1222 1222 1222 122
नया सूरज नई आशा चलो इक बार फिर से
शब-ए-ग़म में नया किस्सा चलो इक बार फिर से
तेरे पिंदार का दामन तसव्वुर थाम लेगा
तेरी यादें तेरा चर्चा चलो इक बार फिर से
किसे हसरत बहारों की किसे चाहत चमन की
वही जंगल वही सहरा चलो इक बार फिर से
किसी पर तंज़िया पत्थर उछालेंगे न हरगिज
यही ख़ुद से करें वादा चलो इक बार फिर से
बुझेगी तिश्नगी अपनी शरारों से हमेशा
निगलने आग का दरिया चलो…
ContinueAdded by khursheed khairadi on December 31, 2014 at 11:00am — 13 Comments
२२१ १२२२ २२१ १२२२
महबूब ख़ुदा मेरा ,उल्फ़त ही इबादत है
है दीन बड़ा मुश्किल ,आसान मुहब्बत है
तेजाब छिड़कते हो कलियों के तबस्सुम पर
कहते हो इसे मज़हब ,क्या ख़ूब इबारत है
ये खून खराबा क्यूं ,ये शोर शराबा क्यूं
मैं किसको झुकाऊँ सिर ,इसमें भी सियासत है
इक सब्ज़ पैराहन पर , है खून के कुछ छीटें
दहशत में लड़कपन है ,नफ़रत की वज़ाहत है वज़ाहत=विस्तार \पराकाष्टा
बारूद की बदबू है ,बच्चों के खिलौनों…
ContinueAdded by khursheed khairadi on December 28, 2014 at 11:00pm — 10 Comments
अपनी ही परछाई से डर लगता है
मुझको इस तन्हाई से डर लगता है
साथ देखकर भाईयों का जग डरता
भाई को अब भाई से डर लगता है
मनमोहक है भोलापन उसका इतना
दुनिया की चतुराई से डर लगता है
मौन रहूं या झूठ कहूं उलझन में हूं
लोगों को सच्चाई से डर लगता है
सारा जीवन सहराओं में भटका हूं
मुझको अब अमराई से डर लगता है
कानों में इक सिसकी सीसा घोल गई
मुझको अब शहनाई से डर लगता है
ग़म…
ContinueAdded by khursheed khairadi on December 24, 2014 at 3:30pm — 10 Comments
एक धरा है एक गगन है
किंतु विभाजित अपना मन है
मीत किसी का ख़ाक बनेगा
उसकी ख़ुद से ही अनबन है
याद तुम्हारी महकाये मन
इस सहरा में इक गुलशन है
स्वर्ग तिहारे चरणों की रज
मातृधरा तुझको वंदन है
चौक बड़ा सा एक चबूतर
यादों में कच्चा आँगन है
नहीं बहलता खुशियों से मन
ग़म से अपना अपनापन है
आँसू बाती आँखें दीपक
दुख की लौ में सुख रोशन है
घाव दिये…
ContinueAdded by khursheed khairadi on December 23, 2014 at 12:30pm — 22 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |