Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 16, 2012 at 6:20pm — 2 Comments
Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 13, 2012 at 1:29am — 6 Comments
मत पूंछियॆ,,,,,,,,,,
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मतलब की बात करियॆ, बेकार का हाल मत पूछियॆ ॥
जैसी भी है अपनी है, सरकार का हाल मत पूछियॆ ॥१॥
लहराती है नैया, सरकार की तॊ लहरानॆ दीजियॆ,
आप माझी सॆ मगर,पतवार का हाल मत पूछियॆ ॥२॥
चिल्लातॆ चिल्लातॆ अन्ना की तबियत तंग हुई,
अपनॆ भारत मॆं, भ्रष्टाचार का हाल…
Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 12, 2012 at 5:30pm — 4 Comments
कलम को तलवार कर दिया,,,,,,,,,,
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सिखाकर आप ने उपकार कर दिया ।
लो हम पे एक और उधार कर दिया ॥१॥
अब उम्र भर न अदा कर पायेंगे हम,
इस कदर आपने कर्जदार कर दिया ॥२॥
ज़माना नीलाम कर देता आबरू मेरी,
वो आप हैं जो कि खबरदार कर दिया ॥३॥…
Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 12, 2012 at 5:00pm — 5 Comments
Added by कवि - राज बुन्दॆली on December 16, 2011 at 11:00am — 2 Comments
Added by कवि - राज बुन्दॆली on March 13, 2011 at 3:09pm — 3 Comments
Added by कवि - राज बुन्दॆली on March 13, 2011 at 3:05pm — No Comments
चुन-चुनकर भॆजा जिन्हॆं,निकलॆ नमक हराम !
सिसक रही हर झॊपड़ी, मंत्री सब बदनाम !!
मंत्री सब बदनाम, शहद घॊटालॊं की चाटी !
है गंदा इनका खून, नियत गंदी परिपाटी !!
भारत भाग्य विधाता ,भारत की अब सुन !
हॊ परसुराम अवतार, इन्हॆं मारॆ चुन चुन !!
Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 6, 2011 at 1:31am — No Comments
बापू जब सॆ आपकी,पड़ी नॊट पर छाप !
पड़ॆ-पड़ॆ अब जॆब मॆं,करतॆ रहॊ विलाप !!
करतॆ रहॊ विलाप, तुम बंद तिजॊरी मॆं,
शामिल हॊ गयॆ आप,यहाँ रिश्वतखॊरी मॆं,
सत्य-अहिंसा साधक,हॆ राम नाम कॆ जापू
दॆश हुआ आज़ाद ,क्यूँ बिलख रहॆ हॊ बापू !!
Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 6, 2011 at 1:29am — No Comments
नॆता खायॆं खीर अरु ,जनता चाटॆ पात !
लॊकतंत्र की छाँव मॆं,अजब निराली बात !!
अजब निराली बात, न अर्थ दिमाग मॆं चढ़तॆ,
है घायल संविधान, अनुच्छॆद संसद मॆं सड़तॆ,
सहनशीलता धन्य लात, गाली, जूतॆ सह लॆता !
निर्लज्ज नमक-हराम भ्रष्ट हैं आज कॆ नॆता !!
Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 6, 2011 at 1:27am — No Comments
डाला डांका दॆश मॆं ,खुली लूट पर लूट !
पकड़ॆ गयॆ सुयॊग सॆ,आयॆं फ़ौरन छूट !!
आयॆ फ़ौरन छूट,पहुँच इनकी ऊपर की,
बात-बात मॆं खात कसम झूठी रघुबर की,
एक सॆ बढ़कर एक यहाँ नित नया घॊटाला !
अजब लुटॆरॆ मॆरॆ दॆश कॆ,घर मॆं डांका डाला !!
Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 6, 2011 at 1:24am — No Comments
Added by कवि - राज बुन्दॆली on January 6, 2011 at 1:20am — No Comments
. नव वर्ष तुम्हारा…
ContinueAdded by कवि - राज बुन्दॆली on January 3, 2011 at 8:46pm — No Comments
कल मैंनॆ भी सोचा था कॊई, श्रृँगारिक गीत लिखूं ,
बावरी मीरा की प्रॆम-तपस्या, राधा की प्रीत लिखूं ,…
ContinueAdded by कवि - राज बुन्दॆली on January 3, 2011 at 8:30pm — 3 Comments
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