For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (19,113)

अन्ना, अनशन और सरकार

भ्रष्टाचार के भस्मासुर को भस्म करने के लिए समाजसेवी अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद ऐसा लगता है, जैसे भ्रष्टाचार के खिलाफ देश में भूचाल आ गया है और करोड़ों लोग सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। अन्ना के आंदोलन के बाद केन्द्र की यूपीए सरकार भी बैकफुट पर है। इसके लिए सरकार की नीति-नियंता बने कुछ मंत्री जिम्मेदार माने जा सकते हैं, क्योंकि उनके गलत निर्णय के बाद ही अन्ना हजारे को देश भर में और ज्यादा समर्थन मिलने लगा। अहिंसक आंदोलन को कुचलने के लिए सरकार ने जिन नीतियों पर काम किया और अनशन के लिए जाते… Continue

Added by rajkumar sahu on August 21, 2011 at 12:40am — No Comments


मुख्य प्रबंधक
अपने मित्रों को ओ बी ओ सदस्यता हेतु कैसे आमंत्रित करें ?

साथियों,

कई मित्रों का प्रश्न  है कि "मैं अपने मित्रों को जो जीमेल, याहू , हॉटमेल आदि में है उनको कैसे ओ बी ओ पर आमंत्रित करूँ ?

इसका सरल उपाय ओ बी ओ पर है, मैं चित्र (स्क्रीन शोट) के माध्यम से बताना चाहता हूँ , उम्मीद है प्रश्न का उत्तर मिल जायेगा, उसके पश्चात् भी यदि कुछ प्रश्न उठ रहे हो तो नीचे कमेंट्स बॉक्स में लिखे ....मैं हूँ ना :-)

 

 …

Continue

Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 20, 2011 at 5:00pm — 4 Comments

ग़ज़ल :- सोच का सन्दर्भ अब कितना इकहरा हो गया

ग़ज़ल :- सोच का सन्दर्भ अब कितना इकहरा हो गया

 

सोच का सन्दर्भ अब कितना इकहरा हो गया ,

आदमी तकनीक के गुलशन का सहरा हो गया | 

 

जड़कटी…

Continue

Added by Abhinav Arun on August 20, 2011 at 3:00pm — 8 Comments

अन्ना आन्दोलन की नज़र चंद पंक्तियाँ (वसीम बरेलवी)

अपने हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा
उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा

तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा भी नहीं
मैं गिरा तो मसअला बनकर खड़ा हो जाऊँगा

मुझ को चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र
रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा

सारी दुनिया की नज़र में है मेरी अह्द—ए—वफ़ा
इक तेरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊँगा?

/ वसीम बरेलवी

Added by दुष्यंत सेवक on August 20, 2011 at 12:00pm — 4 Comments

अन्ना - अराजकता या संशोधन

मैं कई लोगों के मुंह से सुन चुका हूँ के अन्ना हजारे के आंदोलन से अराजकता की स्तिथि पैदा हो रही है या हो सकती है

 

तो में उन लोगों से पूछना चाहता हूँ के अराजकता का मतलब क्या है

ये जो ६५ साल से भारत की ज्यादातर जनता को भ्रष्टाचार के कारण संघर्षपूर्ण जीवन जीना पड़ता है, क्या ये अराजकता नहीं है

क्या ये जो कमजोर कानूनों का ढाल बनाकर भ्रष्ट लोग कानून की ही धच्चियाँ उड़ाते हैं, क्या ये अराजकता नहीं है

इन जैसे लोगों ने किताबी जानकारी तो काफी ले ली हैं पर इनको…

Continue

Added by Bhasker Agrawal on August 19, 2011 at 10:00pm — No Comments

''अन्ना की लीला'' (चार कुण्डलियाँ)

चार कुण्डलियाँ 

 

(१)

लीला है उस राम की, अन्ना यहाँ हजार    

लोग जमा हो गये हैं, छोड़ दिया घरबार  

छोड़ दिया घरबार, सह रहे आँधी-पानी

अनशन की शुरुआत, शुरू वही कहानी

भाग रही है भीड़, सभी कुछ गीला-गीला 

हे प्रभु इस…

Continue

Added by Shanno Aggarwal on August 19, 2011 at 4:00pm — 6 Comments

साहस

आँगन का एक छोटा सा

पौधा

जो बढ़ना चाहता है

छटपटाता है बढ़ने को

पर

बड़े पेड़ का बडप्पन

रोकता है उसे

टोकता है उसे

न बढ़ने देने का डर

देता है उसे

हौसला व चाहत फिर भी

जीवित है उसमे

आगे बढ़ने का साहस

निहित है उसमे

कुछ करने ललक है उसमे

एक उम्मीद

उस छोटे से पौधे की

कि

एक दिन वह छोटा सा पौधा

भी

उस बड़े से पेड़ से कही

आगे होगा

वो छोटा सा पौधा

तो बढा जा रहा है

खड़ा हो रहा है…

Continue

Added by Yogyata Mishra on August 18, 2011 at 9:12pm — 6 Comments

भारत छोड़ो

भारत छोड़ो
महात्मा गाँधी ने "असहयोग आंदोलन"(1919) किया था , लेकिन अन्त में उनको भी तंग आकर "भारत छोड़ो"(1942) आंदोलन का बिगुल फूँकना पड़ा.



