For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Rash Bihari Ravi's Blog (153)

हम बाबा बन के लुटब ,

सोचत बानी हम ,

हम बाबा बन के लुटब ,

जवान देश में होखे ,

बरका बरका मुरख ,

उहा काहे हम ,

अपन नसीब के कुटब,

सोचत बानी हम ,

हम बाबा बन के लुटब ,

रोज सुबेरे पाठ पढ़ाएम ,

सदा जीवन जिये के ,

संगे इ तरकीब लगायेम,

अपन पाकिट भरे के ,

लोग जे हम पे बिस्वास करी ,

जंगली पता घुटब,

सोचत बानी हम ,

हम बाबा बन के लुटब ,

बाजार में जब नाम होई ,

आपन दवाई बेचाब ,

संगे संगे कुछ नेता लेम ,

आपन पाटी ठोकब,

नेता लोग जैसे… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on April 1, 2010 at 7:30pm — 10 Comments

शांति आदमी के कमजोर बना देला ,

शांति आदमी के कमजोर बना देला ,
शक्ति इन्सान के सैतान बना देला ,
अगर सम्पति पाके जे संभल गइल ,
ओकर स्वरुप भगवान के रूप होला .
सैयम के संगे सादगी ता सफलता मिली ,
आउर समृधि अपने आप होई ,
त संस्कार खिली ,
जब स्वास्थ बढ़िया रही त सन्मान मिली ,
आउर सरस्वती जहा रहिआन ,
त उहा स्नेह मिलबे करी ,
जब सनेह मिली ता उहा शांति रही ,
ता रौआ जानते बानी ,
शांति आदमी के कमजोर बना देला ,

Added by Rash Bihari Ravi on April 1, 2010 at 6:59pm — 5 Comments

जीवन हमार लेके आइल बहार ,

जीवन हमार लेके आइल बहार ,
हमारा तोहरा से प्यार हो गइल,
नाही रतिया के नींद ,
नाही दिन के करार ,
इ ता जीवन हो गइल तोहर,
हमारा तोहरा से प्यार हो गइल,
जेने देखि ओने तुही दिखेलु ,
मनवा पे हमारा तू राज करेलू ,
लगे आवेलु आवे ला बहार ,
हमारा तोहरा से प्यार हो गइल,
सपना में तुही खुली अखीया में तुही ,
हर दम हमारा बतिया में तुही ,
दूर जालू ता तरपे मन हमार ,
हमारा तोहरा से प्यार हो गइल,

Added by Rash Bihari Ravi on April 1, 2010 at 6:40pm — 5 Comments

जे जीवन से खुबे कईलास प्यार ,

जे जीवन से खुबे कईलास प्यार ,

ओकर जीवन बेकार हो गईल ,



ये भरम में त मत रहा इयर ,

की इ जीवन हमर हो गईल ,



चाहे जेतना तू पाउडर लगाला ,

आई बुढ़ापा सूरत बेकार हो गईल ,



कबो माई बाबूजी कबो भाई भौजाई ,

पत्नी आउर बचवान पर मनवा हेराइल ,



जवानी बितावाला तू मस्ती में ईयार ,

लागल जीवन साकार हो गइल ,



जे परभू के चरण में दिनवा बितावल ,

उहो ता भव सागर पर हो गइल ,



अब का पछताई करबा त ईयार ,

सारी उमर जब पार हो गइल… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on April 1, 2010 at 5:20pm — 6 Comments

बाह रे भगवान तहार अजबे बा माया ,

बाह रे भगवान तहार अजबे बा माया ,

कही बाटे धुप त कही बाटे छाया ,

जेकरा लागे बाटे,

ओके खूब देत बारs ,

जेकरा लागे नइखे ,

ओकर पेटो ना भरत बारs ,

बाह रे भगवान तहार अजबे बा माया ,

कही बाटे धुप त कही बाटे छाया ,

जेकरा लागे पाईसा बा ,

उ भगवान के जइसन बा

तहरे अइसन इहो ,

अब कम त करत बा ,

जेकरा लागे बाटे ,

ओकरे के पूछत बा ,

जेकरा लागे नइखे ,

ओके दूर से नमस्कार ,

बाह रे भगवान तहार अजबे बा माया ,

कही बाटे धुप त कही बाटे… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 31, 2010 at 4:11pm — 4 Comments

दोस्त बनाई किस्मत चमकाई,

( इ कविता बा हमारा उ सब भाई लोग खातीर जे एड देख के दोस्ती करे ला लोग ओ

लोग के सावधान करे खातीर अंत में जिगोलो सब्द आइल बा जिगोलो मर्द बेस्या के

कहल जाला धन्यवाद राउर आपन रवी कुमार गिरी गुरु )



दोस्त बनाई किस्मत चमकाई,

अइसन एड अक्सर ,

न्यूज़ पेपर में आवे ला ,

जवन मन के भावे ला ,

भईया इ मन भावन एड से ,

रहीआ दुरी बनाई ,

इ किस्मत ना चमकाई ,

एक जाना इ एड के देखी ,

दिहले फोन मिलाई ,

दूसरा तरफ से आवाज ,

खनखनात महिला के आइल… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 31, 2010 at 2:26pm — 4 Comments

जय हो ,

जय हो ,

अइसन दिन देखि आइल ,

लोगवा बा भकुआइल ,

सुप्रीम कोर्ट के हम का बोली ,

जज के सरम ना आइल ,

जय हो ,

चोरी छिपे जे मिळत रहे ,

छुट के मिळत बाटे ,

सब कोई के सामने अब ,

संगे रात बितावत बाटे,

सरम के इ ता घोर के पि गइल,

कहत बा कोर्ट के आर्डर बाटे ,

जय हो ,

बाबु जी से बेटी बोली ,

फलना के हम चाही ले ,

राजी हो जा बाबु जी ,

ओकरा संगे रात बिताइले ,

कवनो इ गलत नइखे ,

कोर्ट से सुनत बनी ,

जय हो ,

अइसन दिन आ… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 29, 2010 at 5:00pm — 3 Comments

