For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (18,998)

उचित निर्णय युक्त बनाना

सुधरे जो बनते हैं सबके अपने,

निशदिन दिखाते हैं नए सपने,

ऊपर-ऊपर प्रेम दिखाते,

भीतर सबका चैन चुराते,

ये लोगों को हरदम लूटते रहते हैं;

तब भी उनके प्रिय बने रहते हैं.

**************************************************

ये करते हैं झूठे वादे,

भले नहीं इनके इरादे,

ये जीवन में जो भी पाते,

किसी को ठग के या फिर सताके

ये देश को बिलकुल खोखला कर देते हैं;

इस पर भी लोग इन पर जान छिड़कते… Continue

Added by shalini kaushik on January 12, 2011 at 12:30pm — 2 Comments

बेकरारी

कभी तो मेरी बेकरारी को देख लो

कहीं वक्त बीत न जाये नज़रें चुराने में

 

सहन होती है तन्हाई जिन्हें और गम नहीं जुदाई का

ऐसे दिलफेंक आशिक कहाँ मिलते हैं ज़माने में

 

मेरी नामोजूदगी को मेरी बेवफाई न समझना

नज़र आएगी मेरी चाहत मेरे बहाने में 

 

रो कर लिपट जाती हो तुम…

Continue

Added by Bhasker Agrawal on January 12, 2011 at 12:11pm — 3 Comments

क्रांति स्वर मे ललकारें ...

छोड़ विवशता-वचनों को

व्यवस्था धार बदल डालें

समर्पण की भाषा को तज

क्रांति स्वर में ललकारें .

*************************************

छीनकर जो तेरा हिस्सा

बाँट देते है ''अपनों'' में ;

लूटकर सुख तेरा सारा लगाते

''सेंध'' सपनों में ;

तोड़ कर मौन अब अपना

उन्हें जी भरके धिक्कारें

समर्पण की भाषा को तज

क्रांति स्वर में ललकारें .

*************************************

हमीं से मांग कर वोटें

वो सत्तासीन हो जाते;

भूल करके सारे… Continue

Added by shikha kaushik on January 12, 2011 at 11:00am — 1 Comment

अब सफ़र का हो शायद अंत..

 

अब सफ़र का हो शायद अंत........

जब तुम नहीं साथ मेरे,…

Continue

Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on January 12, 2011 at 10:30am — 1 Comment

कभी मुझसे जो उसने मोहब्बत की होती..

कभी मुझसे जो उसने मोहब्बत की होती..



उसकी आँखों में भी तो नमी होती ..…
Continue

Added by Lata R.Ojha on January 11, 2011 at 11:30pm — 2 Comments

अंधविश्वास की काली परछाई और समाज...

आज हम वैज्ञानिक और तकनीक के युग में जीने का जितनी भी बातें कर लें, मगर यह बात भी सच है कि आज भी हमारे समाज में अंधविश्वास की जड़ें गहरी हैं। तभी आए दिन छत्तीसगढ़ के किसी न किसी जिले से अंधविश्वास से जुड़े मामले सामने आते रहते हैं। यह बात भी अक्सर कही जाती है कि शहरी क्षेत्रों में इस बारे में ज्यादा हायतौबा नहीं मचता, लेकिन शहरी इलाकों में भी अंधविश्वास की गहरी पैठ है। यदि ऐसा नहीं होता तो मानव बलि जैसी घटना इन इलाकों में नहीं होती। अंधविश्वास को लेकर कहा जाता है कि गांवों में हालात अधिक बिगड़े हैं… Continue

Added by rajkumar sahu on January 11, 2011 at 5:30pm — No Comments

आखरी पन्नें -12



Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on January 11, 2011 at 11:00am — No Comments

