'तुरंत ' के चन्द विरही दोहे
=======================
वर्षा लाई देश में , जगह जगह पर बाढ़ |
प्रिय तेरे दर्शन बिना , शुष्क गया आषाढ़ ||
**
इधर विरह में सांवरे , गात हो रहा पीत |
इस बारी भी क्या हुआ , काम न पूरा मीत ||
**
पशु-पक्षी भी कर रहे , पिय के साथ किलोल |
अँसुअन बारिश झेलते , मेरे रक्त कपोल ||
**
दिन कटता गृह कार्य में , कठिन काटनी रात |
पल सुधियों…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 28, 2020 at 3:30pm — 2 Comments
ग़ज़ल ( 1222 1222 1222 1222 )
.
वफ़ा के देवता को बेवफ़ा हम कैसे होने दें
बताओ ग़ैर का तुमको ख़ुदा हम कैसे होने दें
नहीं क़ानून की दफ़्आत में कुछ ज़िक्र उलफ़त का
मुहब्बत में क़ज़ा की हो सज़ा हम कैसे होने दें
बिठा कर तख़्त पर हमने रखा है ताज तेरे सर
हमीं पर ज़ुल्म की बारिश बता हम कैसे होने दें
किसी को आसरा गर दे नहीं सकते ज़माने में
किसी को जानकर बे-आसरा हम कैसे होने दें
नतीज़ा ख़ूब भुगता है मरासिम में मसाफ़त…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 25, 2020 at 3:30pm — 6 Comments
ग़ज़ल (2122 1122 1122 22 /112 )
.
मीर तक काश कभी दर्द का मंज़र पहुँचे
और मज़मून-ए-शिकायत की झलक भर पहुँचे
**
आज किस हाल में है देख रिआया रहती
ग़म ज़रा उसका किसी दिल के तो अंदर पहुँचे
**
सिर्फ़ बातें ही किया करते गुहर लाने हैं
क्या कभी आप तह-ए-आब-ए-समंदर पहुँचे
**
जो घरों में हैं दुआ है कि सभी शाद रहें
और बिछड़ा है जो भटका है जो वो घर…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 20, 2020 at 12:30am — 4 Comments
ग़ज़ल(1212 1122 1212 22 /112 )
अगर है जीना तो फ़िक्रों के कारवाँ से निकल
हिसार का जो बनाया उस आसमाँ से निकल
कहा ख़ुशी ने कि हूँ इंतज़ार में कब से
है मेरी बारी अरे ग़म तू इस मकाँ से निकल
अमीर है तो क़ज़ा क्या न आएगी तुझको
फ़ना न होगा तू ऐसे बशर गुमाँ से निकल
ख़ुदा ग़रीब की ख़ातिर तू अश्क बन जा मेरे
दुआ का रूप ले मेरी सदा ज़बाँ से निकल
बिना पसीना बहाये नसीब बनता नहीं
नुज़ूमी और लकीरों के साएबाँ से निकल
हयात लेती है जो भी वो…
ContinueAdded by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 17, 2020 at 4:00pm — 2 Comments
(1212 1122 1212 22 /112 )
.
परिंदा तिफ़्ल हो उसके भी पर तो रहते हैं
ग़रीब हो भले ख़्वाबों में घर तो रहते हैं
**
भले ही ज़िंदगी हासिल हुई अमीरों सी
मगर उन्हें भी कुछ अन्जाने डर तो रहते हैं
**
हुआ है बंद कभी एक रास्ता मत डर
खुले कहीं न कहीं और दर तो रहते हैं
**
मिला न एक सुबू गाँव में तमन्ना का
भले ही हसरतों के कूज़ा-गर तो…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 16, 2020 at 1:30am — 16 Comments
एक गीत
----------------
कच्चे आमों जैसा खट्टा
कभी शहद सा होता जीवन |
***
पाया जीवन है जिसने भी
पल पल देनी पड़े परीक्षा |
कैसे भी हालात किसी के
जीवन की मत करें उपेक्षा |
करते अगर भ्रूण की हत्या
या करते हत्या अपनी तुम
पाप हमेशा कहलायेंगे
न्याय करेगा अगर समीक्षा |
अपनी नादानी के कारण
क्यों करते खिलवाड़ मनुज तुम
मिटटी के सम ठोकर मारो
क्या…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 10, 2020 at 11:30pm — 9 Comments
(1222 *4 )
.
कहीं दिल टूटना देखा कहीं दिलदारी देखी है
कहीं ख़ुशियों की फुलवारी कहीं ग़म-ख़्वारी देखी है
**
नशा देखा कभी ज़र का कभी नादारी देखी है
कभी मस्ती कभी हमने मुसीबत भारी देखी है
**
कभी तल्ख़ी कभी आँसू हसद के दौर अपनों के
मरासिम को निभाते वक़्त दुनियादारी देखी है
**
अधूरे रह न जाएँ ख़्वाब…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 10, 2020 at 1:00am — 14 Comments
( 1222 1222 1222 1222 )
.
नदी इंकार मत करना कभी तू अपनी क़ुर्बत से
समुन्दर बेसहारा हो न जाये तेरी हरकत से
हमेशा वक़्त हो महफ़िल सजाने लुत्फ़ लेने का
ख़ुदाया दूर रखना ज़िंदगी भर शाम-ए-फ़ुर्क़त से
जहाँ में हर बशर को नैमत-ए-उल्फ़त अता करना
कहीं भी रब न रह पाए कोई महरूम चाहत से
ज़रा सी गुफ़्तगू शीरीं भी करना सीख लो मीरों
हमेशा मसअले हल हो नहीं सकते हैं ताक़त…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 4, 2020 at 4:00pm — 11 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |