सोचत बानी हम ,
हम बाबा बन के लुटब ,
जवान देश में होखे ,
बरका बरका मुरख ,
उहा काहे हम ,
अपन नसीब के कुटब,
सोचत बानी हम ,
हम बाबा बन के लुटब ,
रोज सुबेरे पाठ पढ़ाएम ,
सदा जीवन जिये के ,
संगे इ तरकीब लगायेम,
अपन पाकिट भरे के ,
लोग जे हम पे बिस्वास करी ,
जंगली पता घुटब,
सोचत बानी हम ,
हम बाबा बन के लुटब ,
बाजार में जब नाम होई ,
आपन दवाई बेचाब ,
संगे संगे कुछ नेता लेम ,
आपन पाटी ठोकब,
नेता लोग जैसे…
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Added by Rash Bihari Ravi on April 1, 2010 at 7:30pm —
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शांति आदमी के कमजोर बना देला ,
शक्ति इन्सान के सैतान बना देला ,
अगर सम्पति पाके जे संभल गइल ,
ओकर स्वरुप भगवान के रूप होला .
सैयम के संगे सादगी ता सफलता मिली ,
आउर समृधि अपने आप होई ,
त संस्कार खिली ,
जब स्वास्थ बढ़िया रही त सन्मान मिली ,
आउर सरस्वती जहा रहिआन ,
त उहा स्नेह मिलबे करी ,
जब सनेह मिली ता उहा शांति रही ,
ता रौआ जानते बानी ,
शांति आदमी के कमजोर बना देला ,
Added by Rash Bihari Ravi on April 1, 2010 at 6:59pm —
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जीवन हमार लेके आइल बहार ,
हमारा तोहरा से प्यार हो गइल,
नाही रतिया के नींद ,
नाही दिन के करार ,
इ ता जीवन हो गइल तोहर,
हमारा तोहरा से प्यार हो गइल,
जेने देखि ओने तुही दिखेलु ,
मनवा पे हमारा तू राज करेलू ,
लगे आवेलु आवे ला बहार ,
हमारा तोहरा से प्यार हो गइल,
सपना में तुही खुली अखीया में तुही ,
हर दम हमारा बतिया में तुही ,
दूर जालू ता तरपे मन हमार ,
हमारा तोहरा से प्यार हो गइल,
Added by Rash Bihari Ravi on April 1, 2010 at 6:40pm —
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जे जीवन से खुबे कईलास प्यार ,
ओकर जीवन बेकार हो गईल ,
ये भरम में त मत रहा इयर ,
की इ जीवन हमर हो गईल ,
चाहे जेतना तू पाउडर लगाला ,
आई बुढ़ापा सूरत बेकार हो गईल ,
कबो माई बाबूजी कबो भाई भौजाई ,
पत्नी आउर बचवान पर मनवा हेराइल ,
जवानी बितावाला तू मस्ती में ईयार ,
लागल जीवन साकार हो गइल ,
जे परभू के चरण में दिनवा बितावल ,
उहो ता भव सागर पर हो गइल ,
अब का पछताई करबा त ईयार ,
सारी उमर जब पार हो गइल…
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Added by Rash Bihari Ravi on April 1, 2010 at 5:20pm —
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बाह रे भगवान तहार अजबे बा माया ,
कही बाटे धुप त कही बाटे छाया ,
जेकरा लागे बाटे,
ओके खूब देत बारs ,
जेकरा लागे नइखे ,
ओकर पेटो ना भरत बारs ,
बाह रे भगवान तहार अजबे बा माया ,
कही बाटे धुप त कही बाटे छाया ,
जेकरा लागे पाईसा बा ,
उ भगवान के जइसन बा
तहरे अइसन इहो ,
अब कम त करत बा ,
जेकरा लागे बाटे ,
ओकरे के पूछत बा ,
जेकरा लागे नइखे ,
ओके दूर से नमस्कार ,
बाह रे भगवान तहार अजबे बा माया ,
कही बाटे धुप त कही बाटे…
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Added by Rash Bihari Ravi on March 31, 2010 at 4:11pm —
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( इ कविता बा हमारा उ सब भाई लोग खातीर जे एड देख के दोस्ती करे ला लोग ओ
लोग के सावधान करे खातीर अंत में जिगोलो सब्द आइल बा जिगोलो मर्द बेस्या के
कहल जाला धन्यवाद राउर आपन रवी कुमार गिरी गुरु )
दोस्त बनाई किस्मत चमकाई,
अइसन एड अक्सर ,
न्यूज़ पेपर में आवे ला ,
जवन मन के भावे ला ,
भईया इ मन भावन एड से ,
रहीआ दुरी बनाई ,
इ किस्मत ना चमकाई ,
एक जाना इ एड के देखी ,
दिहले फोन मिलाई ,
दूसरा तरफ से आवाज ,
खनखनात महिला के आइल…
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Added by Rash Bihari Ravi on March 31, 2010 at 2:26pm —
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जय हो ,
अइसन दिन देखि आइल ,
लोगवा बा भकुआइल ,
सुप्रीम कोर्ट के हम का बोली ,
जज के सरम ना आइल ,
जय हो ,
चोरी छिपे जे मिळत रहे ,
छुट के मिळत बाटे ,
सब कोई के सामने अब ,
संगे रात बितावत बाटे,
सरम के इ ता घोर के पि गइल,
कहत बा कोर्ट के आर्डर बाटे ,
जय हो ,
बाबु जी से बेटी बोली ,
फलना के हम चाही ले ,
राजी हो जा बाबु जी ,
