बचपन में
हजार बुरी बलाओं पर
पर भारी था
मेरी माँ का टोटका
माँ के हाथों से
माथे पर छोटा सा
काला टीका लगते ही
भयमुक्त हो जाता था
एक असीम ताकत
दे जाता था मन को
वो ममता में लिपटा
माँ का टोटका
अब तो मैंने कैसे कैसे
कृत्यों से कर लिया है
पूरा मुँह काला
मगर फिर भी
भय से व्याप्त मन
हमेशा व्याकुल रहता है
मौलिक व अप्रकाशित
उमेश कटारा
Added by umesh katara on April 29, 2015 at 6:28pm — 16 Comments
भला हूँ मैं बुरा हूँ मैं
मुहब्बत का ज़ला हूँ मैं
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खुदा भी साथ है उसके
खुदा से भी मिला हूँ मैं
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बिना ही तेल के जलता
रहा हूँ वो दिया हूँ मैं
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न पूछो हाल कैसा है
न पूछो क्यों जीया हूँ मैं
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चला जा तू दगा देकर
मगर फिर भी तेरा हूँ मैं
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बिना सावन बरसती है
सदा ही वो घटा हूँ मैं
उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित
Added by umesh katara on April 24, 2015 at 6:43pm — No Comments
बिना लाग लपेट के
बिना पाखण्ड के
सुन लेता है
समझ लेता है
ईश्वर मन की बात
जान लेता है आत्मा के भाव
फिर भी जाने क्यों
मन्दिर का घंटा जोर जोर से
तीन बार बजाने पर हr
प्रार्थना पूर्ण होने का
पूर्ण सा अहसास होता है
आत्म-मन -चित्त को
बडा ही भ्रमित है
मेरा अल्पज्ञान
ये सोच सोचकर
भारहीन मौन प्रार्थना को
ईश्वर तक पहुँचाने के लिये
मन्दिर के घंटे की आबाज
का भारी भरकम
भार क्यों लपेटा जाता है ?
मौलिक व…
Added by umesh katara on April 23, 2015 at 9:01am — 21 Comments
लोग पहले
रिश्ता बनाते हैं
उसके बाद
रिश्तों की दुहाई देकर
दिल दुखाते हैं।।
मगर मैं
आश्चर्यचकित हूँ
तुम्हारे हुनर से
क्योंकि तुमने
अपनों से भी बढ़कर
दिल दुखाया है मेरा
बिना रिश्ता बनाये
बिना अपना बनाये ।।
उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित
Added by umesh katara on April 17, 2015 at 10:22pm — 10 Comments
2122 2122 2122 212
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आँसुओं से भीगता है रोज अपना बिस्तरा
आपको भी दूर जाकर क्या पता है क्या मिला
एक अरसा हो गया है आपसे हमको मिले
पूछते हैं लोग फिर भी हाल हमसे आपका
खार बनकर चुभ रहे हैं फूल यादों के हमें
आपको भी मिल रही है क्या मुहब्बत की सजा
माँगने पर आजकल तो मौत भी मिलती नहीं
फिर मुहब्बत क्या मिलेगी लाजिमी है भूलना
शर्त पर करना मुहब्बत आपकी फितरत रही
खेलना मासूम दिल से…
Added by umesh katara on April 13, 2015 at 10:00pm — 22 Comments
अभी तुम्हारे दिल में
भीड बहुत है
काफी शोर-शराबा है
नशा -ए -दौलत का
अदा-ए-हुस्न का
जोश-ए-जवानी का
आना जाना भी बहुत है
दिल फेंक प्रेमियों का
अभी तुम भी परेशान हो
सोच-सोचकर
किसको दिल में रखूँ
किसे नहीं
..
मगर
जब ये भीड छट जाये
दिल हो जाये
खाली खाली
उस वक्त मुझे कहना
अपने दिल में रहने को
मैं रहुंगा तुम्हारे दिल में
क्योंकि
मुझे अकेलापन
बहुत पसन्द है
उमेश कटारा…
Added by umesh katara on April 12, 2015 at 2:30pm — 14 Comments
कुत्ते की बेइज्जती
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एक बार सब मिलकर
हाथ जोडो
और कुत्ते की वफादारी को बेइज्जत
करना छोडो
कुत्ता जो एक टूक रोटी…
Added by umesh katara on April 9, 2015 at 8:13am — 16 Comments
मैंने हमेशा,तुमको
एक शान्त ,स्थिर,
धैर्य चित्त रखते हुये
एक समुद्र की तरह चाहा है
मगर क्या तुमने किया
खुद को नदी की तरह
मुझको समर्पित
कदाचित नहीं ।।
नदी ,समुद्र में कूद जाती है
खुद का अस्तित्व मिटाकर
मगर अमर हो जाती है
समुद्र की मुहब्बत बनकर
हमेशा के लिये
और बहती रहती है
युगों युगों तक समुद्र
के हृदय में ।।
मैं समुद्र हूँ
तुम नदी हो
मैं तुम्हें मनाने भी चला आऊँ
मगर मेरे…
Added by umesh katara on April 7, 2015 at 8:00am — 10 Comments
2212 2212
तू मुस्करा के देख ले
दिल से लगा के देख ले
झुकना नहीं मंजूर अब
कोई झुका के देख ले
है नाम तेरे जिन्दगी
बस आजमा के देख ले
ये खेल है दिलकस बहुत
बाजी लगा के देख ले
बुझते मुहब्बत के चिराग
अब तो जला के देख ले
कोई नहीं हमसा यहाँ
नजरें घुमा के देख ले
मौलिक व अप्रकाशित
उमेश कटारा
Added by umesh katara on April 3, 2015 at 8:10pm — 18 Comments
चैन से रहते थे कभी
तीन कमरों की छत के साये में
मैं ,मेरे माँ-बाबूजी
मेरी पत्नि
मेरे बच्चे शामिल थे
एक 'हम ' शब्द में ।
धीरे धीँरे
'हम ' शब्द बिखर गया
मा-बाबूजी बाहर वाले
कमरे में भेज दिये गयेे
अब वो दोनों हो गये थे
' हम ' और माँ-बाबूजी
अब हम ' का विस्तार
मैं,मेरी पत्नि,मेरे बच्चों
तक सिमट गया था
माँ -बाबूजी 'और' हो चुके थे ।।
मेरा बेटा भी अब
बाल बच्चेदार हो गया हैे
'हम ' शब्द आतुर है
एक…
Added by umesh katara on April 2, 2015 at 9:38am — 22 Comments
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