उस जबरदस्त भूकंप के शांत होने पर शुभा ने खुद को अपनी नन्ही बिटिया के साथ जाने कितने ही नीचे मलवे में दबा पाया।भाग्य से छत का एक बड़ा सा हिस्सा कुछ ऐसे गिरा कि एक गार सी बन गयी।और चंद सांसे उधार मिल गयी ।दोनों सहमी सी ,आपस में सिमटी हुई मदद की उम्मीद में एक दूसरे का सहारा बनी हुई थीं।लेकिन जब काफी समय गुजर गया और किसी का हाथ मदद के लिए आता नहीं दिखाई पड़ा तो घोर निराशा ,डर और सामने बाहें फैलाये मौत को देख कर आंखों से बेबसी बरस पड़ी ।
"मम्मा!भूख लगी है।"नन्ही रिया ने उस का ध्यान…
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Added by Rahila on June 12, 2017 at 8:08pm —
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पूरे गाँव से कुल पंद्रह लोग ऐसे गरीब थे जो कि उस सरकारी योजना के तहत प्रथम दृष्टिया लाभान्वित होने योग्य थे ।और अब तक सात नियम ,शर्तों में सभी खरे भी उतर गए थे।
"आठवां नियम ,अब जरा ध्यान से सुनना मैं कुछ सामान गिनवा रहा हूँ यदि ये सामान आपके घर में हो तो हाथ उठा दियो ।"सेकेट्री की आवाज पंचायत भवन में गूंजी। उसने जैसे ही कुछ समान गिनवाये ।
"अरे ओ महाराज !जो सामान तो शादी सम्मेेलन से मोड़ा खों मिलो,तो का हम अमीर हो गये वा से।"
"काका!सिरकारी नियम हैं इसमें हम का कर सकें।" इस नियम के…
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Added by Rahila on June 9, 2017 at 4:38am —
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भोर की चाय और छत का वह कोना जहाँ से गुलमोहर के फूलों से लदे पेड़ दूर तक दिखाई देते थे।ये उसकी रोज की बैठक थी।एक हाथ में चाय की ट्रे और दानों की कटोरी, दूसरे हाथ में पानी का जग ।वह अपने साथ अपनी सखियों को कभी नहीं भूलती।तभी एक बड़े रौबीले ,सजीले सुते हुए पंखों वाले चिड़वे ने उसका ध्यान आकर्षित किया ।वह बड़े ही मोहक अंदाज़ में चिड़ियों के आगे पीछे चक्कर लगा रहा था।वहीं चिड़ियां भी इठला रही थीं।उज़मा को ये सब देख कर मज़ा आने लगा।
रासलीला जारी थी कि अचानक चिड़वे ने अपने ऊंचे उठे पंखों को नीचे की ओर गिरा…
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Added by Rahila on June 8, 2017 at 12:17am —
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शराबी पति से रुई की तरह धुनी जा रही कुसमा ,गाँव में आयी पुलिस की गाड़ी देख कर दौड़ पड़ी।
"बचा लो साहब !बहुत मारा ये जल्लाद हमको,इसकी ऐसन पूजा करो कि हाँथ उठाना भूल जाए ।"एक तो अचानक आई पुलिस और ऊपर से कुसमा की शिकायत ने गोविंद पर चढ़ी दारू के सुरूर को तनिक हल्का कर दिया। वह जुबान जो अभी तक तूफ़ान की गति से गालियां उगल रही थी,तालू से जा चिपकी।वह थोड़ा सहम सा गया।
"क्यों रे!ज्यादा चर्बी चढ़ गयी लगता?
एक बार की मेहमानी में सारी पिघला देंगे। सुन रहा है ना?और तू!,पुलिस वाला कुसमा की ओर देख…
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Added by Rahila on June 1, 2017 at 10:37pm —
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माँ! ये तुमने क्या किया?
एक तुम ही तो थीं अपनी
और तुमने ही मुँह मोड़ लिया।
मेरे आगमन की सूचना से,
माना तुम निराश थीं।
पर इतना क्रूर निर्णय लोगी,
इसकी मुझे ना आस थी।
जब ये भयानक विचार आया
तुम्हारे मन में।
बड़ा असुरक्षित महसूस किया
मैंने तेरे तन में।
जब अनजाने हत्यार ने ,
मुझपर प्रहार किया था।
माँ! ,भय से मैंने तेरी ,
कोख को थाम लिया था।
पर कब तक उस दानव से ,
मैं खुद को बचा सकती थी।
प्रयत्न किया उतना…
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Added by Rahila on May 27, 2017 at 12:18pm —
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"ये लो दो चेक ,बैंक में जमा कर देना"
दफ्तर के लिए निकल रहे अनुराग के हाथ में चेक थमाते हुए वह बोली।"कहाँ से आये?"
