For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

SANDEEP KUMAR PATEL's Blog – December 2012 Archive (12)

मुल्क में कोहराम कैसा है

मुल्क में कोहराम कैसा है

या खुदा ये निजाम कैसा है



बाद दंगों के क्या दिखा तुमको

कैसा अल्लाह राम कैसा है



हाथ जोड़े थे वोट लेने को  

देखना अब के काम कैसा है



खातिरे हक़ चली ये आंधी को 

रोकने इंतजाम कैसा है  



बादशा से सवाल करता जो

बेअदब ये गुलाम कैसा है 



मूक अंधी बधिर ये सत्ता से 

जो मिला ये इनाम कैसा है 



हुक्मरानों के शहर में देखो 

भीड़ कैसी ये जाम कैसा है 



कह रहा "दीप" देश की हालत 

आप कहिये कलाम…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on December 25, 2012 at 11:00am — 8 Comments

भेडियों के राज में शेरों की हस्ती देखिये

==========ग़ज़ल===========



भेडियों के राज में शेरों की हस्ती देखिये

फिर रहे डंडा दिखाते सरपरस्ती देखिये



राजधानी में लगी यूँ आग गर्मी आ गयी 

हो रही सड़कों में अब पानी से मस्ती देखिये 



वो बुरा कहते नहीं सुनते नहीं देखें नहीं

खामखा ही…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on December 23, 2012 at 8:29pm — 11 Comments

"ग़ज़ल" शाम अब ढलने लगी है या सबेरा हो गया

इक ग़ज़ल पेशेखिदमत है दोस्तों 



उड़ गयी चिड़िया सुनहरी क्या बसेरा हो गया

देखते ही देखते बाजों का डेरा हो गया



कुर्बतों में मिट गयी तहजीब की दीवार यूँ

आपका कहते थे जो अब तू औ तेरा हो गया



कागजी टुकड़े खुदा हैं और उनके नूर से

बंद…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on December 22, 2012 at 4:00pm — 11 Comments

क्यूँ सड़क पर बीनते हो पन्नियाँ



हास्य कहाँ कहाँ से निकलता है मुझे स्वयं यकीन नहीं होता



अब देखिये



सेठ जी ने सड़क पे पन्नी बीनते बच्चे से संवेदना भरे स्वर में पूछा



क्यूँ सड़क पर बीनते हो पन्नियाँ

मिल नहीं पाती है जब चवन्नियाँ

काम कर लो घर पे मेरे तुम अगर

रोज मिल जाएँगी कुछ अठन्नियां



लड़का बोला



जेब से सबकी चुरा चवन्नियां

हमको दोगे आप कुछ अठन्नियां

चोर के घर काम करना पाप है

उससे बेहतर है उठाना पन्नियाँ



आप भी मेहनत करो अब सेठ…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on December 17, 2012 at 3:59pm — 7 Comments

"ग़ज़ल"गर खराबी है तो ये सिस्टम बदलना चाहिए

==========ग़ज़ल============



आ गया है वक़्त सबको साथ चलना चाहिए

दोस्तों दिल में अमन का दीप जलना चाहिए



खून की होली, धमाके, रेप, हत्या देख कर

जम चुका बर्फ़ाब सा ये दिल पिघलना चाहिए



मात देने मुल्क में पसरे हुए आतंक को 

बाँध कर सर…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on December 16, 2012 at 11:00am — 13 Comments

मेरी चाहत की दुनिया आ के फिर संवार दो

मेरी चाहत की दुनिया आ के फिर संवार दो



ठिठुरती शीत में सिमटी हुई सी रात है

अकेलेपन का गम ये इश्क की सौगात है

विरह ये लग रहा जैसे हृदय आघात है

वक़्त के सामने मेरी भी क्या औकात है



प्रिये तडपाओ न अब और जरा प्यार दो

मेरी चाहत की दुनिया आ के फिर संवार दो



सुबह है शबनमी प्यारी गुलाबी शाम है

हवा के हाथ में कोई तिलिस्मी जाम है

युगल स्वक्छंद फिरते दे रहे पयाम हैं

इश्क करते रहो ये आशिकों का काम है



प्रिये मेरे गले को बाहों का…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on December 15, 2012 at 4:17pm — 12 Comments

या फिर सागर मंथन होगा ???

