212 212 212 212
पूछिये मत यहां गमज़दा कौन है ।
पूछिये मुद्दतों से हँसा कौन है ।।
वो तग़ाफ़ुल में रस्में अदा कर गया ।
कुछ खबर ही नहीं लापता कौन है ।
घर बुलाकर सनम ने बयां कर दिया ।
आप आ ही गये तो ख़फ़ा कौन है ।।
इस तरह कोई बदला है लहजा कहाँ ।
आपके साथ में रहनुमा कौन है ।।
आज तो बस सँवरने की हद हो गई ।
यह बता दीजिए आईना कौन है ।।
अश्क़ आंखों से छलका तो कहने लगे ।
ढल गई उम्र अब पूंछता कौन है ।।
यूँ भटकता…
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Added by Naveen Mani Tripathi on September 5, 2017 at 3:17pm —
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221 2121 1221 212
आ जाइये हुजूर जरा फिर हिजाब में ।
लगती बुरी नजर है यहां माहताब में ।।
बच्चों की लाश पर है तमाशा जनाब का ।
औलाद खो रहे किसी खानाखराब में ।।
अंदाज आपके हैं बदलते अना के साथ ।
शायद कोई नशा है यहां इंकलाब में ।।
सत्ता मिली जो आपको चलने लगे हैं दौर ।
डूबे मिले हैं आप भी महंगी शराब में ।।
खामोशियों के बीच जफा फिर जवाँ हुई ।
आंखों ने अर्ज कर दिया लुब्बे लुआब में ।।
यूँ ही किया था जुर्म वो दौलत…
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Added by Naveen Mani Tripathi on September 1, 2017 at 11:06pm —
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2122 2122 2122 212
वो तेरा छत पर बुलाकर रूठ जाना फिर कहाँ ।
वस्ल के एहसास पर नज़रें चुराना फिर कहाँ ।।
कुछ ग़ज़ल में थी कशिश कुछ आपकी आवाज थी ।
पूछता ही रह गया अगला तराना फिर कहाँ ।।
आरजू के दरमियाँ घायल न हो जाये हया ।
अब हया के वास्ते पर्दा गिराना फिर कहाँ ।।
कातिलाना वार करती वो अदा भूली नहीं ।
शह्र में चर्चा बहुत थी अब निशाना फिर कहाँ ।।
तोड़ते वो आइनों को बारहा इस फिक्र में ।
लुट गया है हुस्न का इतना खज़ाना फिर कहाँ…
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Added by Naveen Mani Tripathi on August 28, 2017 at 12:18am —
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2122 2122 2122 212
वो तेरा छत पर बुलाकर रूठ जाना फिर कहाँ ।
वस्ल के एहसास पर नज़रें चुराना फिर कहाँ ।।
कुछ ग़ज़ल में थी कशिश कुछ आपकी आवाज थी ।
पूछता ही रह गया अगला तराना फिर कहाँ ।।
आरजू के दरमियाँ घायल न हो जाये हया ।
अब हया के वास्ते पर्दा गिराना फिर कहाँ ।।
कातिलाना वार करती वो अदा भूली नहीं ।
शह्र में चर्चा बहुत थी अब निशाना फिर कहाँ ।।
तोड़ते वो आइनों को बारहा इस फिक्र में ।
लुट गया है हुस्न का इतना खज़ाना फिर कहाँ…
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Added by Naveen Mani Tripathi on August 25, 2017 at 10:30pm —
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221 1221 1221 122
माना कि तेरे दिल की इनायत भी बहुत थी ।
पर साथ इनायत के हिदायत भी बहुत थी ।।
आते थे वो बेफिक्र मेरे शहर में अक्सर ।
तहजीब निभाने की रवायत भी बहुत थी ।।
महंगे मिले हैं लोग मुहब्बत के सफ़र में ।
यह बात अलग है कि रिआयत भी बहुत थी।।
चेहरे को पढा उसने कई बार नज़र से ।
महफ़िल में तबस्सुम की किफ़ायत भी बहुत थी ।।
वो हार गए फिर से अदालत में सरेआम ।
हालाकि नजीरों की हिमायत भी बहुत थी ।।
छूटी हैं…
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Added by Naveen Mani Tripathi on August 23, 2017 at 9:00am —
