मुश्किल से माँ-बाप सालों बाद अपने बेटों से मिलने मुंबई पहुंचे थे। एक के बाद एक पांचों मुंबई में बस गए थे और उनमें से एक खो दिया था। डर लग रहा था कि कहीं ग़लत धंधों में तो नहीं पड़ गये फ़िल्मी दुनिया में दाख़िला पाने के मोह में। दो दिन ही हुये थे माहिम में बड़े बेटे के घर में रुके हुए । बेटे की वास्तविक माली हालत उसकी सेहत और घर देख कर कुछ समझ में नहीं आ रही थी। एक दिन चावल न खाने की बात पर बेटा बाप पर बरस पड़ा।
"अबे, बुढ़ऊ जो मिल रहा है चुपचाप खा ले, मेरी बीवी के पास इत्ता टाइम नहीं है…
Added by Sheikh Shahzad Usmani on February 28, 2016 at 12:00pm — 6 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on February 21, 2016 at 12:02pm — 4 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on February 15, 2016 at 9:29am — 8 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on February 13, 2016 at 11:05pm — 3 Comments
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Added by Sheikh Shahzad Usmani on February 9, 2016 at 9:18am — 8 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on February 2, 2016 at 8:17pm — 4 Comments
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