2122 2122 2122 212
तोड़ डाला खुद को तेरी आशिकी के रोग में नहीं
तुम नहीं लिक्खे थे मेरी कुंडली के योग में
अब तेरी तस्वीर दिल से मिट गई है इस तरह
जैसे ईश्वर को भुला डाले कोई भवरोग में
तेरे ग़म की,इश्क़ की मूरत थी मुझमें,ढह गई
आ नहीं सकती ये मिट्टी अब किसी उपयोग में
मिल गया,कुछ खो गया, कुछ मिलके भी खोया रहा
साथ थी तक़दीर भी जीवन के हर संयोग में
चैन तेरे इश्क़ के बिन मिल नही पाया कहीं
तेरे ग़म में जो…
Added by मनोज अहसास on July 12, 2018 at 10:30pm — 13 Comments
एक दुआ
साथ देने की गुजारिश के साथ
जाने अबकी बार खुदाया कैसी पूर्णमासी है
चाँद के पूरे दीदार की चाहत सुलग रही है माथे पर
और पैरों को हिला रहा है डर मंज़र खो देने का
सूनी आँखे ढूंढ रही हैं अपनी क्षमता से दूर
घुटने टेके, हाथ पसारे ,दुआ सहारे
हर दम
मर्यादा से बँधे खड़े हैं
और अम्बर का कैसा नज़ारा
इन नज़रों को सता रहा है
पेड़ों के पीछे चाँद के आने की आहट से
धड़ धड़ सीना धड़क रहा है
लेकिन
जो अंधियारे ,गहरे, काले बादल गरज रहे हैं
उनसे इन…
Added by मनोज अहसास on April 2, 2018 at 7:02pm — 12 Comments
एक नवीनतम अतुकांत रचना
मैं तो सदा उसकी ही रहूंगी,
मुझे उसी की रहना है बस
इससे क्या
कि
मेरे जिस्म की मासूमी पर,
उसने दर्द के दाग लिखे हैं ।
मेरी सुर्ख आंखों का काजल ,
उसके जुर्म बह निकला है
और चेहरे की रंगत है
उसके दिए हुए निशान
अंतिम लफ्ज़ से उसके नाम के,
बस मेरी पहचान बची है
मैंने उसकी खातिर अपना,
चेहरा सब से छुपा लिया है
मैं फिर भी उसकी ही हूं
जबकि
वो जब चाहे मुझको अपनी,
जीस्त से रुखसत कर सकता है
वो जब…
Added by मनोज अहसास on March 27, 2018 at 4:21pm — 6 Comments
221 2121 1221 212
हमनें यूँ ज़िन्दगानी का नक्शा बदल लिया
देखा तुझे जो दूर से रस्ता बदल लिया
तुमने भी अपने आप को कितना बदल लिया
नज़रों की ज़द में आते ही चहरा बदल लिया
जब इस सराय फानी का आया समझ में सच
हमनें भरी दुपहर में कमरा बदल लिया
दादी की जलती उंगलियों का दर्द अब नहीं
हामिद ने इक खिलौने से चिमटा बदल लिया
दीवानगी भी ,शाइरी भी,दिल भी, शहर भी
तुमको भुलाने के लिए क्या क्या बदल लिया
कांपी तमाम रात…
ContinueAdded by मनोज अहसास on February 1, 2018 at 6:12pm — 6 Comments
2122 2122 2122 212
मेरे जीने का भी कोई फलसफा लिख जाइये
आप मेरी चाहतों को हादसा लिख जाइये
आपका जाना ज़रूरी है मुझे मालूम है
हो सके तो मेरी खातिर रास्ता लिख जाइये
नींद मेरी धड़कनों के शोर से बेचैन है
मेरे जीवन मे विरह का रतजगा लिख जाइये
आप अपना नाम लिख लीजै मसीहाओं के बीच
बस हमारे नाम के आगे वफ़ा लिख जाइये
गर जुदा होकर ही खुश हैं आप तो अच्छा ही है
पर हमारी चाहतों को ही खरा लिख…
Added by मनोज अहसास on December 30, 2017 at 9:09pm — 13 Comments
Added by मनोज अहसास on July 23, 2017 at 1:22pm — 1 Comment
Added by मनोज अहसास on April 2, 2017 at 3:17pm — 18 Comments
Added by मनोज अहसास on March 25, 2017 at 6:00am — 4 Comments
Added by मनोज अहसास on December 25, 2016 at 1:13pm — 12 Comments
Added by मनोज अहसास on October 3, 2016 at 2:54pm — 8 Comments
Added by मनोज अहसास on September 25, 2016 at 3:00pm — 2 Comments
Added by मनोज अहसास on September 13, 2016 at 10:37am — 7 Comments
Added by मनोज अहसास on August 21, 2016 at 3:53pm — 8 Comments
Added by मनोज अहसास on July 16, 2016 at 4:54pm — 6 Comments
Added by मनोज अहसास on July 10, 2016 at 9:37am — 14 Comments
121-22 121-22 121-22 121-22
ख़ुशी में तू है,है ग़म में तू ही,नज़र में तू, धड़कनों में तू है ।
मैं तेरे दामन का फूल हूँ,माँ मेरी रगों में तेरी ही बू है ।।
हरेक लम्हा सफ़र का मेरे ,भरा हुआ है उदासियों से ।
ये तेरी आँखों की रौशनी है, जो मुझमे चलने की आरज़ू है ।।
है तेरे क़दमों के नीचे जन्नत, ज़माना करता तेरी इबादत ।
तेरे ही रुतबे का देख चर्चा, माँ सारे आलम में चार सू है ।।
तमाम है रौनके जहाँ में ,जो बेकरारी नज़र में भर दें ।
मगर जो खाता है…
Added by मनोज अहसास on April 25, 2016 at 3:00pm — 9 Comments
Added by मनोज अहसास on April 5, 2016 at 11:05am — 21 Comments
Added by मनोज अहसास on March 6, 2016 at 10:36am — 5 Comments
Added by मनोज अहसास on February 23, 2016 at 6:00pm — 6 Comments
फिर करीने से सजा लूँ मैं तेरी सौगात को
वेदना को कल्पना को इश्क़ को जज़्बात को
इसमें युग युग की विवशता है या कोई शाप है
छूने को साहित्य आतुर सत्ता वाली लात को
अपनी ही करनी का फल है ज़िन्दगी में हर सजा
उनको आँखों में बसाकर जागते हैं रात को
खुद के जैसा रह न पाये और जिन्दा भी रहे
इससे ज्यादा चोट क्या है आदमी की जात को
दूजे पलड़े में सजेगी फलसफा ए ज़िन्दगी
एक पलड़े में चढ़ा दो इश्क़ की शह मात को…
Added by मनोज अहसास on February 5, 2016 at 11:00pm — 5 Comments
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