"भेजी दी दो रचनाएँ ,पुरुस्कृत हुयी तो मिले।"
"वाह ..,क्या बात है।,मुबारक हो भई!फिर तो पार्टी बनती है।घर बैठे कमाने लगीं तुम तो!"पति ने कुछ गर्वित होकर कहा, तो उसके होंठों पर फीकी सी मुस्कान तैर गयी।
आज उसने अपने शौक पर खर्च किये लम्हों की परिवार को पहली क़िस्त अदा की थी।
रात में जैसे ही कमरे में अनुराग आये उसने सकपका कर ,झगड़े की जड़ को किनारे रख…
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Added by Rahila on May 26, 2017 at 9:30pm —
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एक पन्द्रह, सोलह साल का लड़का, जिसका चेहरा, जुबान और आँखे बाहर निकलने के कारण विकृत हो चुका था
"लीजिये !,एक और भगौड़ा फांसी पर लटक कर चला आया है।"मृत्युलोक का लेखा -जोखा देखने वाले से स्वर्ग के दरोगा ने कहा।
"तो ले जाओ इसे भी और नर्क में डाल दो।जितनी जिंदगी लिखी थी।उतनी उम्र तक फांसी पर बराबर लटकाते रहो।और साथ ही इसके नीचे हड्डी पिघला देने वाली आग भी जला दी जाए ।"
"लेकिन इतनी सख्त दोहरी सज़ा..., क्यों?"दरोगा ,बालक की कम उम्र देख कर उसके लिए विचलित हो उठा।
"हाँ..!दोहरी…
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Added by Rahila on May 13, 2017 at 3:47pm —
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"अब क्या करें? वैध जी तो दूसरे गाँव गये हुए है, कल तक लौटेगें | इतने दूर वापस भी नहीं जा सकते ।शाम होने को है, इतने छोटे गाँव में कहाँ रुकेंगे?"कहते हुए महिला के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गयी।
"फ़िक्र ना कर, बलवीर सर इसी गाँव का तो हैं जिन्होंने मुझे इस वैध के बारे में बताया था। उन्हीं के घर रूक जाते हैं|" पति ने उसे आश्वासन दिया|
नाम सुनते ही उसे याद हो आया वह दिन ,जब फौजी पति पहली बार उसे अपने साथ ले गये थे और वहाँ वह पति के सीनियर इन्हीं बलवीर के यहाँ भोजन पर आमंत्रित हुई थी। न…
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Added by Rahila on April 4, 2017 at 5:52pm —
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"कुछ भी कर लो इनके लिए ,लेकिन इन्हें शिकायतें ही शिकायतें हैं हर वक़्त ।किसी काम से संतुष्ट ही नहीं होती।परेशान आ गयी हूँ जानकी!"
"इसमें परेशानी जैसी तो कोई बात नज़र नहीं आती ।तू काम किया कर ढंग से।ये हलवे में मिठास जरा कम है।"
वह इत्मीनान के साथ हलवे की कटोरी साफ़ करते हुए बोली।
" मज़ाक मत कर,1मैं सीरियस हूँ ।
"मज़ाक..!वह तो मैं भी नहीं कर रही हूँ।अलबत्ता तू जरूर बेतुकी समस्या का रोना लेकर इस हसीन दोपहर का सत्यानाश कर रहीं है?"उसने मुंह में चिप्स डालते हुए कहा।
"अच्छा...!…
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Added by Rahila on March 27, 2017 at 10:00pm —
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करेंगें दम से खूब धमाल,
इक दिन आगे पहुंचे ससुराल।
पहली होली संग साली के,
सोच के हो गये गुलाबी गाल।।
हुयी रात जो घोड़े बेचे,
सो गये हम ,चादर को खेंचे।
ले कालौंच,खड़िया और गेरू,
बैठी चौकड़ी,खाट के नीचे।
हो गयी शुरू ,रात से होली ,
इधर अकेले ,उधर हुल्लड़ टोली,
गब्बर सिंह बन,देख के खुद को
भूल गये सब हंसी ठिठोली ।
खूब उड़ा फिर अबीर ,गुलाल
मुंह काला ,अंग पीला लाल,
पकड़ ,पकड़ के ऐसा पोता
उड़ गये तोते देख धमाल।।…
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Added by Rahila on March 21, 2017 at 2:00pm —
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"सुनैना की माँ!ज़िंदगी में पहली बार आदमी पहचानने में चूक हो गयी ।मैंने बड़ा भला लड़का समझा था उसे ।लेकिन यह तो ,अव्वल दर्जे का पढ़ालिखा गंवार निकला।अगर पता होता ऐसा बज्रमूर्ख होगा ।तो कतई अपनी बच्ची नहीं ब्याहता ऐसे लड़के से।" पछताते हुए ठाकुर बलदेव का गुस्सा अपने आप में नहीं समा रहा था।