'असहयोग' नहीं, 'भारत छोड़ो' याद करो महात्मा का

बहुत सुने हो गैरों का  , एक बार  तो सुनो आत्मा का

बहुत घिसे,बहुत पिसे,अब छोड़ो घिसना-पिसना तुम

वक़्त आ गया है यारों  , इस बहरे तंत्र की…
Continue

Added by VIBHUTI KUMAR on August 18, 2011 at 5:13pm — 1 Comment

संकल्प

   

शपथ  

राखी की मुझे

बहन  

 

देश की

रक्षा में होना

कुर्बान

 

मन में

पालना नहीं  

दुविधा

 

 रखूंगा   

 सदा देश का

 सम्मान     

 

बहना

खिला अब तो    

मिठाई....

 

एकादशी विधा में लिखे ये छंद गणेश भैया मैं आपको समर्पित करता हूँ ...आप इस विधा के अविष्कार कर्ता हैं ..इसलिए प्रथम प्रतिक्रिया के लिए आप से अनुरोध भी करता हूँ

 

डॉ.…

Continue

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on August 18, 2011 at 3:42pm — 2 Comments

सामयिक कुण्डलिनी छंद : रावण लीला देख --संजीव 'सलिल'

सामयिक कुण्डलिनी छंद :

रावण लीला देख

--संजीव 'सलिल'

*

लीला कहीं न राम की, रावण लीला देख.

मनमोहन है कुकर्मी, यह सच करना लेख..

यह सच करना लेख काटेगा इसका पत्ता.

सरक रही है इसके हाथों से अब सत्ता..

कहे 'सलिल' कविराय कफन में ठोंको कीला.

कभी न कोई फिर कर पाये रावण लीला..

*

खरी-खरी बातें करें, करें खरे व्यवहार.

जो कपटी कोंगरेस है,उसको दीजे हार..

उसको दीजै हार सबक बाकी दल लें लें.

सत्ता पाकर जन अधिकारों से मत खेलें..

कुचले जो… Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on August 18, 2011 at 3:19pm — 5 Comments

मेरे कातिल

पास आ कातिल मेरे मुझमें जान आने दे,

जान ले लेना पर थोडा तो संभल जाने दे।

 

तूँ तसव्वुर में मेरे रहा है बरसों से,

खुद को नजरों से सीने में उतर जाने दे।

 

कुछ ठहर जा कि छुपा लूँ मैं दर्द सीने का,

या तेरे सीने से लिपट कर बिफर जाने दे।

 

तुझको पाना नहीं है मेरी मंजिल,

तूँ जरा खुद में मुझको समां जाने…

Continue

Added by Gyanendra Nath Tripathi on August 18, 2011 at 1:30pm — 2 Comments

चोरों का देश

यह देश चोर और लूटेरों का है. यहां चोर और लुटेरों की संस्कृति विद्यमान है. वजह भी साफ है हजारों सालों से हम लुटते आ रहे हैं. लुटेरे थक गये पर हम नहीं थके. सोने की चिडि़यां दुनिया भर के दानवों का शिकार बनती रही है और आज भी बनी हुई है. फर्क सिर्फ इतना आया है कि आज हमें आजादी जैसी लाॅलीपाॅप थमा कर हमें लूटा जा रहा है. छोटा सा एक उदाहरण है: रोजगार सेवक जैसी नौकरी करने वाले स्वीकार करते हैं कि महिने में कम से कम 1 लाख से डेढ़ लाख की कमाई होती है. मुखिया जैसे बिना वेतन के कार्य करनेवाले थौक के भाव…

Continue

Added by Rohit Sharma on August 18, 2011 at 12:14pm — No Comments

व्यंग्य - देश को समर्पित कर दें ‘भ्रष्टाचार’

भ्रष्टाचार का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है और इस बार वह सब पर भारी नजर आ रहा है। सत्ता के रसूख का दंभ भरने वाली सरकार भी डरी-सहमी हैं। आधुनिक भारत के ‘गांधी’ के नए अवतरण के बाद ‘भ्रष्टाचार का भूत’ को देश से भगाने के लिए ‘अनशन यज्ञ’ का सहारा लिया जा रहा है। कहा जा रहा है कि यह नए भारत की ‘अगस्त क्रांति’ है। हालात ऐसे बन गए हैं, जो भी भ्रष्टाचार की खिलाफत में मुंह मोड़ेगा, वह क्रांति की चपेट में आ जाएगा और देश में इस क्रांति से हजारों-हजार बावले नजर आ रहे हैं, ‘हजारे’ के साथ। भले ही कई बरसों…

