2×15
अपने बीते कल के मुख पर काजल मलते देखा है,
एक ग़ज़ल कहने की खातिर खुद को जलते देखा है.
गफलत में जिन रास्तों पर चल लोगों ने मंज़िल पाई,
लाख संभलकर चल के उन पर खुद को फिसलते देखा है.
तेरे पास नहीं है मेरे एक सवाल का एक जवाब,
मैंने बात बात में तुझको बात बदलते देखा है.
कुछ भी देखके मेरे मन में आशा जीवित नहीं हुई,
सूरज को हर रोज तमस को चीर निकलते देखा है.
वक्त का चूहा कुतर गया है धीरे-धीरे याद…
ContinueAdded by मनोज अहसास on January 27, 2020 at 12:22am — 2 Comments
221 2121 1221 212
उस बेमिसाल दौर का दिल से मलाल कर
जब फैसले हो जाते थे सिक्का उछाल कर
तेरे ख्याल में हूं तू मेरा ख्याल कर
मैं तेरी जिंदगी हूं मेरी देखभाल कर
वो दे रहा है देर से पानी उबालकर
हँस हँस के पी रहे हैं सभी ढाल ढाल कर
उसमें कमी न ढूंढ न कोई सवाल कर
तू भी सलाम कर कोई जुमला उछाल कर
है तीरगी जो अपना मुकद्दर तो क्या हुआ
इल्मों अदब से सारे जहां में जलाल कर *
यह हादसा तो…
ContinueAdded by मनोज अहसास on January 22, 2020 at 12:04am — 5 Comments
मेरी आंखों में बीते कल के सरमाये की छाया है।
तुम्हें ख्वाबों में मैंने खत नया फिर लिखके भेजा है।।
(1)
लिखा है प्यार तुमको ढेर सारा सबसे पहले ही,
तुम्हारी खैरियत पूछी लिखी बातें मोहब्बत की।
फिर उसके बाद तुमको दिल का अपने हाल बतलाया,
लिखा है बिन तुम्हारे जिंदगी का दर्द गहराया।
बता सकता नहीं मैं जाने जां हालत तुम्हें अपनी,
ये जीवन यूं है जैसे पेड़ की लटकी हुई टहनी।
वो रिश्ते जिनकी खातिर तुमको खुद से दूर कर डाला,
उन्हीं सबने मेरे सीने का दर्पण…
Added by मनोज अहसास on January 20, 2020 at 10:18am — 2 Comments
2×15
तदबीर लगाकर कुछ सोचो तहरीरों से बहलाओ मत,
अपने वादे जब याद नहीं तो किस्से नए सुनाओ मत।
लालच पर आधारित निष्ठा दुख देगी निश्चित इक दिन,
झूठी कथा लक्कड़हारे की बच्चों को सिखलाओ मत।
जीना मुश्किल कर देंगे जब होगी इनकी सोच अलग,
सबसे गहरे मित्रों को भी दिल के राज बताओ मत।
सच्चा इतिहास न जाने क्या था न जाने हालात थे क्या,
सदियों पहली बातों पर अब घर में आग लगाओ मत।
तेरा वादा सबको रोटी देने का है ओ मालिक,
चार…
Added by मनोज अहसास on January 20, 2020 at 10:12am — 2 Comments
2×16
अशआर की आंखें खुलती है, जब सारा आलम सोता है।
मेरे कमरे में रात गए तंजीम का मौसम होता है।
तकदीर के हाथों सौंप दिया जब तूने मुझे महबूब मेरे,
मेरी हालत को सुनकर क्यों अब तन्हाई में रोता है।
खुशियों से गम का रिश्ता जग में ऐसा लगता है हमको,
कोई हाथों में रसगुल्लें देकर पीठ में कील चुभोता है।
मैंने तो सदा चाहा है यही इस गम को रिहा कर दूं खुद से,
हर और शिकारी बैठा है और ये पिंजरे का तोता है
उसकी मेहनत का फल…
ContinueAdded by मनोज अहसास on January 15, 2020 at 12:38am — 6 Comments