लेख :- जाना बालेश्वर का

लेख :-जाना बालेश्वर का

प्रख्यात लोक गायक बालेश्वर यादव का दिनांक ०९ जनवरी २०११ को लखनऊ में निधन हो गया | धन्य हो कुछ खबरिया चैनेलों का और अखबारों का जो उनके प्रशंसक इस समाचार  वाकिफ हो सके | अन्यथा आज भोजपुरी संस्कृति जिस बाजारवाद की शिकार है उसमें इन पारंपरिक लोकगायकों को लोग भूल गये हैं | बालेश्वर १९४२ में मऊ जनपद में जन्में मुझे याद है मेरा गांव में गुज़रा बचपन जहां उनका 'निक लागे टिकुलिया…

Continue

Added by Abhinav Arun on January 11, 2011 at 7:58am — 3 Comments

तेरी खूबसूरत आँखों की कसम ,

तेरी खूबसूरत आँखों की कसम ,
तेरे बिन हम भी जी लेंगे सनम ,
क्या हुआ तुने ये जो गम दिया ,
जियेंगे उन गमो के सहारे हम ,
दर्द ये जीने की चाहत को घटाए ,
जी रहे हैं की नही मरना हैं सनम ,
तुम चाहे मुझको नजरो से उतारो ,
हरदम तुम्हे पलकों पे बिठाएंगे हम ,
जीवन रहेगा जब तक कसक रहेगी ,
किसी से ना कहुगा हैं तेरी कसम ,
मन की ये चाहत खुशिया तुझे मिले ,
उठाने के लिए हैं गम की पहाड़ सनम ,

Added by Rash Bihari Ravi on January 10, 2011 at 3:00pm — No Comments

कथ्य-शिल्प गोष्ठी-०३ एक रपट

 कथ्य-शिल्प गोष्ठी-०३ एक रपट
तीसरी कथ्य-शिल्प गोष्ठी रविवार 09 जनवरी 2011 को बनारस के कालीमहाल में कवि अजीत श्रीवास्तव के निवास पर हुई | इसकी अध्यक्षता वरिष्ठ नवगीतकार पंडित श्रीकृष्ण तिवारी ने की | चयनित रचनाकार नरोत्तम शिल्पी ने प्रारंभ  में अपनी दस रचनाओं का पाठ किया | तरन्नुम और तहत में कही गयीं उनकी गज़लें सराही गयीं |
पंडित श्रीकृष्ण तिवारी ने इस अवसर पर कहा की वरिष्ठ रचनाकारों का यह दायित्व है की नवोदित लेखकों को आगे लायें और उन्हें…
Continue

Added by Abhinav Arun on January 10, 2011 at 3:00pm — No Comments

फिर भी आँख है सूनी.. Copyright ©

 

फिर भी आँख है सूनी.. Copyright ©



फिर भी आँख है सूनी..

उस राह को तकते हुए..

जो जाती है सीधे तेरे दर पे..

तुमने कहा मैं भूल गया आना..

कहा तुमने मैं भूल गया तुमको..

सुना मैंने भी कुछ ऐसा ही था कि मैं..

पर तुम क्या जानो क्या बीती है मुझ पर..

सारा जमाना क्या , हम…

Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on January 10, 2011 at 11:00am — No Comments

ताउम्र...

कुछ आहटें गूंजती रह जाती हैं ..



हम कयास ही लगाते रह जाते हैं..…
Continue

Added by Lata R.Ojha on January 9, 2011 at 10:30pm — No Comments

उनसे हम ये भी सीखें

अधिकतर यह बातें सामने आती रहती हैं कि भारत में पाश्चात्य संस्कृति हावी होती जा रही है और हम पश्चिमी देशों की संस्कृति को आधुनिकता के नाम पर अपना रहे हैं। साथ ही यह भी कहा जात है कि युुवा पीढ़ी में विदेशी संस्कृति का इस कदर बुखार चढ़ रहा है और वे धीरे-धीरे भारत की पुरातन संस्कृति को भूलती जा रही है। स्थिति यह बन रही है कि हमारी युवा पीढ़ी में भटकाव के हालात निर्मित हो रहे हैं। यह बातें भी अक्सर कही जाती हैं कि स्वस्थ तथा सशक्त समाज के निर्माण में युवा पीढ़ी का अहम योगदान होता है। ऐसे में जब हमारी नई… Continue

Added by rajkumar sahu on January 9, 2011 at 7:31pm — No Comments

आप चले ए याद कब जाएगी?

