरमान। 
पूरे कर अरमान, तुझमे है शक्ति  ऐसी,…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 14, 2013 at 11:30am — 22 Comments

नव-संवत्सर की- - - - लक्ष्मण लडीवाला

नव-संवत्सर कीशुभ कामनाए

-लक्ष्मण लडीवाला 

 

बीत गया वर्ष विगत,नव संवतसर आया, 

गत का आकलन कर,आगे अवसर लाया।

 

स्व का गत रहा कैसा, स्व हो अब कैसा,

करे नवा कुछ ऐसा, हो दो पग आगे जैसा।

नव-संवत्सर का प्रारम्भ होता दुर्गा पूजा से,

घट-स्थापना, उगा नया धान नए जवारे से ।

   

शक्ति की प्रतिक मान करते देवी कि पूजा,

प्रेरणा स्वरूप है देवी,मिलती जिनसे ऊर्जा |

जिसके बिना चल न सके दुनिया का…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 10, 2013 at 3:30pm — 8 Comments

कुण्डलियाँ छंद - लक्ष्मण लडीवाला

 
सहन करे आलोचना, नेता वही महान,
ताने सहना सीख ले, नेता असली  मान |
 नेता असली मान, मन में राज छुपाय ले,  
संख्या बल का भान, समर्थन भी जुटाय ले |
वोटो का रख मान, गिद्ध द्रष्टि इनपर धरे,
समय का रखे ध्यान,…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 6, 2013 at 9:30am — 15 Comments

ओ बी ओ की तीसरी वर्षगाठं पर - दोहे -लक्ष्मण लडीवाला

मुझे आज ही ज्ञात हुआ की 1 अप्रैल 2013 को ओबीओ की

तीसरी वर्ष गाँठ है। तीन वर्षो में इस मंच ने मुझ जैसे सैकड़ों लेखको को तैयार किया

है | इस अवसर पर दोहों के रूप में सभी सदस्यों में सहर्ष पुष्प समर्पित है ।-

 

बढे साथ का…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 31, 2013 at 9:00pm — 21 Comments

लीलामयी श्रीकृष्ण-लक्ष्मण लडीवाला

हे प्रातः स्मरणीय श्री कृष्ण,

तेरा जीवन भी है जैसे-

एक पहेली |

तेरे कृत्य को-

तेरे दृश्य को -

तेरे सन्देश को,…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 31, 2013 at 11:20am — 7 Comments

चढ़े प्रेम का रंग (दोहे)-लक्ष्मण लडीवाला

चढ़े प्रेम का रंग                                            

-लक्ष्मण…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 26, 2013 at 6:30pm — 11 Comments

फा+गुन का मौसम

फा+गुन का मौसम

 

फा=फाल्गुन खेलते

गुन=गुनगुनाने का मौसम

-लक्ष्मण लडीवाला                   

 

ऋतुओं में ऋतू राज बसंत,

बसंत में फाल्गुन मास-

माह में भी होली ख़ास,  

गाँव गाँव खिलते, महकते 

चहुँ ओर खेतो…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 22, 2013 at 10:00am — 12 Comments

प्रेम की अभिव्यक्ति- - - ।

 

प्रेम नाम है-- अहसास का,

अहसास जो करे -

कर सकता है,अभिव्यक्त वही।

घर आँगन में प्यारी सी,  

कलियों की खुशबु से महक

सास का…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 12, 2013 at 11:30am — 28 Comments

काम करे निष्काम-लक्ष्मण लडीवाला

मद्रास हाई कोर्ट से ८ मार्च को सेवा निवृत हो रहे सर जस्टिस चंद्रू, फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट से 83 गुना फ़ास्ट है और 

प्रतिदिन 6O मामले निपटाते है। गर्मी की छुट्टियों में घर पर होमवर्क कर कोर्ट खुलते ही 2OO फैसले सुनाते

है।(३ मार्च के दैनिक भास्कर में छपी खबर…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 5, 2013 at 2:30pm — 13 Comments

कर अपना कल्याण - दोहे

युवतियाँ भी सीख रही, युवकों के ही साथ,

 जूडो करांटे  सीखे, रक्षा खुद  के  हाथ  |

             

 आँख मार मुँह फेरले, खावे मार  कपाल,        

 छेड़-छाड़ अब छोड़ दे, नहीं बचेगी खाल |

 अगर बुजुर्ग नहीं करे, कोंई शर्म लिहाज,       

 इज्जत के बट्टा लगे, समझे अब यह राज…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 3, 2013 at 8:00pm — 3 Comments

मन मोहे सरकार

 सन्दर्भ :-रेल बजट 
-लक्ष्मण लडीवाला 
 
पवन एक्सप्रेस आ गई, लेकर के सौगात,
उम्मीदे हजार बढ़ी,  सुविधाओं की बात । …

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 28, 2013 at 10:11am — 18 Comments

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