2122 2122 2122 212
सब हवाले कर दिया तुझको मसीहा जान कर,
अब कहाँ जायें बता गैरों को अपना मान कर।
मत करो उससे शिकायत अपने घाटे लाभ की,
जिसको तुमने सर चढ़ाया दिल की बातें मान कर।
तेरा उससे प्यार है औरों से नफरत की उपज,
बरसों के रिश्ते भी चल उसके लिए कुर्बान कर।
वक्त का पहिया है ये तो चलना इसका काम है,
आने वाले कल की खातिर आज की पहचान कर।
खुद को उसको सौंपकर निश्चित हुए बैठे हैं हम,
उसको बस इतनी…
Added by मनोज अहसास on January 12, 2020 at 11:00pm — 4 Comments
2×16
बेकार सताते हो खुद को बेकार तमाशा करते हो,
जो छुपकर तुमको देख रहा तुम उसको ढूंढा करते हो।
जब पास कोई तस्वीर नहीं, न उसका पता मालूम तुम्हें,
दर दर की ठोकर खाकर बस तकलीफ़ बढ़ाया करते हो।
मिल जाएगा वो है शक इसमें, खो जाओगे तुम ये मुमकिन है
सागर को पाने की जिद में क्यों झील का सौदा करते हो।
ऐसा तो कोई दस्तूर नहीं अजनबियों में कोई बात न हो,
तुमको ही पुकारा है मैंने,पीछे क्या देखा करते हो।
गर मांगने से…
ContinueAdded by मनोज अहसास on January 11, 2020 at 12:27am — 3 Comments
221 2121 1221 212
मंजिल भी थी, चराग भी थे ,हौसला न था ।
अब सबसे कह रहा हूं ,उधर रास्ता न था ।
यह किसकी दस्तरस में धुँआ है मेरी सहर,
कल शब तो इस मकां में दिया भी जला न था।
लेकर चला रकीब मुझे तेरी राह पर,
इक शख्स बस वही था जो मुझसे खफा न था।
मुद्दत के बाद भी तेरी तस्वीर दिल में है,
तेरा फरेब तेरे करम से बड़ा न था ।
उसके जवाब में थे कई उंगलियों के रंग,
लगता है उसने खत मेरा पूरा पढ़ा न था…
Added by मनोज अहसास on January 9, 2020 at 11:39pm — No Comments
12122×4
समझ नहीं आ रही है हमको ज़माने वाले तेरी पहेली,
शिकन से माथा भी भर दिया है लकीरों से जब भरी हथेली.
उदास बच्चे ने माँ के आंचल से अपनी आंखों को ढक लिया है,
गुज़र ही जाएगी रात काली जो चांद तारों की ओट लेली.
इक ऐसा गम है मैं जिससे यारों नजर चुरा के ही जी रहा हूँ,
ज़रा सा उसके करीब जाऊं बिखरने लगती है जां अकेली.
अजब है दुनिया का ये बगीचा ,अजब है इसका हठीला माली
तमाम…
ContinueAdded by मनोज अहसास on January 5, 2020 at 1:53am — No Comments
1222 1222 1222 1222
हमारे सारे मिसरे मुख्तलिफ अर्थों में लिपटे हैं,
तुझे अब याद भी करते हैं तो डर कर ही करते हैं.
बहुत मुमकिन है इसमें फिर तुम्हारा ज़िक्र आ जाए,
नज़र में आज लेकिन दर्द सब दुनिया जहां के हैं.
जरा सा ध्यान से आ जाते हैं छोटे से मिसरे में,
मुहब्बत के सभी अफसाने रेशम के दुपट्टे हैं.
कई खुदगर्ज मछुआरों ने कब्जा कर लिया उस पर,
वह दरिया जिसमें अपनी नेकियां हम डाल आते हैं.
जहाँ से…
ContinueAdded by मनोज अहसास on January 4, 2020 at 12:30am — 4 Comments
1222×4
ग़ज़ल में अपने माज़ी के कई लम्हात लाया हूँ,
परेशानी की हालत में इन्हीं से जा लिपटता हूँ.