या फिर सागर मंथन होगा ???

बात सत्य लगती खारी जब 
गरल उगलते नर नारी तब 
छुप कर बैठे विष धारी सब 

इस पर शिव से चिंतन होगा
या फिर सागर मंथन होगा ???

कितना किसको तुमने बांटा
सुख की माला दुःख का काँटा
नमक दाल और चावल आटा

पास किसी के अंकन होगा
या फिर सागर मंथन होगा ???..................

संदीप पटेल "दीप"

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on December 13, 2012 at 6:02pm — 4 Comments

शब्द दर शब्द बोलती हैं कुछ खामोश चीखें

शब्द दर शब्द बोलती हैं कुछ खामोश चीखें  



मैंने माना कोई नहीं अपना 

तोड़ डाला है आज हर सपना

रखे गैरत मिला है क्या मुझको

सोच में इसकी भला क्यूँ खपना 



सुन लूँ बिसरी हुई सी ऊँघती बेहोश चीखें

शब्द दर शब्द बोलती हैं कुछ खामोश…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on December 13, 2012 at 3:45pm — 4 Comments

ईमानदारी

दिन रात सरकारी सिस्टम और तथाकथित भ्रष्टाचारियों को कोसते कोसते एक दिन कोसू राम भगवान् के घर को विदा हुए जी हाँ जिन्दगी भर ईमानदारी से जिए कोसू राम जी जैसे ही ऊपर पहुंचे, भीड़ लगी हुई थी चौंककर पूछा ये क्या हो रहा है !! आवाज आई पंक्ति में खड़े हो जाओ फिर बताते हैं, कोसू राम जी पंक्ति में खड़े हो गए आगे वाले सज्जन ने बताया वो दरवाजे देख रहे हो उनसे हमें पंक्तिबद्ध अन्दर जाना है शुक्रिया अदा कर कोसूराम जी सोचने लगे, चलिए आज कुछ तो अच्छा हुआ यहाँ कुछ तो ईमानदारी है अपना नंबर आ ही जायेगा । थोड़ी देर…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on December 12, 2012 at 6:00pm — 1 Comment

गीत



प्रिये तुम प्रिये तुम कहाँ गुम कहाँ गुम

तुझे ढूढूं दिन रैना हो के मैं भी गुम



तेरे बिन दिल को चैन नहीं है

मन कहे मुझसे तू यहीं कहीं है

शब् भर आँखें जाग रहीं है

निन्दिया मुझसे मेरी भाग रही है



वो जो…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on December 11, 2012 at 4:52pm — 8 Comments

नहीं छुपता है आशिक से वो आँखों की जुबाँ समझे

अपनी कल की ग़ज़ल में कुछ सुधार किये हैं ग़ज़ल की तकनीकी गलतियाँ दूर करने की कोशिश की है आशा है आप सभी को प्रयास सुखद लगेगा 



हैं हम गैरत के मारे पर ये सौदागर कहाँ समझे

लगाई कीमते गैरत औ गैरत को गुमाँ समझे



छिड़क कर इत्र कमरे में वो मौसम को रवाँ समझे

है बूढा पर छुपाकर झुर्रियां खुद को जवाँ समझे



गुलिस्ताँ से उठा लाया गुलों की चार किस्में जो

सजा गुलदान में उनको खुदी को बागवाँ समझे



बने जाबित जो ऑफिस में खुदी को कैद करता है

घिरा दीवार से…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on December 6, 2012 at 4:00pm — 14 Comments

बंजरों के लोग भी अब कस्तियाँ लेने लगे

कार में बैठे शराबी चुस्कियाँ लेने लगे

तब भिखारी भी शहर के आशियाँ लेने लगे



रूठना आता नहीं है पर दिखावा कर लिया

रूठने के बाद हम ही सिसकियाँ लेने लगे



घूमने आये थे मंत्री जो निरिक्षण में अभी

चाय पीकर वो भी देखो झपकियाँ लेने लगे…



Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on December 5, 2012 at 4:38pm — 13 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
14 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service