 

आप चले ए याद कब जाएगी?

हमने तो…

Continue

Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on January 8, 2011 at 7:20pm — No Comments

कविता --- ताकत कलम की



Continue

Added by Ajay Singh on January 8, 2011 at 4:29pm — No Comments

अधूरा सच

कभी कभी आधी बात सुनाने के बाद वही स्थिति हो जाती हैं , जो गुरु द्रोणाचार्य की हुई थी , उन्होंने सुना अश्वस्थामा मारा गया बाकि शब्द शंख  के आवाज में दब गए ,  और वह समझे उनका बेटा मारा गया और इसी अघात में वह भी मारे गए , आजकल ऐसा ही हो रहा हैं लोग बाग पूरे शब्द को सुन नही रहे और आधे पे अर्थ को अनर्थ बना दे रहे हैं ! 

 

एक माँ बाप की एक ही लड़की थी , उसकी माँ औलाद (लड़का) नहीं होने के कारण रो रही थी और बेटी उसे सांत्वना दे रही थी , माँ मैं दुनिया की उस सोच को ख़त्म कर दूंगी की…

Continue

Added by Rash Bihari Ravi on January 8, 2011 at 3:00pm — No Comments

कविता ------तेरे साथ हैं हम



Continue

Added by Ajay Singh on January 8, 2011 at 9:46am — No Comments

कश्तियाँ

बहती हैं कश्तियाँ लहरों में
या उन्हें चीर के चली जाती हैं
या किनारे पे खड़ी खड़ी
अकेली मुस्कराती हैं

काश कोई बता देता मुझको
कि ये लहरें कहाँ पे जाती हैं
बहाती हुई ये अपने संग सबकुछ
किनारे पर ही क्यों ले आती हैं

लड़ता हूँ जब थक कर में
लहरों कि इन लपटों से
तब ये क्यों तट पर आते ही
खुद ही ठंडी हो जाती हैं

किनारे पे है अंत इनका
किनारे से प्रारंभ है
काश कोई बता देता मझको
के ये बहती हैं या बहाती हैं

Added by Bhasker Agrawal on January 7, 2011 at 8:52pm — 2 Comments

ओ बावरी हँसी मुझे छोड़ो नहीं

ओ बावरी हँसी मुझे छोड़ो नहीं

रह जाओ मेरे संग

मेरी संगनी बनकर

मुझे छोड़ो नहीं



तुम बिन में क्या

एक बेमतलब का खिलौना

आओ खेलो मेरे संग

मुझे छोड़ो नहीं

ओ बावरी हँसी मुझे छोड़ो नहीं



मेरी साँसों के संग तुम चलो

दिल में मेरे तुम धडको

शांति बनकर विराजो मस्तक कमल पर

मुझे छोड़ो नहीं

ओ बावरी हँसी मुझे छोड़ो नहीं



आओ उड़ चलें गगन के पार

वहां घर बसाएंगे

मिलकर कुछ गुल खिलायेंगे

एक बगिया अपनी भी… Continue

Added by Bhasker Agrawal on January 6, 2011 at 6:12pm — 2 Comments

सीटें बढ़ाने से क्या होगा ?

देश में वैसे ही शिक्षा व्यवस्था के हालात ठीक नहीं है। ऐसी स्थिति में यदि तकनीकी शिक्षा की भी वैसी हालत हो तो फिर समझा जा सकता है कि मानव संसाधन मंत्रालय ने अब तक किस नीति पर काम किया है। तकनीकी षिक्षा के मामले में जो आंकड़े सामने आए हैं और जिस तरह के सवाल खड़े हुए हैं, उससे मंत्रालय की नीतियों पर भी प्रश्नचिन्ह लग गया है। हाल ही में मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने देश में इंजीनियरिंग शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए करीब 2 लाख सीटें बढ़ाने की बात कही है। उनके मुताबिक इससे देश के युवाओं को तकनीकी… Continue

Added by rajkumar sahu on January 6, 2011 at 5:19pm — No Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
16 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service