Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 30, 2012 at 9:00pm — 4 Comments
बेशर्मी का ओढा चोला,सारा सभ्य समाज,
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 26, 2012 at 5:30pm — 13 Comments
हिसाब का सिलसिला
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2012 at 11:30am — 4 Comments
श्रद्धाजलि -
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 19, 2012 at 9:30am — 4 Comments
गृहस्थी का दायित्व
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 16, 2012 at 10:08am — 8 Comments
हे जलधि, जब कोई ग़ोताखोर
तुम्हारे गर्भ में घुस,
मोती चुग-
दूर हो जायेंगा,
प्यार को वासनामयी
आँखों से देखा जायेंगा |
अगर- ग़ोता लगा,
गर्भ में ही लीन हो जायेंगा,
प्यार पूज्य हो जायेंगा |
फूल-सा चेहरा खिलेगा(जन्मेगा)
चमन में खुशबु महकेगी
किसी को कोई
आपत्ति नहीं होगी |
- लक्ष्मण लडीवाला, जयपुर
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 5, 2012 at 11:30am — 5 Comments
चाहिए थोडा सा प्यार
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 29, 2012 at 5:41am — No Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 27, 2012 at 9:30am — 6 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 26, 2012 at 7:30pm — No Comments
स्वर्ग-नरक
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 23, 2012 at 6:46pm — No Comments
११ वी कक्षा उतीर्ण करने के बाद वर्ष १९६३ में मेरे पिताजी एवं बड़े भाई ने सोचा लक्ष्मण ने संस्कृत विद्यापीठ,मुंबई से प्रथमाँ परीक्षा भी पास की है, को औयुर्वेदिक महाविद्यालय में पढने हेतू दाखिला दिला देते है | वैद्य एवेम आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रोफेसर श्रीछाजू राम जी की सलाह अनुसार प्रवेश आवेदन भरकर साक्षात-कार के पश्चात प्रवेश सूची में नाम न देखकर,लक्ष्मण के पिता रामदासजी ने प्रिंसिपल एव आयुर्वेदाचार्य श्री रामप्रकाश स्वामी से मिले, तो उन्होंने बताया की जब हमें प्रवेश हेतु शारीरिक दक्ष…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 18, 2012 at 10:00am — 8 Comments
35 वर्ष की सेवा के बाद 31 जनुअरी ,2002 को कलक्टर कार्यलय में अधीक्षक पद से सेवा-निवृत ज्ञान स्वरुप भार्गव का कार्यलय में भव्य विदाई समारोह हुआ | स्वयं कलक्टर साहिब ने उनके कार्य की प्रशंसा की और उन्हें सफा, माला पहनकर स्वागत किया | कुछ साथी उन्हें घर तक छोड़ने आये, जहाँ द्वार पर परिवार के सदश्यों ने उनकी आरती उतार अन्दर ले गए| वहां स्वल्पाहार का आयोजन हुआ| ज्ञानस्वरूप ने अपने पोते-पोतियों,अपने बहिन-बहनोई और दोहिते को भेंट-उपहार देकर विदा किया|
दूसरे दिन से श्री भार्गव अपनी पेंशन…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 13, 2012 at 10:30pm — 2 Comments
खंडेला गाँव से गौरी गंगोत्री नगर उच्च सिक्षा हेतु आई जहां उसने विवेकानंद महाविद्यालय में दांखिला लिया | तीन वर्ष की अध्ययन अवधि में उसकी सुनीला के साथ मित्रता ही नहीं, बल्कि परिवार के लोगो के साथ भी अच्छा परिचय हो गया | धीरे धीरे सुनीला का भाई धर्मेन्द्र गौरी को चाहने लगा | धर्मेन्द्र के पिताजी प्रोफ. सोमेंद्रनाथ टेगोर महाविद्यालय से सेवा निवृत होगये | उन्होंने होनहार लड़की देखकर गौरी के पिता से अपने लडके धर्मेन्द्र का रिश्ता करने का प्रस्ताव् किया, जो गौरी के पिता ने गौरी की भावनाओ को देखते…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 6, 2012 at 5:30pm — 6 Comments
तीक्ष्ण और पवित्र बुद्धि
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 4, 2012 at 7:16pm — 7 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 1, 2012 at 3:00pm — 16 Comments
आत्म-विश्वास से सरोबर
आत्मविश्वास से लबालब सरोबार,
आशा है पौ फटते ही- सुबह जरूर आएँगी,
भंवरों क़ी गुन -गुन, कोयलक़ी कुहू-कुहू,…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 2, 2012 at 9:30am — 3 Comments
माधुर्य
(वाणी का माधुर्य)
वाणी का माधुर्य-
देता है जीवन को विस्तार
जहाँ प्रेम है
वहां लेन-देन नहीं है
देना ही देना है
कोई व्यापार नहीं है |
.…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 27, 2012 at 4:00pm — 6 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 16, 2012 at 10:08am — 6 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 12, 2012 at 7:00pm — 5 Comments
मुझे सुनाई दी, बोली
मुझसे मेरी आत्मा बोली
पढ़ले पहले तू वेद, पुराण
या कुरान कलमां|
मै बैठा हूँ –
गिरजाघर और मंदिरों में,
मिल जाएँगी परछाई-
गुरुद्वारों औ मस्जिदों में:
कण कण में, ख्वाईशो में,
इश्क की फरमाईशो मे
प्यार दिल से करों तो –
मै मिलूंगा सोहणी-महिवाल में
सच मानो मै मिलूँगा –
हीर-राँझा…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 10, 2012 at 11:30am — 2 Comments
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