221 - 2121 - 1221 - 212
ख़ुशियों का मौक़ा आया है ख़ुशियाँ मनाइये
आज़ादी का ये दिन है ज़रा मुस्कुराइये
क़ुर्बानियाँ शहीदों की भूलेंगे हम नहीं
दिल से कभी हमारे मिटेंगे ये ग़म नहीं
माना वो दर्द हमसे भुलाया न जाएगा
ये जश्न भी ख़ुशी का मिटाया न जाएगा
मिलकर सब एक साथ तिरंगा उठाइये
जय हिंद की सदा से फ़ज़ा को गुँजाइये
ख़ुशियों का मौक़ा आया है ख़ुशियाँ मनाइये
आज़ादी का ये दिन है ज़रा…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 15, 2022 at 12:05pm — 4 Comments
एक जनम मुझे और मिले, मां, मैं देश की सेवा कर पाऊं
दूध का ऋण उतारा अब तक, मिट्टी का ऋण भी चुका पाऊं
मुझको तुम बांधे ना रखना, अपनी ममता के बंधन में
मैं उसका भी हिस्सा हूँ मां, तुमने है जन्म लिया जिसमे
शादी बच्चे घर संसार, ये सब मेरे पग को बांधे है
लेकिन मुझसे मिट्टी मेरी, मां, बस एक बलिदान ही मांगे है
सब हीं आंचल मे छुपे रहे तो, देश को कौन संंभालेगा
सीमा पर शत्रु सेना से, फिर कौन कहो लोहा…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 15, 2022 at 11:43am — No Comments
आजादी
1. मैं शाम को स्कूटी से आ रहा था।एक ऑटो से आगे निकलता कि उसी लेन में सामने से तेज गति से लहराती एक मोटर साइकिल आ गई। मैं थोड़ा दाएं हटा,ऑटो थोड़ा बाएं।मोटर साइकिल सवार बेधड़क निकल गए।भयमुक्त होने के बाद मैंने पीछे की तरफ आंखें तरेड़ी।
"कोई फायदा नहीं।आजादी है।"ऑटो ड्राइवर बोला।
2. फ्लैट के म्यूटेशन के क्रम में वह आज फिर निगम कार्यालय गया।कागजात पहले ही जमा हो चुके थे।संबंधित अधिकारी से उस दिन बात शुरू हुई थी,तो वह बोला था," आदेश होगा,तो आपका…
ContinueAdded by Manan Kumar singh on August 15, 2022 at 11:41am — 2 Comments
"हमारा देश तरक्की कर रहा है।प्रति व्यक्ति आय लगातार बढ़ी है।"अर्थशास्त्री ने ज्ञान बघाड़ा।
"तो लोगों के हाथ में भीख का कटोरा क्यों है?"समाजशास्त्री ने कील चुभोई।
"भीख का कटोरा?मतलब?"
"लोग मुफ्त का राशन खाने को मजबूर हैं।मंदिरों -मस्जिदों के सामने एक -एक सिक्के के लिए गुहार लगाते लोग नहीं दिखते आपको?" सुनकर अर्थशास्त्री जी मुंह फिरा चल पड़े।
"मौलिक एवं अप्रकाशित"
Added by Manan Kumar singh on August 14, 2022 at 7:45pm — 2 Comments
नमन है ज्ञानदा अरु शारदा को सर्वदा सततम।
करें मतिमन्दता को दूर जो अज्ञान को हरदम।१।
विनाशें भक्तगण के मनतिमिर को तेज से भर दें।
मिटा संशय सदा जीवन बना उज्ज्वल सफल कर दें।२।
भगवती शारदा वरदा प्रवाहित ज्ञानगङ्गा कीजिये।
मति को विमल करके सकल अज्ञानता हर लीजिये।३।
स्वच्छ मन हो अरु मुदित जन-जन का जीवन हो।
सभी सज्जन बनें सुधिजन करें शुभकर्म वर्धन हो।४।
मनोरथ पूर्ण करती हैं सदा वरदायिनी माता।
उन्हीं की हो…
ContinueAdded by Awanish Dhar Dvivedi on August 14, 2022 at 6:03pm — No Comments
हमारे पंथ मजहब धर्म में हो भिन्नता लेकिन
जहाँ हो बात भारत की तो फिर मत एकता होगी।
रहेगा कोई न हिन्दू न मुस्लिम सिक्ख ईसाई
जहाँ हो बात भारत की तो बस राष्ट्रीयता होगी।१।
हैं झण्डे सबके अपने आप में बहुमूल्य अरु शोभित
मगर एक राष्ट्र के ध्वज में समन्वित शक्ति निर्बाधित।
न कोई हैं यहाँ छोटा बड़ा ना कोई भारत में
सभी मिलजुल के रहते हैं जगत में कीर्ति है भाषित।२।
है भारत देश ये प्यारा है इसकी बात ही न्यारी
यहाँ की सभ्यता…
ContinueAdded by Awanish Dhar Dvivedi on August 13, 2022 at 8:41pm — No Comments
Added by Usha Awasthi on August 13, 2022 at 12:20pm — 2 Comments
राखी पर कुछ दोहे. . . .