"आप शांत हो जाईये ।ऐसे मसले ठंडे दिमाग़ से सुलझाए जाते हैं। आप कुंअर साहब को बुलवा भेजिए ,फिर पूछते,समझाते है क्या बात है?वैसे तो हमने मान पान में कोई कसर नहीं रखी ।फिर बिटिया को इस तरह परेशान और मारपीट करने का…
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Added by Rahila on March 15, 2017 at 11:28am —
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मंदिर के पीछे मिले लावारिस नवजात शिशु को लेकर आज पंचायत जुटी थी। पंचायत ने अपने स्तर से बहुत पड़ताल की, परन्तु कोई सुराग हाथ नहीं लगा। कोई कह रहा था, ‘छोरी तो बहुतेरी मिलीं लावारिस, लेकिन आज ये छोरा?’ किसी ने कहा, ‘ खूब जान पड़ता है, जरूर नाजायज रहा होगा।’ जितने मुँह उतनी बातें। अब पंचायत चाहती थी कि यदि कोई दम्पति बच्चे को गोद लेना चाहे तो मामला यहीं निपट जाए। वर्ना बच्चा पुलिस को तो सौंपना ही था।
"सरपंच जी ! मैं और मेरी घरवाली यशोदा इस बच्चे को गोद लेना चाहे हैं।"
पंचों को प्रणाम…
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Added by Rahila on March 6, 2017 at 12:18pm —
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एक बेहद पिछड़े ,सुविधाओं से कोसो दूर गाँव में अचानक कुपोषण से हुयी बच्चों की अकाल मृत्यु ने प्रशासन को गहरी नींद से जगा दिया। और इस दिशा में चल रही तमाम योजनाओं की जैसे कलई खुल गयी।आननफानन में शहर से चिकित्सकों का दल नाक मूँदे वहां पंहुचा । कई नये चिकित्सकों का तो ऐसे गाँव से ये पहला परिचय था।सब चौपाल पर इकठ्ठे हो चुके थे।
"देखिये!आप सबसे पहले ये जान लें कि कुपोषण की मुख्य वजह क्या हैं?जिसके चलते यह दुखद घटना हुयी है।"एक नई महिला चिकित्सक धारा प्रवाह बोलते हुए ,टंगे बड़े से पोस्टर पर लिखी…
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Added by Rahila on March 4, 2017 at 11:38am —
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घर से एक घंटे पहले निकलने के बावजूद आज फिर वह आधा घंटा देर से विद्यालय पंहुचा ।जबकि ऑटो स्टैंड से विद्यालय की दूरी मात्र पंद्रह मिनिट की थी । और जैसे ही उसने स्कूल में क़दम रखा,सामने कमिश्नर साहब को देख कर उसका हलक सूख गया ।
" घड़ी देखिये जरा..,क्या समय हो रहा है?ये आपके विद्यालय आने का समय है?"साहब के कहने अंदाज ऐसा था कि ग़ाज गिरी समझो।
"जी...जी!बस आज ही देर हो गयी।"उसने हकलाते हुए अपना बचाव करने की कोशिश की।
"झूठ बोलते हो ,सारे गाँव वालों ने शिकायत की है ।आप रोज ही देर से आते…
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Added by Rahila on February 12, 2017 at 2:00pm —
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"किस दुनियाँ में विचर रही हो।सोचती हो अपने बूते पर आसमान छू लोगी।यहाँ स्थापित लोगों की कृपा दृष्टि के बगैर कोई टिका है आज तक।"अंदाज में उपहास था। जिसे उसने खूब समझा।
"पता नहीं सर! सच क्या है ?बड़ी उलझन में हूँ ।एक तरफ आपकी अनुभवी सोच और दूसरी तरफ मेरी आपबीती।"
"मतलब मेरी बात पर शक है ।इतने सालों में हासिल किया है कुछ ?अब एक बार वह करो जो इन्होने किया ।"मेले में सजी नये लेखकों की पुस्तकों की ओर इशारा करते हुए ,उन्होंने अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाया।
"कहने का तात्पर्य आपका हाथ मेरे सिर पर…
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Added by Rahila on February 6, 2017 at 10:08pm —
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"पकड़ो,पकड़ो घेर लो इसे ,कस कर बांध दो भागने ना पाए"।अचानक हुए इस हमले ने उसकी सिट्टी पिट्टी गुम कर दी ।
"आज यहाँ,कहाँ रास्ता भूल गया यह!"
