Added by sanjiv verma 'salil' on March 13, 2011 at 2:34pm — 2 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 9, 2011 at 7:46am — 2 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 9, 2011 at 7:32am — 2 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 7, 2011 at 5:39pm — 2 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 7, 2011 at 5:38pm — 2 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on March 7, 2011 at 5:30pm — 3 Comments
देख दुर्दशा देश की
संजीव 'सलिल'
*
देख दुर्दशा देश की, चले गये जो दूर.
उनसे केवल यह कहूँ, आँखें रहते सूर..
देश छोड़ वे भी गये, जिन्हें प्रगति की चाह.
वाह मिली उनको बहुत, फिर भी भरते आह..
वसुधा जिन्हें कुटुंब…
Added by sanjiv verma 'salil' on February 23, 2011 at 12:28pm — 3 Comments
दोहा सलिला मुग्ध ***संजीव 'सलिल***
दोहा सलिला मुग्ध है, देख बसंती रूप.
शुक प्रणयी भिक्षुक हुआ, हुई सारिका भूप..
चंदन चंपा चमेली, अर्चित कंचन-देह.
शराच्चन्द्रिका चुलबुली, चपला करे विदेह..
नख-शिख, शिख-नख मक्खनी, महुआ सा पीताभ.
पाटलवत रत्नाभ तन, पौ फटता अरुणाभ..
सलिल-बिंदु से सुशोभित, कृष्ण…
ContinueAdded by sanjiv verma 'salil' on February 21, 2011 at 9:30am — 4 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on January 1, 2011 at 8:04pm — No Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on December 31, 2010 at 10:57pm — 1 Comment
नये साल का गीत
कुछ ऐसा हो साल नया
संजीव 'सलिल'
*
कुछ ऐसा हो साल नया,
जैसा अब तक नहीं हुआ.
अमराई में मैना संग
झूमे-गाये फाग सुआ...
*
बम्बुलिया की छेड़े तान.
रात-रातभर जाग किसान.
कोई खेत न उजड़ा हो-
सूना मिले न कोई मचान.
प्यासा खुसरो रहे नहीं
गैल-गैल में मिले कुआ...
*
पनघट पर पैंजनी बजे,
बीर दिखे, भौजाई लजे.
चौपालों पर झाँझ बजा-
दास कबीरा राम भजे.…
ContinueAdded by sanjiv verma 'salil' on December 31, 2010 at 6:25pm — 1 Comment
Added by sanjiv verma 'salil' on December 30, 2010 at 10:10am — 3 Comments
बिदाई गीत:
अलविदा दो हजार दस...
संजीव 'सलिल'
*
अलविदा दो हजार दस
स्थितियों पर
कभी चला बस
कभी हुए बेबस.
अलविदा दो हजार दस...
*
तंत्र ने लोक को कुचल
लोभ को आराधा.
गण पर गन का
आतंक रहा अबाधा.
सियासत ने सिर्फ
स्वार्थ को साधा.
होकर भी आउट, न हुआ
भ्रष्टाचार पगबाधा.
बहुत कस लिया
अब और न कस.
अलविदा दो हजार दस...
*
लगता ही नहीं, यही है
वीर…
ContinueAdded by sanjiv verma 'salil' on December 30, 2010 at 9:44am — 2 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on December 27, 2010 at 11:54pm — 4 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on December 26, 2010 at 12:06pm — 2 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on December 25, 2010 at 11:00am — 2 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on December 24, 2010 at 9:30pm — 2 Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on December 24, 2010 at 8:16am — 3 Comments
जनक छंदी सलिला : १.
संजीव 'सलिल'
*
आत्म दीप जलता रहे,
तमस सभी हरता रहे.
स्वप्न मधुर पलता रहे..
*
उगते सूरज को नमन,
चतुर सदा करते रहे.
दुनिया का यह ही चलन..
* हित-साधन में हैं मगन,
राष्ट्र-हितों को बेचकर.
अद्भुत नेता की लगन..
*
सांसद लेते घूस हैं,
लोकतन्त्र के खेत की.
फसल खा रहे मूस हैं..
*
मतदाता सूची बदल,
अपराधी है कलेक्टर.
छोडो मत दण्डित…
ContinueAdded by sanjiv verma 'salil' on December 23, 2010 at 11:30pm — 4 Comments
मुक्तिका:
कौन चला वनवास रे जोगी?
संजीव 'सलिल'
**
कौन चला वनवास रे जोगी?
अपना ही विश्वास रे जोगी.
*
बूँद-बूँद जल बचा नहीं तो
मिट न सकेगी प्यास रे जोगी.
*
भू -मंगल तज, मंगल-भू की
खोज हुई उपहास रे जोगी.
*
फिक्र करे हैं सदियों की, क्या
पल का है आभास रे जोगी?
*
गीता वह कहता हो जिसकी
श्वास-श्वास में रास रे जोगी.
*
अंतर से अंतर मिटने का
मंतर है चिर…
Added by sanjiv verma 'salil' on December 21, 2010 at 11:36pm — 7 Comments
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