हे भगवन तू कईसन दिन दिखावाला ,

हे भगवन तू कईसन दिन दिखावाला ,

आज से बीस साल पाहिले बबुनी जनमली ,

दहेज़ के बात होत रहे हजार में ,

ओ घरी इंजिनियर डाक्टर कलक्टर ,

मिळत रहले चालीस पचास हजार में ,

हमहू सोचनी बैंक में पैसा ,

बीस साल में होई आठ गुना ,

लाईकानो के भाव बढ़ी लउकत बा नमूना ,

ता हम ओ घरी सतर हजार जमा करवानी ,

एही साल पाच लाख साठ हजार पावनी ,

बाकिर इ कम पर गइल,

ऊपर वाला लेकन के भाव ,

बीस लाख के ऊपर चल गइल ,

जवान हमारा लगे पैसा रहे ,

ऊपर से महंगाई के मार… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 27, 2010 at 7:22pm — 3 Comments

लोग कहे ला नारी , सब के ऊपर भारी ,

लोग कहे ला नारी ,

सब के ऊपर भारी ,

उनका के उ ना समझले ,

जे रहले अवतारी ,

लोग कहे ला नारी ,

सब के ऊपर भारी ,

कम करावे के होखे ता ,

रूप के जादू जाने ली ,

अलग अलग रूप में इ ,

अपना के ऊपर माने ली ,

बहिन बन के खूब खेलावास ,

माई बारी इ दुःख हारी ,

लोग कहे ला नारी ,

सब के ऊपर भारी ,

मेहरी बन के आवेली ,

मनवा के लोभावे ली ,

इ चाहिआं त जनम सार्थक ,

न त नरक बनावे ली ,

कही कही बारी कलंकनी ,

कही मनो हारी… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 26, 2010 at 7:30pm — 2 Comments

बिहार बिकाश आउर एकर मज़बूरी ,

बिहार बिकाश आउर एकर मज़बूरी ,

का कही एकर मज़बूरी ,

हर दम इ मजबुर रहे,

नेता एकरा मिलले अइसन ,

जाती से सराबोर रहे ,

एकर अइसन भूगोल बनल बा ,

जाती आउर छेत्रन के नाते ,

कही भोजपुरी कही मगह बा ,

कोई मौथली बोलत बाटे ,

ऊपर से मिले घाव पे नमक ,

एकर अपने बनल बा दीमक ,

दिल्ली वाला बारे चलाक ,

एक भाई के कईले पास ,

आपस में इ साथ ना दिहन ,

एकर माजा उ काहे ना लिहन,

जाती बाद बा एकर धुरी ,

बिहार के बाटे इ मज़बूरी ,

मगह मैथली ना… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 22, 2010 at 4:45pm — 3 Comments

दीप जली ज्योति होई , सब कोई हसी केहू ना रोई ,

दीप जली ज्योति होई ,

सब कोई हसी केहू ना रोई ,

इ कब होई .

जब हिंदुस्तान में ,

हिंदुस्तान के ,

सोचे वाला नेता पैदा होई ,

त दीप जली ज्योति होई ,

सब कोई हसी केहू ना रोई ,

अइसन तबो हो सके ला ,

राज अइसन नेता ,

मुह्कर्खी लगा जास ,

नेता जी अइसन बेटा ,

फिर से आ जास ,

कौनो आजाद ,

भगत अइसन रंगदार ,

हिंदुस्तान में होई ,

त दीप जली ज्योति होई ,

सब कोई हसी केहू ना रोई ,

देश के बाटे वाला ,

छोट छोट राजनीती पार्टी… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 20, 2010 at 2:34pm — 5 Comments

कब तलक ?, By Guru Jee

कब तलक ?,

यु ही आशु बहाती रहोगी ,

पहले सुनी मांग ,

और अब ,

सुनी गोद होने का डर ,

पलक झपकाये बीना ,

देखती रहोगी ,

कब तलक ?,

उट्ठो ,

आवाज दो ,

रोको उसे ,

वह अपना बर्तमान से ,

और तुम्हारे भाभिस्य से ,

खिलवार कर रहा हैं ,

और तुम यु ही ,

देखती रहोगी ,

कब तलक ?,

जिन्हें पैसे की भूख हैं ,

वो पैसे के लिए ,

कितने घरो का ,

बुझाये दीये ,

अब भी समय हैं ,

आवाज उठाओ ,

जो बर्बाद कर रहे हैं… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 15, 2010 at 12:30pm — 5 Comments

जिन्दगी ,By Guru Jee

जिन्दगी ,
इस उम्र की इस पराव पर ,
मुझे अब लगाने लगा हैं ,
जिन्दगी एक खुबसूरत ख्वाब हैं ,
और मैं इस ख्वाब को ,
खूबसूरती से जीना चाहता हूँ ,
जिन्दगी ,
इसी का नाम हैं ,
जो जीने के लिए ,
उत्साहित करे ,
औरो के लिए ,
कुछ करने की तमन्ना हो ,
जिन्दगी ,
दोस्तों की दोस्ती ,
अपनो की अपनापन ,
दुस्मानो से सिख ,
गैरो से मुहबत ,
समझ जिन्दगी की ,
इस उम्र की इस पराव पर ,

Added by Rash Bihari Ravi on March 8, 2010 at 7:46pm — 3 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service