Added by shalini kaushik on January 12, 2011 at 12:30pm — 2 Comments
कभी तो मेरी बेकरारी को देख लो
कहीं वक्त बीत न जाये नज़रें चुराने में
सहन होती है तन्हाई जिन्हें और गम नहीं जुदाई का
ऐसे दिलफेंक आशिक कहाँ मिलते हैं ज़माने में
मेरी नामोजूदगी को मेरी बेवफाई न समझना
नज़र आएगी मेरी चाहत मेरे बहाने में
रो कर लिपट जाती हो तुम…
ContinueAdded by Bhasker Agrawal on January 12, 2011 at 12:11pm — 3 Comments
Added by shikha kaushik on January 12, 2011 at 11:00am — 1 Comment
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on January 12, 2011 at 10:30am — 1 Comment
Added by Lata R.Ojha on January 11, 2011 at 11:30pm — 2 Comments
Added by rajkumar sahu on January 11, 2011 at 5:30pm — No Comments
लेख :-जाना बालेश्वर का
प्रख्यात लोक गायक बालेश्वर यादव का दिनांक ०९ जनवरी २०११ को लखनऊ में निधन हो गया | धन्य हो कुछ खबरिया चैनेलों का और अखबारों का जो उनके प्रशंसक इस समाचार वाकिफ हो सके | अन्यथा आज भोजपुरी संस्कृति जिस बाजारवाद की शिकार है उसमें इन पारंपरिक लोकगायकों को लोग भूल गये हैं | बालेश्वर १९४२ में मऊ जनपद में जन्में मुझे याद है मेरा गांव में गुज़रा बचपन जहां उनका 'निक लागे टिकुलिया…
ContinueAdded by Abhinav Arun on January 11, 2011 at 7:58am — 3 Comments
Added by Rash Bihari Ravi on January 10, 2011 at 3:00pm — No Comments
Added by Abhinav Arun on January 10, 2011 at 3:00pm — No Comments
फिर भी आँख है सूनी.. Copyright ©
फिर भी आँख है सूनी..
उस राह को तकते हुए..
जो जाती है सीधे तेरे दर पे..
तुमने कहा मैं भूल गया आना..
कहा तुमने मैं भूल गया तुमको..
सुना मैंने भी कुछ ऐसा ही था कि मैं..
पर तुम क्या जानो क्या बीती है मुझ पर..
सारा जमाना क्या , हम…
Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on January 10, 2011 at 11:00am — No Comments
Added by Lata R.Ojha on January 9, 2011 at 10:30pm — No Comments
Added by rajkumar sahu on January 9, 2011 at 7:31pm — No Comments
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on January 8, 2011 at 7:20pm — No Comments
कभी कभी आधी बात सुनाने के बाद वही स्थिति हो जाती हैं , जो गुरु द्रोणाचार्य की हुई थी , उन्होंने सुना अश्वस्थामा मारा गया बाकि शब्द शंख के आवाज में दब गए , और वह समझे उनका बेटा मारा गया और इसी अघात में वह भी मारे गए , आजकल ऐसा ही हो रहा हैं लोग बाग पूरे शब्द को सुन नही रहे और आधे पे अर्थ को अनर्थ बना दे रहे हैं !
एक माँ बाप की एक ही लड़की थी , उसकी माँ औलाद (लड़का) नहीं होने के कारण रो रही थी और बेटी उसे सांत्वना दे रही थी , माँ मैं दुनिया की उस सोच को ख़त्म कर दूंगी की…
ContinueAdded by Rash Bihari Ravi on January 8, 2011 at 3:00pm — No Comments
Added by Bhasker Agrawal on January 7, 2011 at 8:52pm — 2 Comments
Added by Bhasker Agrawal on January 6, 2011 at 6:12pm — 2 Comments
Added by rajkumar sahu on January 6, 2011 at 5:19pm — No Comments
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