एक ऐसा रास्ता जो देर तक खाली नहीं रहता,
मैं ऐसे रास्ते पर देर से खामोश बैठा हूँ.
लगी है आग वो घर में बुझाई ही नहीं जाती,
मैं दुनिया भर की कितनी उलझनें सुलझाता रहता हूँ.
गली के मोड़ से छुपकर तमाशा देखने वालो,
वतन का खून हूं मैं सूखकर मिट्टी से चिपका हूँ.
मुझे इससे बड़ी राहत जमाने में भला क्या माँ,
मैं…
Added by मनोज अहसास on November 6, 2019 at 11:52pm — 2 Comments
2×15
कोई दरिंदा घात लगाकर जब घर में ही बैठा हो,
सहमी हुई मासूम कली का कितना बड़ा दुपट्टा हो.
अपनी बीवी के अश्कों की वो भी कद्र नहीं करता,
जिसने मम्मी को बचपन में रोज सिसकते देखा हो.
वक्त जरूरत पर ये दुनिया बेपर्दा हो जाती है,
दुनिया वाले तू भी मुझ पर थोड़ा सा बेपर्दा हो.
मेरे बच्चों में इक बच्चा ऐसा भी हो मेरे ख़ुदा,
मेरे जैसा दिल हो उसका ,उसके जैसा दिखता हो.
हमने कल्पना ऐसी बगिया की जाने क्योंकर कर ली,…
ContinueAdded by मनोज अहसास on November 6, 2019 at 12:13am — 2 Comments
1222 1222 1222 1222
मुहब्बत के नगर में आँसुओं के कारखाने है,
यहां रहकर पुराने जन्म के कर्ज़े चुकाने हैं.
सड़क पर आके देखों तो झुलस जाओगे शिद्दत से,
समाचारों में तो इस दौर के मौसम सुहाने हैं.
उतर आया अब आँखों में आंगन में भरा पानी,
मेरी चाहत के अफसाने में पटना के फसाने हैं.
फलक पर चाँद चाहे चौथ का हो या हो पूनम का,
हमें त्यौहार सब परदेस में तन्हा मनाने हैं.
कहाँ पे आके बिगड़ी ये कहानी…
ContinueAdded by मनोज अहसास on October 17, 2019 at 8:51pm — 3 Comments
2×16
इश्क रुई के जैसा है पर,ग़म से रिश्ता मत कर लेना.
लेकर चलने में आफत हो इतना गिला मत कर लेना.
एक समय ऐसा आता है, सूरज भी मुरझा जाता है,
चार दिनों की गर्दिश में तुम दामन मैला मत कर लेना.
लाख बहाने पास है उसके, अब तो खफा होने के मुझसे,
किंतु मना लेने में उसको अना को रुसवा मत कर लेना.
सबसे अच्छे शब्दों में तुम अपनी बात बता सकते हो,
लेकिन कोई समझ भी लेगा इसका भरोसा मत कर लेना.
व्याकुल माता बचपन से ही बच्चों को…
ContinueAdded by मनोज अहसास on October 15, 2019 at 2:01am — 4 Comments
1222 1222 122
जमाने भर की बातें सोचता हूँ
मगर मैं खुद में अब कितना बचा हूँ
सुहानी भोर किस्मत में नहीं है
भला मैं रात भर क्यों जागता हूँ
मुहब्बत एक हरजाई का घर है
मैं उस घर से निकाला जा चुका हूँ
तरफदारी से तेरी क्या है हासिल
मैं अपनों में अकेला पड़ गया हूँ
गुजारी जिंदगी सारी जहाँ पर
मैं अब उस शहर में बिल्कुल नया हूँ
तुझे आवाज देने का सबब है
मैं अब तन्हाई से डरने लगा…
Added by मनोज अहसास on October 13, 2019 at 4:28pm — 4 Comments
2×15
चंद मुकम्मल ग़ज़लों से हम दुनिया को बहला देंगे,
और अधूरे मिसरे तेरी यादों का पहरा देंगे.