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212 212 212 212
इक नज़र क्या उठी देखने के लिए ।
चाँद छिपता गया फासले के लिए ।।
कोई सरसर उड़ा ले गई झोपड़ी ।
सोचिये मत मुझे लूटने के लिए ।।
मौत मुमकिन मेरी उसको आना ही है ।
दिन बचे ही कहाँ काटने के लिए ।।
जहर जो था मिला आपसे प्यार में ।
लोग कहते गए घूँटने के लिए ।।
रात आई गई फिर शहर हो गई ।
याद कहती रही जागने के लिए ।।
जब रकीबो से चर्चा हुई आपकी ।
फिर पता मिल गया ढूढने के लिए ।।
सज के आए हैं…
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Added by Naveen Mani Tripathi on August 22, 2017 at 6:00pm —
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1222 1222 122
नए चेहरों की कुछ दरकार है क्या ।
बदलनी अब तुम्हें सरकार है क्या ।।
बड़ी मुश्किल से रोजी मिल सकी है ।
किया तुमने कोई उपकार है क्या ।।
सुना मासूम की सांसें बिकी हैं ।
तुम्हारा यह नया व्यापार है क्या ।।
इलेक्शन लड़ गए तुम जात कहकर ।
तुम्हारी बात का आधार है क्या ।।
यहां पर जिस्म फिर नोचा गया है ।
यहां भी भेड़िया खूंखार है क्या ।।
बड़ी शिद्दत से मुझको पढ़ रहे हो ।
मेरा चेहरा कोई अखबार है क्या…
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Added by Naveen Mani Tripathi on August 20, 2017 at 4:30pm —
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122 122 122 122
ख़यानत की खातिर मुहब्बत नहीं है ।
मेरी आशिकी क्या अमानत नहीं है ।।
हुई दफ़अतन जो ख़ता थी नज़र से ।
हमें अब नज़र से शिकायत नहीं है ।।
मिटा कर चले जा रहे हैं उमीदें ।
बची आप में भी सराफ़त नहीं है ।।
चले आइये बज्म में रफ्ता रफ्ता ।
मेरी आप से अब अदावत नहीं है ।।
ठहर जाने वाले यकीं कर मेरा तू ।
मेरे दिल की अब तक इज़ाजत नहीं है ।।
तेरे दर पे आना मुनासिब कहाँ अब ।
वहां आशिकों की निज़ामत नहीं है…
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Added by Naveen Mani Tripathi on August 7, 2017 at 5:25pm —
15 Comments
221 2121 1221 212
इतनी जफ़ा शबाब पे लाया न कीजिये ।
मुझको मेरा वजूद बताया न कीजिये ।।
भूखें हैं नौजवान कटोरा है हाथ में ।
थाली किसी के हक़ की हटाया न कीजिये ।।
बेटा पढा लिखा के वो नीलाम हो गया ।
कोटे की राजनीति कराया न कीजिये ।।
अब न्याय क्या करेंगे कभी आप मुल्क से ।
झूठी तसल्लियों को दिलाया न कीजिये ।।
कुर्सी पे जात ढूढ के चेहरा दिखा दिया ।
गन्दा है जातिवाद सिखाया न कीजिये ।।
वो जल रहा है आज भी मण्डल की आग से…
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Added by Naveen Mani Tripathi on August 4, 2017 at 7:53pm —
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2212 2212 2212 2212
बस रात भर की बात थी , फिर भी रहा पहरा तेरा ।
ऐ चाँद तेरी बज़्म में कायम रहा रुतबा तेरा ।।
वो तीरगी जाती रही रोशन लगी हर शब मुझे ।
मेरे तसव्वुर में कभी जब अक्स ये उभरा तेरा ।।
टूटा हुआ तारा था इक हँसता रहा क्यूँ कहकशां ।
यूँ ही जमीं से देखता मैं रह गया लहज़ा तेरा ।।
देकर गई है मुफ़लिसी ,कुछ तज्रिबा भी कीमती ।
मुझको अभी तक याद है ,बख़्शा हुआ सदक़ा तेरा।।
है जिक्र तेरे हुस्न का बाकी कोई चर्चा नहीं ।
है…
