मौलिक अप्रकाशित
धनुही ताके फाग में, आसमानि सुनसान |
नीलकंठ नीलांग को, बैंगनिया पकवान |
बैंगनिया पकवान, सभी को चढ़ी हरेरी |
पीले…
मौलिक/अप्रकाशित
नारा की नाराजगी, जगी आज की भोर ।
यह नारा कमजोर था, नारा नारीखोर ।
नारा नारीखोर, लगे सड़कों…
ContinueAdded by रविकर on March 11, 2013 at 9:04pm — 4 Comments
मौलिक / अप्रकाशित
दीमक बिच्छू साँप से, पाला पड़ता जाय ।
पाला इस गणतंत्र ने, पाला आम नशाय ।
पाला आम नशाय, पालता ख़ास सँपोला ।
भानुमती…
ContinueAdded by रविकर on March 4, 2013 at 9:22am — 16 Comments
मौलिक/अप्रकाशित
जब कभी रस्ता चले ।
फब्तियां कसता चले ।।
जान जोखिम में मगर-
मस्त-मन हँसता चले…
Continueमौलिक / अप्रकाशित
राना जी छत पर पड़े, गढ़ में बड़े वजीर |
नई नई तरकीब से, दे जन जन को पीर |
दे जन जन को पीर, नीर गंगा जहरीला |
मँहगाई *अजदहा, समूचा कुनबा लीला |…
Added by रविकर on March 2, 2013 at 5:38pm — 3 Comments
मौलिक / अप्रकाशित
बड़ा बटोरा आज तक, लोलुपता ने माल |
बेंच बेंच दूल्हा किया, शादीघर बदहाल |
शादीघर बदहाल, सुता चैतन्य आज है ।…
ContinueAdded by रविकर on March 2, 2013 at 4:44pm — 10 Comments
मौलिक / अप्रकाशित
जीना मुश्किल हो गया, बोला घपलेबाज |
पहले जैसा ना रहा, यह कांग्रेसी राज |
यह कांग्रेसी राज, नियम से करूँ घुटाला |
पर सांसत में जान, पडा इटली से पाला |…
Added by रविकर on March 1, 2013 at 5:30pm — 9 Comments
मौलिक - अप्रकाशित
खर्राटों के बीच में, सोया आँखें मीच |
पता नहीं किस तरफ से, देह दबाया नीच |
देह दबाया नीच, सींच कर खेत हटा था-
मग में बीचो बीच, सिंह दमदार डटा था |…
Added by रविकर on March 1, 2013 at 5:15pm — 5 Comments
मौलिक / अप्रकाशित
करकश करकच करकरा, कर करतब करग्राह ।
तरकश से पुरकश चले, डूब गया मल्लाह ।
डूब गया मल्लाह, मरे सल्तनत मुगलिया ।
जजिया कर फिर जिया, जियाये बजट हालिया ।
धर्म…
Added by रविकर on March 1, 2013 at 10:45am — 22 Comments
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