जो कुछ तेरी इच्छा है वो ही तुझको दिखला देंगे,
हम खुद को धोखे में रखकर प्यार का मोल चुका देंगे.
ऐसे वो अपने चेहरे के सारे दाग छुपा देंगे,
कंप्यूटर से बनी हुई उम्दा तस्वीर दिखा देंगे.
जब तक तेरी आंखों से बरसेगी करुणा की धारा,
तब तक ये दुनिया वाले मेरे अहसास जला देंगे.
कीमत जिन फूलों की दाता के दर पर भी नहीं…
ContinueAdded by मनोज अहसास on October 1, 2019 at 12:24am — 4 Comments
12122×4
हमीं थे सच के करीब दिलबर यकीन तुमको दिलायें कैसे
नज़र से तुमने गिरा दिया जब नज़र में तुमको बसायें कैसे
मिज़ाज़ से तो गई नहीं है तुम्हारी यादें तुम्हारी बातें
जमीं से पौधा उखड़ गया पर हवा से खुशबू मिटायें कैसे
जो पकड़े बैठे हैं जिंदगी को वो अपने साये से डर गए हैं
तमाम दौलत कमा चुके हैं सुकून दिल का कमायें कैसे
ग़ज़ल की उंगली पकड़ के चलना सभी के गम में उदास होना
यही तो शाइर की जिंदगी है हम इसको नेमत बतायें…
ContinueAdded by मनोज अहसास on September 27, 2019 at 2:36am — 6 Comments
2×15
एक ताज़ा ग़ज़ल
वो कहते हैं चाहत कब थी वो इक झूठा सपना था
मुझको भी वो भूलना होगा जो कुछ मैंने सोचा था
इससे बेहतर खुद को समझाने की बात नहीं कोई
जो कुछ किस्मत में लिक्खा था वो तो आखिर होना था
कुछ सालों से मैंने खुद को हँसते हुए नहीं देखा
कुछ सालों मैंने तेरी झूठी मुस्कान को देखा था
सोच समझ वाले लोगों की कुछ भी समझ नहीं आया
जाने कौन सा योग था जो मेरी कुंडली में बैठा था
तरकीबें नाकाम रही सब दुख से तुझे…
ContinueAdded by मनोज अहसास on September 26, 2019 at 12:48am — 2 Comments
12122×4
अंधेरी घाटी में रोशनी का हसीन चश्मा जरूर होगा
हमें खबर तो नहीं है फिर भी तलब का रस्ता जरूर होगा
पुराने शब्दों की बारिशों में सकून अपना तलाश कर ले
जो उसके दिल में कहीं नहीं था वो खत में लिक्खा जरूर होगा
तेरे कदम यूं जमे हुए हैं, तुझे हिलाना सरल नहीं है
हमारी आहों से फिर भी इक दिन तेरा तमाशा जरूर होगा
चरागों का दम चुराने वाले क्या तुझको इतनी समझ नहीं है,
बुझेगी सूरज की जिंदगी जब, इन्हें जलाना जरूर होगा…
Added by मनोज अहसास on September 24, 2019 at 12:50am — 4 Comments
11212×4
मुझे पीसते हैं जो हर घड़ी,न वो दर्द मुझसे लिखे गए
किसी बेजुबान ख्याल में कई शेर यूं ही कहे गए
भरी रात में तेरी याद के जो चिराग बुझ के महकते हैं,
उन्हें जिंदा रखने की चाह में कई जाम हमसे पिये गये
जिसे हम समझते थे अपना घर वो जहान हमसे था बेखबर
कई रास्ते तो मकान के मुझे तोड़कर भी बुने गए
मुझे ढूंढ लाने की चाह में ,मेरे दोस्तों के वो मशवरे
मेरी जिंदगी का अज़ाब थे सो इसीलिए न सुने गए
कहीं सर…
ContinueAdded by मनोज अहसास on September 12, 2019 at 11:33pm — 3 Comments
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