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Added by Naveen Mani Tripathi on August 1, 2017 at 2:00pm —
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2122 1122 1122 22
मेरी आबाद मुहब्बत को मिटाने वाले ।
तू सलामत रहे यूँ छोड़ के जाने वाले ।।
चन्द रातों की मुलाकात न् सोने देगी ।
याद आएंगे बहुत नींद चुराने वाले ।।
कितना बदला है जमाने का चलन देख जरा ।
तोड़ जाते हैं ये दिल ,प्यार निभाने वाले ।।
इस तरह रूठ के जाने की जरूरत क्या थीं।
यूँ किताबों में गुलाबों को छिपाने वाले ।।
खास अशआर लिखे थे जो कभी खत में तुझे ।
क्या मिला तुझ को मेरे ख़त को जलाने वाले ।।
आज निकले वो…
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Added by Naveen Mani Tripathi on July 25, 2017 at 2:30am —
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2122 1212 22
हौसला फिर कोई बड़ा रखिये ।
खुद के होने की इत्तला रखिये ।।
जिंदगी में सुकूँ ज़रूरी है ।
आसमां सर पे मत उठा रखिये ।।
बन्द मत कीजिये दरीचों को ।
इन हवाओं का सिलसिला रखिये ।।
हार जाएं न कोशिशें मेरी ।
मेरे खातिर भी कुछ दुआ रखिये ।।
खो न जाऊं कहीं जमाने में ।
हाल क्या है जरा पता रखिये ।।
दुश्मनी खूब कीजिये लेकिन ।
दिल से जुड़ने का रास्ता रखिये ।।
गर जमाने के साथ है चलना ।मुज़रिमों से…
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Added by Naveen Mani Tripathi on July 18, 2017 at 10:11am —
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2122 1212 1122 22
है कोई तिश्नगी जरूर तेरी आँखों में |
मीठे एहसास का सरूर तेरी आँखों में ||
जब भी देखा गया ये अक्स किसी दर्पण में ।
बे अदब आ गया , गुरूर तेरी आँखों में ||
ख़ास मुश्किल के बाद ही तेरे दर तक पहुँचा ।
कुछ उमीदें दिखीं हैं दूर तेरी आँखों में ।।
मैं तो हाज़िर था तेरीे एक नज़र पर साकी ।
बेसबब क्यो हुआ फितूर तेरी आँखों में ।।
जाम छलके नहीं है आज तलकभी तुझसे ।
है बड़ा कीमती शऊूर तेरी आँखों में…
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Added by Naveen Mani Tripathi on July 16, 2017 at 6:30pm —
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2122 1212 22
बात दिल की जुबान तक आई ।
कोई हसरत उफ़ान तक आई ।।
मैं नहीं बन्द कर रहा कोटा ।
यह बहस संविधान तक आई ।।
हौसले फिर जले सवर्णो के ।
रोशनी आसमान तक आई ।।
फायदा क्या मिला हुकूमत से ।
बस नसीहत लगान तक आयी ।।
मिटती हस्ती को देखता हूँ मैं ।
आंख जब भी रुझान तक आई ।।
यह नदी इंतकाम की खातिर ।
आज हद के निशान तक आई ।।
हक जो मांगा है,औरतों ने कभी ।
रोज चर्चा कुरान तक आई ।।
बूंद…
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Added by Naveen Mani Tripathi on July 15, 2017 at 2:26pm —
16 Comments
2122 2122 212
वो हमारा आइना हो जाएगा ।
सच कहूँ दिल का खुदा हो जाएगा ।
हैं विचाराधीन सारे जुर्म क्यों ।
वह इलेक्शन में खड़ा हो जाएगा ।।
देखना तुम भी इसी बाजार में ।
सच भी कोई मकबरा हो जाएगा ।।
फैसले होंगे उसी के हक़ में अब ।
हाकिमों से मशबरा हो जाएगा ।।
इस सियासत में कोई जल्लाद भी ।
जिंदगी का रहनुमा हो जाएगा ।।
फिर कहर ढाने लगा है वह शबाब ।
हुस्न पर कोई फ़ना हो जाएगा ।।
शरबती आंखों की हरकत…
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Added by Naveen Mani Tripathi on July 10, 2017 at 10:00am —
