For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Mohan Sethi 'इंतज़ार''s Blog – April 2015 Archive (7)

नया तूफ़ान ........इंतज़ार

जिंदगी में कोई

क्यूँ नहीं मिलता

एक नया तूफ़ान

क्यूँ नहीं खिलता

मैं भी देख लूँ जी के

ऊँचे टीलों पे

क्या होते हैं एहसास

इन कबीलों के !

मैं भी उड़ लूँ

तूफ़ानी फिज़ाओं में

जानता हूँ एक दिन

तूफ़ान थम जायेंगे

फिर खुशिओं के

उत्सव ढल जायेंगे

और बेवफाईओं के

ख़ामोश पल आयेंगे !

मौत आ जाये बेधड़क

तूफ़ान के बवंडर में

न होने से तो

कुछ होना अच्छा होगा

प्यार ना मिलने से तो

मिलकर खोना अच्छा…

Continue

Added by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 29, 2015 at 7:35am — 12 Comments

स्वार्थ ........इंतज़ार

धरती के सीने में

अमृत छलकता है

धरती के ऊपर पानी है

अन्दर भी पानी है

ये धरती की मेहेरबानी है

कि बादल में पानी है

बादल तरसते हैं

तो धरती अपना पानी

नभ तक पहुंचा

उनकी प्यास बुझाती है

बादल बरस कर

एहसान नहीं करते

सिर्फ़ बिन सूद

कर्ज चुकाते हैं

क्यूंकि पानी तो वो

धरती से ही पाते हैं

फिर भी धरती पर गरजते हैं

बिजली गिराते हैं

जहाँ से जीवन पाते हैं

उसी को सताते हैं

जननी का हाल

कुछ ऐसा ही बताया था

परमार्थ का बीज बोया…

Continue

Added by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 28, 2015 at 7:59am — 14 Comments

तृष्णा ........इंतज़ार

देह में तृष्णा के सागर
रेशम में ढकी गागर
इत्र से दबी गंध
लहू के धब्बों में
धुन्दलाया चेहरा
मुखोटों के पीछे
छिपाया मोहरा
न कोई मंजिल
ना कोई पहचान
बैठ ऊँचे मचान पर
ढूंढे नये आसमान
बे-माईने वक़्त का ये जहान
प्रेम परिभाषा ढूँढता वासना में
तम के घेरे में घिरा इंसान !!

******************************************

मौलिक व अप्रकाशित 

Added by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 27, 2015 at 6:30am — 18 Comments

पाषाण ........

हो चुकी हो तुम एक पाषाण

वो एहसासों की लहरों पे तैरना

धड़कनों को खामोशीओं में सुनना

होठों को छू लेने की तड़प

आगोश में भर लेने की चसक

सब रेत के घरोंदे थे .........

रेत के इन घरोंदों को

तूफ़ान से पहले क्यूँ खुद ही ढाना पड़ता है !

चादर में ग़मों की फटन को

वक़्त के धागे से क्यूँ ख़ुद ही सीना पड़ता है !

नींद के आगोश में

मरे हुए ख़वाबों को क्यूँ खुद ही ढोना पड़ता है !

उमंगों के उड़ते परिंदों को

दर्द के दरिया में क्यूँ…

Continue

Added by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 24, 2015 at 4:15am — 12 Comments

कुछ बनना होगा ........'इंतज़ार'

तुम दीया हो तो मुझे बाती बनना होगा

तेरा साथ पाने को चाहे मुझे जलना होगा !

तुम अगर रात हो तो मुझे अँधेरा बनना होगा

तुम से मिलने को मुझे सवेरों से लड़ना होगा !

तुम ग़र दरिया हो तो मुझे समन्दर बनना होगा

तुमको फिर मुहब्बत में मुझ से मिलना होगा !

तुम अगर हवा हो तो मुझे धूल बनना होगा

मुझे आगोश में ले आँधियों में तुम्हें उड़ना होगा !

तुम अगर चाँद हो तो मुझे चकोरी बनना होगा

तुमको हर रात मेरा मिलन का गीत सुनना होगा…

Continue

Added by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 20, 2015 at 1:25pm — 16 Comments

तेरे बिन ........

हवा क्यूँ है ?

ये सूरज क्यूँ है ?

क्या करूँगा मैं किरणों का

ये सूरज निकलता क्यूँ है ?

ना जमीं मेरी है

ना आसमां मेरा

बस इन अंधेरों का अँधेरा मेरा !

ये चमन क्यूँ है

ये फूल मुरझाये क्यूँ नहीं अब तक

ये तितलियाँ... ये भंवरे

घर गये क्यूँ नहीं अब तक

पेड़ों ने पत्तियाँ गिराई नहीं ?

हर चीज़ क्यूँ मुरझाई नहीं अब तक

धड़कनें क्यूँ चल रही हैं धक धक

जब तू ही नहीं

तो क्यूँ है ये दुनियाँ अब तक…

Continue

Added by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 9, 2015 at 7:33am — 5 Comments

चींटियाँ .......'इंतज़ार'

जब तुम गयी हो

तो दिल का भवंरा बेसुध

तेरे दिल के बंद दरवाज़े से

जा टकराया

और गिर पड़ा जमीन पर

होश ना रहा उसको !

जब जागा नींद से

तो बेवफ़ाई की चींटियों ने

था उसे घेरा हुआ

नोच नोच कर खा रहीं थी

मेरे दिल के नादान भंवरे को

घसीटते हुए ले जा रहीं थी

अपनी मांद में

तड़पा था बहुत

कोशिश भी की छुटने की

जालिमों ने मौका न दिया

सोचा.... लोग तो चार कांधों की

आरजू करते हैं

और मुझे चार नहीं

हज़ार कांधे नसीब हुए

और…

Continue

Added by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 2, 2015 at 5:10am — 17 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
10 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service