Continue

Added by rajkumar sahu on August 18, 2011 at 1:15am — No Comments

हमारा देश

स्वर्ग सम है, भू ज़हाँ की, वो हमारा देश है |
इक तिरंगा ही सभी का, मन-पसंद परिवेश है ||
भिन्न-भिन्न हैं प्रांत इसमें, भिन्न-भिन्न इसमें धर्म |
अनेकता मैं एकता का, जग को ये सन्देश है || स्वर्ग सम है, भू ज़हाँ की, वो हमारा देश है |
शान्ति का दूत जग मैं, पंचशील इसका नियम…
Continue

Added by Shashi Mehra on August 17, 2011 at 6:29pm — No Comments

अन्ना हजारे

अन्ना हजारे आज जिस लोकपाल बिल हेतु संघर्ष कर रहे हैं, यह भविष्य में कितना सार्थक होगा यह कहना भविष्य की बात है. परन्तु उनका संघर्ष इस बात को पूरजोर तरीके से एकबार फिर साबित कर दिया है कि इस देश में अपने अधिकार और अपनी बातों को रखने की कहीं से भी आजादी नहीं है. यहाँ अभिव्यक्ति की कोई भी स्वतंत्रता नहीं है. उनको तो बिल्कुल ही नहीं जो देश के शासक वर्ग के खिलाफ आवाज उठाते हैं. भ्रष्टाचार जैसे सर्वव्यापी घृणित रोग के खिलाफ लड़ने वाले जब इस ‘‘आजाद’’ देश में अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं और उन्हें…

Continue

Added by Rohit Sharma on August 17, 2011 at 3:49pm — No Comments

सरकार

शर्मशार किये गाँधी को, नहीं माफ़ करेंगे
लायेंगे वक़्त को , तेरा भी इन्साफ़ करेंगे
माँग रहे बस रास्ता,  दे दो ऎ जंगल मुझे
मज़बूर किये तो तुझे, जड़ से साफ़ करेंगे

Added by VIBHUTI KUMAR on August 17, 2011 at 12:58pm — No Comments

अब नही जागे तो कब......?

भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने के लिए अन्ना हज़ारे आगे आए सरकार का रुख़ हम सबने देखा. अब वो समय आ गया हे की देश मे क्रांति हो और देश नया रूप नया रंग ले एक नई सुबह हो.…

Continue

Added by monika on August 17, 2011 at 1:37am — 1 Comment

भारत माँ को नमन

भारत माँ को नमन अपनी जमीन सबसे प्यारी है ; अपना गगन सबसे प्यारा है ;

बहती सुगन्धित मोहक पवन ;

इसके नज़ारे चुराते हैं मन ;

सबसे है प्यारा अपना वतन ;

करते हैं भारत माँ को नमन

वन्देमातरम !वन्देमातरम !

करते हैं भारत माँ ! को नमन .

उत्तर में इसके हिमालय खड़ा ;

दक्षिण में सागर सा पहरी अड़ा ;

पूरब में इसके खाड़ी बड़ी ;

पश्चिम का अर्णव करे चौकसी ;

कैसे सफल हो कोई दुश्मन !

करते हैं भारत माँ को नमन !

वन्देमातरम !वन्देमातरम !

करते…

Continue

Added by shikha kaushik on August 16, 2011 at 7:52pm — No Comments

शौक (झलकी) भाग-3 एवं अंतिम

शौक (झलकी) भाग-3 एवं अंतिम
.
रंजना-     हाँ , पता नहीं कक्षा ८ से ही क्या हो गया इसे. ये बस कहता है कि हम गायक बनेंगे.
               गाँव में एक श्यामू जी का बेटा है ,वो कितना अच्छा है पढने में और एस साल उसका एडमिशन आई.आई. टी में हुआ है.           मैं भी चाहती हूँ कि...
विनोद जी-   समझ गया. आओ…
Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on August 16, 2011 at 11:00am — 3 Comments

मानसरोवर - 6

 

राष्ट्र के कर्णधार उठो , मानवता के पहरेदार उठो .

तुमको वतन पुकार रहा , तेरे पौरुष को ललकार रहा.

भारत माँ का उद्धार करो.

भ्रष्टाचार - संहार करो .

नृप ! बैठ तख़्त क्या सोच रहा ? अवमूल्यन में क्या खोज रहा ?

सत्ता की कुछ मर्यादा है , जनतंत्र से कुछ तेरा वादा है.

दृग मूंद लिए सब सपना है.

आँखे खोलो सब अपना है.

यह जग माया का है बाज़ार , जहाँ रिश्तों के कितने प्रकार .

कोई मातु - पिता कोई भाई है , कोई बेटी और जमाई है.

कोई…

Continue

Added by satish mapatpuri on August 16, 2011 at 12:18am — 2 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
43 minutes ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
7 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service