8 Comments
*2122 1122 1122 22*
इस तरह अम्न को बर्बाद करेगी दुनिया ।
फिर नए जुर्म की तादाद करेगी दुनिया ।।
छीन लेती है निवाले भी मेरे बच्चों से ।
कब तलक कर्ज से आज़ाद करेगी दुनियां ।।
जब भी मकसद का शजर बनके नज़र आऊंगा।
मेरी ताक़ीद पे फरियाद करेगी दुनिया ।।
रोज उठता है धुंआ एक कहानी लेकर ।
क्या बताऊँ की किसे याद करेगी दुनिया ।।
है सराफ़त से तेरी बज्म में जीना मुश्किल ।
साफ दामन पे बहुत शाद करेगी दुनिया ।।
कत्ल करने का सलीका भी…
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Added by Naveen Mani Tripathi on July 8, 2017 at 11:27pm —
9 Comments
*2122 1122 1122 22*
इस तरह अम्न को बर्बाद करेगी दुनिया ।
फिर नए जुर्म की तादाद करेगी दुनिया ।।
छीन लेती है निवाले भी मेरे बच्चों से ।
कब तलक कर्ज से आज़ाद करेगी दुनियां ।।
जब भी मकसद का शजर बनके नज़र आऊंगा।
मेरी ताक़ीद पे फरियाद करेगी दुनिया ।।
रोज उठता है धुंआ एक कहानी लेकर ।
क्या बताऊँ की किसे याद करेगी दुनिया ।।
है सराफ़त से तेरी बज्म में जीना मुश्किल ।
साफ दामन पे बहुत शाद करेगी दुनिया ।।
कत्ल करने का सलीका भी…
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Added by Naveen Mani Tripathi on July 8, 2017 at 11:27pm —
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*221 2121 1221 212*
किस्मत ने उस के साथ करिश्मा नहीं किया ।
जिसने कभी वफ़ा से किनारा नहीं किया ।।
रहना पड़ा उसी के बज़्म में तमाम उम्र ।
जिसने हमारा साथ गवारा नहीं किया ।।
कितनी मिली जफ़ा है मुहब्बत के वास्ते ।
तुमने कभी हिसाब पे चर्चा नहीं किया ।।
कानून पास हो चुके मुद्दों के नाम पर ।
किसने कहा करों में इजाफा नहीं किया ।।
लुटती है आबरू जो सरेआम शह्र में ।
कहते हैं लोग हुस्न पे परदा नहीं किया ।।
शायद कोई ख़ता…
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Added by Naveen Mani Tripathi on July 2, 2017 at 4:15pm —
8 Comments
सुंदर चितवन उर बसे ,सुंदर सुंदर नैन ।
मृगनैनी को देखकर खोया खोया चैन ।।
अलक छटा बिखरी हुई यौवन पर मधुमास ।
मेघ तृप्त करने चला शुष्क धरा की प्यास ।।
श्वास श्वास में दीर्घता ,अग्नि हुई उच्छ्वास ।
दहकी सारी देह है ,प्रियतम तेरे पास ।।
ज्वाला मुखरित जब हुई,प्रणय बना उन्माद ।
प्रिय के स्वर करते गए,जीवन भर अनुनाद ।।
प्रियतम का है आगमन ,मन में हाहाकार ।
दर्पण पर होने लगी ,प्रश्नों की बौछार ।।
क्षण प्रतिक्षण वह…
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Added by Naveen Mani Tripathi on June 28, 2017 at 4:00pm —
6 Comments
देखिए ग़ज़ल हुई क्या ??
*221 2121 1221 212*
कैसे कहूँ मैं आपसे मुझको गिला नहीं ।
चेहरे से क्यूँ नकाब अभी तक उठा नहीं ।।
भूखा किसान शाख से लटका हुआ मिला ।।
शायद था उसके पास कोई रास्ता नहीं ।।
नेता को चुन रहे हैं वही जात पाँत पर ।
जिसने कहा था जात मेरा फ़लसफ़ा नहीं ।।
मजबूरियों के नाम पे बिकता है आदमी ।
तेरे दयार में तो कोई रहनुमा नहीं ।।
मुझसे मेरा ज़मीर नहीं माँगिये हुजूर ।
इसकी ही वज़ह से मैं अभी तक मरा नहीं…
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Added by Naveen Mani Tripathi on June 24, 2017 at 8:33pm —
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