Added by Bhasker Agrawal on January 15, 2011 at 2:00pm — 2 Comments
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on January 15, 2011 at 12:58pm — 4 Comments
रोज़ नहीं हम जैसा सोचें ॥
नींद उड़ा दे जो रातों की ।
सपना कोई ऐसा सोचें
बनती बात बिगड़…
ContinueAdded by Pradeep Singh Chauhan on January 15, 2011 at 12:36pm — 2 Comments
Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on January 15, 2011 at 12:30pm — 4 Comments
Added by Raju on January 14, 2011 at 11:17pm — 4 Comments
Added by satish mapatpuri on January 14, 2011 at 3:30pm — No Comments
तन -मन मैं बिखेर देती है अनगिनित उजाले'
कहीं खो जाते है इस स्वर्णिम चमक में,
मन में छुपे कुछ बादल काले
खिल जाती हैं, नयी उमीदों की नयी कोपलें
नई धुन पर तैयार ,नई गुनगुनाहटे,
पहले से जवान, पहले से हसीन,
मन के कोने से निकलकर कहीं,
कोरे कैनवास…
ContinueAdded by anupama shrivastava[anu shri] on January 14, 2011 at 1:00pm — 6 Comments
Added by Ratnesh Raman Pathak on January 14, 2011 at 11:48am — 2 Comments
में रोज जब घर से निकलता हूँ
तो खुला आसमान दिखता है
जैसे कि वो अपनी अनन्तता में
मेरा स्वागत कर रहा हो,
हवाएं मेरे बालों को सहलाती,
पंछी गीत गाते मुझे सुकून देते हैं
जमीन मेरा बोझ उठाकर
मुझे सम्हाले रखती है,
ये इनका रोज का नियम है ,
उनका प्रेम है जो, कभी कम नहीं होता
शायद वो अपना धर्म नहीं जानते ,
वरना मुझे छोड़ आपस में ही
वाद विवाद में उलझे होते,
या फिर शायद वो अपना…
ContinueAdded by Bhasker Agrawal on January 14, 2011 at 10:00am — 5 Comments
जख्म भरता नहीं.. दर्द थमता नहीं,
कितनी भी कोशिश कर ले कोई,
तकदीर का लिखा मिटता नहीं ...
चलता ही रहता है, जिंदगी का सफ़र,
कोई किसी के लिए, यहाँ रुकता नहीं..
खुद ही सहने होंगे सारे गम,
किसी की मौत पर कोई मरता नहीं,
हंसने पर तो दुनिया भी हंसती है संग,
हमारे अश्को पर, कोई पलकें भिगोता नहीं ...
आज दर्द हद से गुजर जायेगा जैसे,
कोई बढ़कर साथ देता नहीं,
जिंदगी तुझसे गिला भी क्या करे,
वक़्त से पहले,…
ContinueAdded by Anita Maurya on January 14, 2011 at 8:01am — 2 Comments
Added by satish mapatpuri on January 13, 2011 at 4:00pm — 2 Comments
Added by Veerendra Jain on January 13, 2011 at 11:30am — 13 Comments
Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 13, 2011 at 10:52am — 4 Comments
Added by Bhasker Agrawal on January 13, 2011 at 9:56am — 5 Comments
अक्सर…
ContinueAdded by आशीष यादव on January 13, 2011 at 9:36am — 11 Comments
वो कौन है,
अतीत जैसा पास है,
या कि मेरा आज है,
व आगे का एहसास है|
मैं फंसा इन उलझनों में, सोचता,
वो कौन है|
जो गा सकूँ वो गान है,
कि मिला सकूँ वो तान है,
या कि मेरा सम्मान है|
ये सुलझ जाए पहेली, जान लूँ,
वो कौन है|
मधुरव भरा वो साज है,
या कि नवोढ़ा लाज है,
मेरे लिए क्यूँ राज है?
एक रूप सदिश बने तब, कह सकूँ,
वो कौन है|
गुल है वो कि बाग़…
ContinueAdded by आशीष यादव on January 13, 2011 at 9:32am — 14 Comments
फैज़ अहमद फैज़ की जन्मशती वर्ष के अवसर पर
भारतीय उपमहाद्वीप में इस साल फैज़ अहमद फैज़ की जन्मशती का जश्न चल रहा है। पाकिस्तान की सरजमीं के इस शानदार शायर को वस्तुतः संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप का शायर माना जाता है। फैज़ अहमद फैज़ की शायरी मंत्रमुग्ध करने वाली शायरी मानी जाती है। इसका अहम् कारण रहा कि फै़ज़ ने साहित्य और समाज की खातिर जीवनपर्यन्त कठोर तपस्या अंजाम दी। जिंदगी भर समाज के गरीब मजलूमों के लिए समर्पित रहने वाले फै़ज़ ने बेवजह शेर कहने की कोशिश कदाचित नहीं की। उनके कविता…
Added by prabhat kumar roy on January 13, 2011 at 7:30am — 3 Comments
फिर एक किनारा......? Copyright ©
फिर एक किनारा......?
इस ओर से उस ओर को जाने वाला एक खिवैया..
दो किनारों के बीच आवाजाही ही तो है जो समझ नहीं आती है..
रेत पर मेरे स्वागत को तत्पर..
बलुआ मिटटी और सीपियों से बनी तुम्हारी रंगोली..
मेरे आने से पहले ही बड़ी लहर उसे निगल…
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on January 12, 2011 at 11:32pm — 2 Comments
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on January 12, 2011 at 5:04pm — No Comments
Added by विवेक मिश्र on January 12, 2011 at 4:30pm — 10 Comments
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