ओकरा संगे रात बिताइले ,
कवनो इ गलत नइखे ,
कोर्ट से सुनत बनी ,
जय हो ,
अइसन दिन आ…
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Added by Rash Bihari Ravi on March 29, 2010 at 5:00pm —
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हे भगवन तू कईसन दिन दिखावाला ,
आज से बीस साल पाहिले बबुनी जनमली ,
दहेज़ के बात होत रहे हजार में ,
ओ घरी इंजिनियर डाक्टर कलक्टर ,
मिळत रहले चालीस पचास हजार में ,
हमहू सोचनी बैंक में पैसा ,
बीस साल में होई आठ गुना ,
लाईकानो के भाव बढ़ी लउकत बा नमूना ,
ता हम ओ घरी सतर हजार जमा करवानी ,
एही साल पाच लाख साठ हजार पावनी ,
बाकिर इ कम पर गइल,
ऊपर वाला लेकन के भाव ,
बीस लाख के ऊपर चल गइल ,
जवान हमारा लगे पैसा रहे ,
ऊपर से महंगाई के मार…
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Added by Rash Bihari Ravi on March 27, 2010 at 7:22pm —
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लोग कहे ला नारी ,
सब के ऊपर भारी ,
उनका के उ ना समझले ,
जे रहले अवतारी ,
लोग कहे ला नारी ,
सब के ऊपर भारी ,
कम करावे के होखे ता ,
रूप के जादू जाने ली ,
अलग अलग रूप में इ ,
अपना के ऊपर माने ली ,
बहिन बन के खूब खेलावास ,
माई बारी इ दुःख हारी ,
लोग कहे ला नारी ,
सब के ऊपर भारी ,
मेहरी बन के आवेली ,
मनवा के लोभावे ली ,
इ चाहिआं त जनम सार्थक ,
न त नरक बनावे ली ,
कही कही बारी कलंकनी ,
कही मनो हारी…
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Added by Rash Bihari Ravi on March 26, 2010 at 7:30pm —
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बिहार बिकाश आउर एकर मज़बूरी ,
का कही एकर मज़बूरी ,
हर दम इ मजबुर रहे,
नेता एकरा मिलले अइसन ,
जाती से सराबोर रहे ,
एकर अइसन भूगोल बनल बा ,
जाती आउर छेत्रन के नाते ,
कही भोजपुरी कही मगह बा ,
कोई मौथली बोलत बाटे ,
ऊपर से मिले घाव पे नमक ,
एकर अपने बनल बा दीमक ,
दिल्ली वाला बारे चलाक ,
एक भाई के कईले पास ,
आपस में इ साथ ना दिहन ,
एकर माजा उ काहे ना लिहन,
जाती बाद बा एकर धुरी ,
बिहार के बाटे इ मज़बूरी ,
मगह मैथली ना…
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Added by Rash Bihari Ravi on March 22, 2010 at 4:45pm —
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दीप जली ज्योति होई ,
सब कोई हसी केहू ना रोई ,
इ कब होई .
जब हिंदुस्तान में ,
हिंदुस्तान के ,
सोचे वाला नेता पैदा होई ,
त दीप जली ज्योति होई ,
सब कोई हसी केहू ना रोई ,
अइसन तबो हो सके ला ,
राज अइसन नेता ,
मुह्कर्खी लगा जास ,
नेता जी अइसन बेटा ,
फिर से आ जास ,
कौनो आजाद ,
भगत अइसन रंगदार ,
हिंदुस्तान में होई ,
त दीप जली ज्योति होई ,
सब कोई हसी केहू ना रोई ,
देश के बाटे वाला ,
छोट छोट राजनीती पार्टी…
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Added by Rash Bihari Ravi on March 20, 2010 at 2:34pm —
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कब तलक ?,
यु ही आशु बहाती रहोगी ,
पहले सुनी मांग ,
और अब ,
सुनी गोद होने का डर ,
पलक झपकाये बीना ,
देखती रहोगी ,
कब तलक ?,
उट्ठो ,
आवाज दो ,
रोको उसे ,
वह अपना बर्तमान से ,
और तुम्हारे भाभिस्य से ,
खिलवार कर रहा हैं ,
और तुम यु ही ,
देखती रहोगी ,
कब तलक ?,
जिन्हें पैसे की भूख हैं ,
वो पैसे के लिए ,
कितने घरो का ,
बुझाये दीये ,
अब भी समय हैं ,
आवाज उठाओ ,
जो बर्बाद कर रहे हैं…
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Added by Rash Bihari Ravi on March 15, 2010 at 12:30pm —
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जिन्दगी ,
इस उम्र की इस पराव पर ,
मुझे अब लगाने लगा हैं ,
जिन्दगी एक खुबसूरत ख्वाब हैं ,
और मैं इस ख्वाब को ,
खूबसूरती से जीना चाहता हूँ ,
जिन्दगी ,
इसी का नाम हैं ,
जो जीने के लिए ,
उत्साहित करे ,
औरो के लिए ,
कुछ करने की तमन्ना हो ,
जिन्दगी ,
दोस्तों की दोस्ती ,
अपनो की अपनापन ,
दुस्मानो से सिख ,
गैरो से मुहबत ,
समझ जिन्दगी की ,
इस उम्र की इस पराव पर ,
Added by Rash Bihari Ravi on March 8, 2010 at 7:46pm —
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