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तपती धरा
छिड़क रहा नभ
धूप की बूंद
प्रचंड सूर्य
वीरान पनघट
झुलसी क्यारी
सूखे पोखर
जल रहा अंबर
प्यासे पखेरू
जलते दिन
भयावह गरमी
प्यासी है दूब
बिकता पानी
बढ़ता तापमान
जग बेहाल
दहकी धूप
गर्मी के दिन आये
निठुर बड़े
.... मौलिक एवं अप्रकाशित
Posted on June 11, 2019 at 4:00pm — 7 Comments
सजाये कुमकुम अक्षत की थाल
मन में भर अटूट प्रेम स्नेह
आशीष भरे हाथ तिलक लगाएँ
भाई के भाल पर।
बीती बातें बचपन की
वो लड़ाई झगडे भाई बहन के
स्नेह प्यार ही बचे रहे
भाई-बहन के ह्रदय में।
अनमोल वादा रक्षा का
बहन पाए भाई से
भाई-दूज के अवसर पर
मन क्यों न हर्षित हो जाये।
दूर रहे या पास रहे भाई
खुशहाली की कामना लिए भाई की
स्नेह प्रेम का दीप जलाये बहन
ऐसा ही रिश्ता भाई-बहन…
Posted on November 8, 2018 at 4:00pm — 6 Comments
वाह ! सुन्दर रचना केलिये साधुवाद !
आदरणीया सुश्री नीलम उपाध्याय जी, नमस्कार। रचना आपको पसंद आई, धन्यवाद....
सुधेन्दु ओझा
आपने मुझे मित्रता योग्य समझा इसके लिए आपका आभार!
आदरणीया नीलम जी, सादर
जन्म दिन की शुभ कामनाएं
आपका वहुत धन्यबाद कि आपने मेरा मनोबल बढाया
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