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एक दिवसीय स्मरण कार्यक्रम(सुप्रसिद्ध कथाकार, उपन्यासकार व सफलतम सम्पादक रवींद्र कालिया के व्यक्तित्व, कृतित्व)जनवादी लेखक संघ और साहित्यिक पत्रिका ‘तद्भव’ लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में आज दिनांक…Continue
Started Mar 22, 2016
कवि केवल प्रसाद ‘सत्यम’ का प्रथम काव्य-संग्रह...’छंद माला के काव्य-सौष्ठ्व’ का दिनांक ०७.०२.२०१६ को यू० पी० प्रेस क्लब, लखनऊ में लोकार्पण कार्यक्रम समाचार पत्रों के आधार पर एक प्रतिवेदन . लखनऊ शहर…Continue
Started this discussion. Last reply by केवल प्रसाद 'सत्यम' Mar 25, 2016.
समसामयिक दोहे-
अर्थशास्त्र का ज्ञान ही, सब देशों का मूल.
कभी बढाता शक्ति यह, कभी हिला दे चूल.१
राजनीति परमार्थ को, लिया स्वार्थ में ढाल.
खुद सुख सुविधा भोगते, सौंप दुःख जंजाल.२
राजनीति के शास्त्र में, कूटनीति के मन्त्र.
दलदल कीचड़ वासना, फलते पाप कुतंत्र.३
जीवन में संवेदना, बहुत काम की चीज.
कभी विफल होती नहीं, मिलें श्रेष्ठ या नीच.४
द्वेष भावना में किये, गए…
ContinuePosted on October 2, 2019 at 8:00pm — 6 Comments
चन्द्रयान-दो चल पड़ा, ले विक्रम को साथ।
दुखी हुआ बेचैन भी, छूट गया जब हाथ।।1
चन्द्रयान का हौसला, विक्रम था भरपूर।
क्रूर समय ने छीन कर, उसे किया मजबूर।।2
माँ की ममता देखिए, चन्द्रयान में डूब।
ढूँढ अँधेरों में लिया, जिसने विक्रम खूब।।3
चन्द्रयान दो का सफर, हुआ बहुत मशहूर।
सराहना कर विश्व ने, दिया मान भरपूर।।4
चन्द्रयान दो के लिए, विक्रम प्राण समान।
छीन लिया यमराज से, साध…
Posted on September 26, 2019 at 9:00pm — 6 Comments
कलाधर छन्द
शारदे समग्र काव्य में विचार भव्यता कि
सत्यता उघार के कुलीन भाव मन्त्र दें।
शब्द शब्द सावधान अर्थ की विवेचना
करें विशुद्ध भाव से सुताल छन्द तंत्र दें।।
व्यग्रता सुधार के विनम्रता सुबुद्धि ज्ञान
मान के समस्त मानदण्ड के सुयंत्र दें।
आप ही कमाल वाह वाह की विधायिनी
सुभाषिनी प्रवाह गद्य पद्य में स्वतन्त्र दें।।
मौलिक व अप्रकाशित
रचनाकार . .केवल प्रसाद सत्यम
Posted on August 28, 2016 at 10:37am — 6 Comments
मुक्तक
जिसेे भी देखिये नख शिख तलक मानव नही लगता।
लिए बम वासना शमसीर हक मानव नही लगता।।
मुसीबत ने यहाँ मुफ़लिस किसानो को रुलाया है. .
बड़ी ताकत कहूं जो यार तक मानव नही लगता।।
मौलिक व अप्रकाशित
Posted on August 11, 2016 at 5:06pm — 3 Comments
It is great honor to me sir for accepting my friendship request.thanks sir
आ. केवल प्रसाद जी आपकी बधाई का हार्दिक आभार। ये सब आपके स्नेह का प्रतिफल है।
आदरणीय केवल प्रसाद जी आपकी कविता "अच्छे दिन !"माह की सर्वश्रेष्ठ रचना के रूप में चयनित होने पर आपको हार्दिक हार्दिक बधाई।
आदरणीय केवल प्रसाद जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी कविता "अच्छे दिन !" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
प्रिय केवल जी
जन्मदिन की ढेर सी बधाइयाँ i
आदरणीय केवल जी, हार्दिक आभार.
आदरणीय केवल जी ..रचनाओं पर आपकी समीक्षा मुझे बेहद प्रभावित करती है ..मेरा भी आपसे निवेदन है की समय समय पर ऐसा ही मार्गदर्शन मुझे भी देने की कृपा करें ..ग़ज़ल से सम्बंधित यदि कोई अच्छी किताब हो तो जानकारी देने का कष्ट करें ताकी नियमों की और जानकारी हो सके ....मार्गदर्शन की आकांक्षा के साथ
आदरणीय केवल प्रसाद जी,
आपको उन्मेष की रचनायें अच्छी लग रही हैं, जानकर मुझे हर्ष हुआ। । आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
सादर,
मानोशी
आदरणीय केवल जी |
प्रणाम , |
आपके दिये गये पते से हमने किताब मँगवा लिया | आपको सहयोग के लिए बहुत बहुत धन्यवाद | |
सादर |
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