"हाँ दादा!सालों बाद दिखाई पड़ा ।जरूर कोई गरज पड़ी होगी वरना यह और यहाँ...।"
"अब हाथ आ ही गया है तो निकाल लो कसर ,डालो गले में पट्टा और नचवाओ इसे! इसने भी कोई कसर नहीं छोड़ी ..खूब इशारों पर नचवाया है हमें।आज यह करेगा हमारा मनोरंजन ।"उन्हीं में से एक दांत पीसता हुआ बोला।और फिर शुरू हुआ तमाशा।खबर पाकर दूर ,दूर से लोग इकट्ठा होने लगे,थोड़ी ही देर में…
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Added by Rahila on February 2, 2017 at 10:16pm —
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"निकल जा मेरे घर से...बड़ा कमाने वाली हो गयी।तू क्या समझती है तेरे वगैर काम नहीं चलेगा मेरा!बड़ी आई उपदेश देने वाली।" शराब के नशे में धुत भावसिंग,रोज की तरह कुसमा के साथ मारपीट कर, बके जा रहा था।
"अरे शर्म कर नासमिटे..!भगवान से डर ।जो दिनभर घर ,घर काम करके तेरी औलाद और मुझ अपाहिज़ का पेट पाल रही है, उसे,जानवर की तरह मारते हुए तुझे जरा भी लाज नहीं आती।"अपाहिज़ लाचार माँ ने अपनी ही नाकारा औलाद को कोसा।
"तू चुप कर,ज्यादा वकील मत बन इसकी!वरना इसके साथ तुझे भी बाहर का रास्ता दिखा…
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Added by Rahila on November 3, 2016 at 3:16pm —
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वह एक दहशतगर्द इलाका था ।जहाँ खण्डरनुमा मकानों में रहने को विवश थी सहमी हुयी इंसानियत ।ऐसे ही एक मकान में-
"माँ! क्या अब मैं कभी स्कूल नहीं जा सकूंगी?"माँ की गोद में सिर रखे माहिरा ने पूछा।
"पता नहीं मेरी बच्ची।"जबाब ,उम्मीद और ना उम्मीदी के बीच झूलता सा था।
"क्या लड़कियों का पढ़ना-लिखना गुनाह हैं?"
"नहीं मेरी जान!ये किसने कह दिया ?लड़कियों को पढ़ने-लिखने की इज़ाजत तो खुद ख़ुदा ने दी है।"
"अच्छा!तो फिर उन लोगों ने उस लड़की को स्कूल जाने पर क्यों गोली मार दी?क्या…
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Added by Rahila on October 23, 2016 at 3:00pm —
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"सर!ये भागवती हत्याकांड के कई पहलू सामने आ रहे है।"
"जैसे कि?"फिर कुछ सोचकर
"ये वही सरकारी स्वास्थ्य कर्मचारी वाली घटना की बात कर रहे हो?जिसकी उसी के कार्यालय में गांव के किसी दबंग ने कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी है।"
हाँ ,हाँ..!वही।दरअसल जितने मुंह उतनी बातें है सर! छोटा सा गांव है जहाँ मृतका पदस्थ थी।कुछ का कहना ये है, कि उच्च जाति का होने के कारण हत्यारे को दलित महिला का अपनी बराबरी से बैठना नहीं सुहाता था ।"
"तो क्या वो भी कर्मचारी था? "
"जी,और मृतका के…
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Added by Rahila on October 17, 2016 at 4:00pm —
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अपनी बीमार छोटी सी बेटी को दवा खिलाकर ,वो दो घंटे पहले ही विद्यालय पहुँच गयी।क्योंकि आज उसके विद्यालय में हाईस्कूल का शुभारंभ होना था।परन्तु सारा समय उसका मन अपनी नन्ही बेटी में ही उलझा रहा।रह ,रह कर उसकी आँखों में अपनी रोती बच्ची की सूरत झूल जाती।आख़िर विद्यालय समय से एक घंटे पूर्व वो संस्था प्रमुख से मौखिक अनुमति ले कर घर लौट आयी।
अभी घर में कदम रखा ही था कि मोबाइल की घंटी खनखना उठी।
"हैलो कौन?"
"हाँ हैलो,रमा!मैं किरण,तुम कहाँ हो?एक स्थानीय नेता जी की श्रीमती का फोन था।जो स्वयं…
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Added by Rahila on September 22, 2016 at 12:22pm —
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