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रविकर's Blog – March 2013 Archive (9)

होली का त्यौहार, इंद्र की धनुही ताके ||

मौलिक अप्रकाशित

धनुही ताके फाग में, आसमानि सुनसान |

नीलकंठ नीलांग को, बैंगनिया पकवान |



बैंगनिया पकवान, सभी को चढ़ी हरेरी |

पीले…

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Added by रविकर on March 19, 2013 at 5:34pm — 1 Comment

यह नारा कमजोर था, नारा नारीखोर-

मौलिक/अप्रकाशित

नारा की नाराजगी, जगी आज की भोर ।

यह नारा कमजोर था, नारा नारीखोर ।

नारा नारीखोर, लगे सड़कों…

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Added by रविकर on March 11, 2013 at 9:04pm — 4 Comments

दीमक बिच्छू साँप से, पाला पड़ता जाय -

मौलिक / अप्रकाशित

दीमक बिच्छू साँप से, पाला पड़ता जाय ।

पाला इस गणतंत्र ने, पाला आम नशाय ।

पाला आम नशाय, पालता ख़ास सँपोला ।

भानुमती…

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Added by रविकर on March 4, 2013 at 9:22am — 16 Comments

अब बजट में आदमी - हो गया सस्ता चले ।।

मौलिक/अप्रकाशित

जब कभी रस्ता चले ।

फब्तियां कसता चले ।।

जान जोखिम में मगर-

मस्त-मन हँसता चले…

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Added by रविकर on March 3, 2013 at 4:04pm — 1 Comment

बजट बिराना पेश, देखता रहा बिराना

मौलिक / अप्रकाशित

राना जी छत पर पड़े, गढ़ में बड़े वजीर |

नई नई तरकीब से, दे जन जन को पीर |



दे जन जन को पीर, नीर गंगा जहरीला |

मँहगाई *अजदहा, समूचा कुनबा लीला |…

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Added by रविकर on March 2, 2013 at 5:38pm — 3 Comments

बेंच बेंच दूल्हा किया, शादीघर बदहाल-

मौलिक / अप्रकाशित

बड़ा बटोरा आज तक, लोलुपता ने माल |

बेंच बेंच दूल्हा किया, शादीघर बदहाल |

शादीघर बदहाल, सुता चैतन्य आज है ।…

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Added by रविकर on March 2, 2013 at 4:44pm — 10 Comments

जीते चालीस चोर, रोज मरती मरजीना-

मौलिक / अप्रकाशित



जीना मुश्किल हो गया, बोला घपलेबाज |

पहले जैसा ना रहा, यह कांग्रेसी राज |



यह कांग्रेसी राज, नियम से करूँ घुटाला |

पर सांसत में जान, पडा इटली से पाला |…



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Added by रविकर on March 1, 2013 at 5:30pm — 9 Comments

हास-परहास :मग में बीचो बीच, सिंह दमदार डटा था

मौलिक - अप्रकाशित

खर्राटों के बीच में, सोया आँखें मीच |

पता नहीं किस तरफ से, देह दबाया नीच |



देह दबाया नीच, सींच कर खेत हटा था-

मग में बीचो बीच, सिंह दमदार डटा था |…

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Added by रविकर on March 1, 2013 at 5:15pm — 5 Comments

जजिया कर फिर जिया, जियाये बजट हालिया-

 

मौलिक / अप्रकाशित

करकश करकच करकरा, कर करतब करग्राह ।

तरकश से पुरकश चले, डूब गया मल्लाह ।

डूब गया मल्लाह, मरे सल्तनत मुगलिया ।

जजिया कर फिर जिया, जियाये बजट हालिया ।

धर्म…

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Added by रविकर on March 1, 2013 at 10:45am — 22 Comments

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