Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 30, 2013 at 12:30pm — 15 Comments
सत्ता मद में चाहिए, येन केन बस वोट,
गधे तो कहे बांप तो,उसमे क्या है खोट |
उसमे क्या है खोट, जो नित भार ही ढोता
सत्ता का वह मीत, बोलता जैसे तोता
जीत पर बदल आँख,बता जनता को धत्ता,
नेता की क्या साख, मिले कैसें भी सत्ता |
(२)
गंगा जल में छुप गये,झट से भोले नाथ,
केदारनाथ धाम में,…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 25, 2013 at 4:00pm — 19 Comments
परिचय करते वक्त ही, पहले पूछे नाम,
परिचय सुद्रड़ हो तभी, करे बात की काम॥
परिचय देवे पेड़ का, बच्चे को बतलाय,
इनके क्या क्या नाम है,अच्छे से समझाय
कन्द मूल खाकर रहे, वन में सीता राम,
चौदह वर्षों तक किया,…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 5, 2013 at 4:30pm — 15 Comments
मानव दौड़ें राह पर, थकते उसके पाँव
आत्मा नापे दूरियाँ, नगर डगर हर गाँव |
थक जाते है पाँव जब, फूले उसकी साँस,
मन तो अविरल दौड़ता,मन में हो विश्वास |
सार्थक मन की दौड़ है, भौतिकता को छोड़
सही राह को जान ले, उसी राह पर दौड़ |
पञ्च तत्व से तन बना, जिसका होता अंत
बसते मन में प्राण है, जिसकी दौड़ अनंत…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 29, 2013 at 6:17pm — 15 Comments
घर लौटकर पूत विदेश से
माँ से बोला बड़े प्यार से,
आया मै तुमको लेने माँ
यहाँ अकेली अब न रहना |
इस घर को अब बेच चलेंगे
खाली घर में भूत बसे माँ,
संग में मेरे अब तू रहना
उम्र नहीं यह तन्हा रहना |
उमडा उसपर माँ का प्यार,
बेच दिया सारा घरबार,
पोर्ट पर जाकर माँ से बोला-
माँ तू यहाँ पर बैठे रहना |
माँ बोली क्या बात है बेटा
पूत कहे कुछ बात नहीं है,
सामान की है जांच कराना,
माँ बोली जा, जल्दी आना…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 15, 2013 at 3:00pm — 15 Comments
सरबजीत शहीद हुए, सत्ता करे न काम
छोड़ गया दो बेटियाँ, जो देगी अंजाम |
याद करो इतिहास को, और इंदिरा नाम,…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 3, 2013 at 5:30pm — 22 Comments
वीर छंद (३१ मात्राएँ/ १६ मात्राओं पर यति, १५ मात्राओं पर पूर्ण विराम/ अंत गुरु लघु)
सरबजीत भव पार गया है ---छोड़ गया वह देश जहान।
अमर शहीदो से मिलने वह-- चला गया देकर फरमान। …
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 2, 2013 at 3:00pm — 22 Comments
तेरे मन में स्वार्थ भले हो
वह इसको सौभाग्य मानती----
मानव की है फिदरत देखो
सब्ज बाग़ दिखा पत्नी को
बाते करके चुपड़ी चुपड़ी
क्षणभर में ही खुश कर देता |
सिद्ध करने को मतलब अपना
प्यार भरी बातो से उसका
क्षण भर में ही आतप हरकर
गुस्सा उसका ठंडा करता |
तेरे मन में स्वार्थ भले हो
वह इसको सौभाग्य मानती------
अति लुभावन वादे करके
बातो ही बातो में पल में
उसके भोले मन को ही
वह…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 29, 2013 at 2:58pm — 15 Comments
कुंडलिया छंद
पत्नी लागी दाँव पर, गए युधिष्ठिर हार,
महासमर के वार का, धर्म बना आधार |
धर्म बना आधार, द्रोपदी चीर हरण का,
कृष्ण बने मझधार, तन पर बढ़ते चीर का
दुशासन मढ़े…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 24, 2013 at 10:00pm — 16 Comments
कुंडलिया छंद
नारी तू अबला नहीं, अपनी ताकत जान
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 14, 2013 at 11:30am — 22 Comments
नव-संवत्सर कीशुभ कामनाए
-लक्ष्मण लडीवाला
बीत गया वर्ष विगत,नव संवतसर आया,
गत का आकलन कर,आगे अवसर लाया।
स्व का गत रहा कैसा, स्व हो अब कैसा,
करे नवा कुछ ऐसा, हो दो पग आगे जैसा।
नव-संवत्सर का प्रारम्भ होता दुर्गा पूजा से,
घट-स्थापना, उगा नया धान नए जवारे से ।
शक्ति की प्रतिक मान करते देवी कि पूजा,
प्रेरणा स्वरूप है देवी,मिलती जिनसे ऊर्जा |
जिसके बिना चल न सके दुनिया का…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 10, 2013 at 3:30pm — 8 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 6, 2013 at 9:30am — 15 Comments
मुझे आज ही ज्ञात हुआ की 1 अप्रैल 2013 को ओबीओ की
तीसरी वर्ष गाँठ है। तीन वर्षो में इस मंच ने मुझ जैसे सैकड़ों लेखको को तैयार किया
है | इस अवसर पर दोहों के रूप में सभी सदस्यों में सहर्ष पुष्प समर्पित है ।-
बढे साथ का…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 31, 2013 at 9:00pm — 21 Comments
हे प्रातः स्मरणीय श्री कृष्ण,
तेरा जीवन भी है जैसे-
एक पहेली |
तेरे कृत्य को-
तेरे दृश्य को -
तेरे सन्देश को,…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 31, 2013 at 11:20am — 7 Comments
चढ़े प्रेम का रंग
-लक्ष्मण…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 26, 2013 at 6:30pm — 11 Comments
फा+गुन का मौसम
फा=फाल्गुन खेलते
गुन=गुनगुनाने का मौसम
-लक्ष्मण लडीवाला
ऋतुओं में ऋतू राज बसंत,
बसंत में फाल्गुन मास-
माह में भी होली ख़ास,
गाँव गाँव खिलते, महकते
चहुँ ओर खेतो…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 22, 2013 at 10:00am — 12 Comments
प्रेम नाम है-- अहसास का,
अहसास जो करे -
कर सकता है,अभिव्यक्त वही।
घर आँगन में प्यारी सी,
कलियों की खुशबु से महक
सास का…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 12, 2013 at 11:30am — 28 Comments
मद्रास हाई कोर्ट से ८ मार्च को सेवा निवृत हो रहे सर जस्टिस चंद्रू, फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट से 83 गुना फ़ास्ट है और
प्रतिदिन 6O मामले निपटाते है। गर्मी की छुट्टियों में घर पर होमवर्क कर कोर्ट खुलते ही 2OO फैसले सुनाते
है।(३ मार्च के दैनिक भास्कर में छपी खबर…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 5, 2013 at 2:30pm — 13 Comments
युवतियाँ भी सीख रही, युवकों के ही साथ,
जूडो करांटे सीखे, रक्षा खुद के हाथ |
आँख मार मुँह फेरले, खावे मार कपाल,
छेड़-छाड़ अब छोड़ दे, नहीं बचेगी खाल |
अगर बुजुर्ग नहीं करे, कोंई शर्म लिहाज,
इज्जत के बट्टा लगे, समझे अब यह राज…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 3, 2013 at 8:00pm — 3 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 28, 2013 at 10:11am — 18 Comments
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