भाई बहिन के प्यार का, राखी है त्योहार ।
पावन धागों में छुपी , बहना की मनुहार ।।
बहना भेजे डाक से, भाई को सन्देश ।
राखी भैया बाँधना, मैं बैठी परदेश ।।
रंग बिरंगी राखियाँ, रिश्तों का संसार ।
धागों में है छुपी हुई, बहना की मनुहार ।।
राखी ले कर भ्रात के, बहना आई द्वार ।
तिलक लगाती माथ पर, देती दुआ हजार ।।
बहना चाहे भ्रात का, सुखी रहे परिवार ।
रिश्तों में चलती रहे, मीठी मधुर…
Added by Sushil Sarna on August 11, 2022 at 1:02pm — 2 Comments
Added by Awanish Dhar Dvivedi on August 10, 2022 at 12:24am — 2 Comments
गज़ल
221 2121 1221 212
उम्मीद अब नहीं कोई वो दीदावर मिले
बहतर खुुदा कसम वही चारागर मिले ( मतला )
लगता नहीं है दिल कोई तो हमसफर मिले
अब लौट आ कि हम सनम सारी उमर मिले
अनजान तुम नहीं हो कि मिलते नहीं कभी
कुछ कर सको तो तुम करो मुझको दर मिले
उलझन भरी हैं रातें बड़ी बेहिसी वो दिन
हो दोस्त कोई अपना सही रहगुज़र मिले
दिन- रात हो गये बड़े मुश्किल भी बढ़…
ContinueAdded by Chetan Prakash on August 9, 2022 at 11:30am — 1 Comment
गुमसुम सा रहता हूँ, चुप-चुप सा रहता हूँ
लोग मेरी चुप्पी को, मेरा गुरूर समझते है
भीड़ में भी मैं, तन्हा सा रहता हूँ
मेरे अकेलेपन को देख, मुझे मगरूर समझते हैं
अपने-पराये में, मैं घुल नहीं सकता
मैं दाग हूँ ज़िद्दी बस, धूल नहीं सकता
मैं शांत जल सा हूँ, बड़े राज़ गहरे है
बहुरूपिये यहाँ हैं सब, बडे …
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 9, 2022 at 9:47am — No Comments
दोस्ती यानि जिंदगी....जिंदगी की नींव, खुशी, ख्वाब हैं और ख्वाब की ताबीर भी...!दोस्ती वो ताकत होती हैं जो निराशा, हताशा, अवसाद के क्षणों में समझकर मानसिक शांति देता हैं।लेकिन यह भी सच हैं कि बुनियादी संस्कार व जीवन जीने का सलीका सिखाने वाले परिवार के अस्तित्व के बिना कल्पना नही की जा सकती।उन्मुक्त संसार में उम्मीदों की किरणें बिखेरने वाली दोस्ती और इच्छाओं को सम्मान देने वाले परिवार के मध्यस्थ महीन बाल बराबर अंतर होते हुये भी हर रिश्ते…
ContinueAdded by babitagupta on August 7, 2022 at 10:21am — No Comments
122 122 122 122
हक़ीक़त जुदा थी कहानी अलग है
सुनो ख़्वाब से ज़िंदगानी अलग है
ये गरमी की बारिश सुकूँ है अगरचे
मग़र आँख से बहता पानी अलग है
है खानाबदोशों की ख़ामोश बस्ती
यहाँ ज़िन्दगी का मआनी अलग है
मियां शायरी को ज़रा मांजियेगा
कहे ऊला कुछ और सानी अलग है
पढ़ें गौर से जल्दबाजी न …
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 6, 2022 at 8:30am — 10 Comments
1212 - 1122 - 1212 - 22
जुनून-ए-इश्क़ जिसे हो कहाँ ठहरता है
हवादिसात के सहरा से भी गुज़रता है
हक़ीक़तों की ज़मीं पर जो आ ठहरता है
तसव्वुरात के दरिया में कब उतरता है
बुझा सका है कभी इश्क़ की लगी भी कोई
भड़कती आग का दरिया है ख़ुद उतरता है
मियाँ शराब नहीं सिर्फ़ शय बुरी, तन्हा
बुतों का हुस्न भी ईमाँ ख़राब करता है
तमाम दर्द मेरे दिल के मिट ही जाते…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 5, 2022 at 7:33pm — 2 Comments
ना राधा सी उदासी हूँ मैं, ना मीरा सी प्यासी हूँ
मैं रुक्मणी हूँ अपने श्याम की, मैं हीं उसकी अधिकारी हूँ
ना राधा सी रास रचाऊँ ना, मीरा सा विष पी पाऊँ
मैं अपने गिरधर को निशदिन, बस अपने आलिंगन मे पाऊँ
क्यूँ जानु मैं दर्द विरह का, क्यों काँटों से आंचल उलझाऊँ
मैं तो बस अपने मधुसूदन के, मधूर प्रेम में गोते खाऊँ
क्यूँ ना उसको वश में कर लूँ, स्नेह सदा अधरों पर धर लूँ
अपने प्रेम के करागृह में, मैं अपने…
ContinueAdded by AMAN SINHA on August 1, 2022 at 1:50pm — No Comments
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