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आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार कुछ तकनीकी समस्या के चलते गोष्ठी आयोजित करने में देरी हुई जिस कारण हम क्षमाप्रार्थी हैं अत: लेखों की…Continue
Started this discussion. Last reply by Sheikh Shahzad Usmani Jun 1.
आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-88 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार का विषय है 'मार्गदर्शन'। तो आइए इस विषय के किसी भी पहलू को कलमबंद करके एक प्रभावोत्पादक लघुकथा रचकर इस…Continue
Started this discussion. Last reply by Sheikh Shahzad Usmani Aug 1, 2022.
(1) . डॉ० टी.आर सुकुल जीघड़ी.उस समय की चौथी क्लास तक पढ़े ‘भदईं’, गाॅंव के कुछ इने-गिने पढ़े लिखे लोगों में माने जाते थे। शहर के किसी बीड़ी उद्योगपति ने गाॅंव में खोली कंपनी की ब्राॅंच में भदईं को मुनीम…Continue
Started this discussion. Last reply by Sheikh Shahzad Usmani Aug 11, 2019.
(1) . बबिता गुप्ता जी मुसाफ़िर दोपहर के समय वृद्धाश्रम में सभी महिलाएँ कुनकुनी धूप का आनंद ले रही थी। कोई अख़बार, किताब पढ़कर अपना समय व्यतीत कर रहा था, तो कोई दूरदर्शन देख या रेडियो पर महिला जगत…Continue
Started this discussion. Last reply by Sheikh Shahzad Usmani Aug 11, 2019.
अगर है एक तो है एक हिंदुस्तान हिंदी सेI
ज़माने में बनी है हिंद की पहचान हिंदी सेI
.
ये दुनिया एक ही कुनबा सदा इसने सिखाया है,
मोहब्बत का सदाक़त का मिला वरदान हिंदी सेI
.
जो तुलसी जायसी के लाल, अंग्रेजी के अनुयायीI
उन्हें तुम दूर ही रखना मेरे भगवान हिंदी सेI
.
तुम हिंदी काव्य को रसहीन होने से बचा लेना,
नहीं तो फिर न निकलेगा कोई रसखान हिंदी सेI
ये उर्दू फ़ारसी अब तक दिवंगत हो गई होतीं,
मिला भारत में दोनों को…
Posted on September 14, 2021 at 11:00am — 10 Comments
Posted on May 7, 2017 at 7:30pm — 18 Comments
वह अपनी धुंधली आँखों से बीत रहे वर्ष की पीठ पर बने रंग बिरंगे चित्रों को बहुत गौर से निहार रही थी, वह अभी उनमें छुपे चेहरों को पहचानने का प्रयास ही कर रही थी कि सहसा वे चित्र चलने फिरने और बोलने लग पड़ेI
"माँ जी! कितनी दफा कहा है कि इन बर्तनों को हाथ मत लगाया करोI"
नये टी सेट का कप उससे क्या टूटा उसके घर में कलेश ने पाँव पसार लिए थेI
अगले दृश्य में नए साल की इस झांकी को होली के रंगों ने ढक लियाI
"बेटा ये बहू की पहली होली है, तो इस बार त्यौहार धूमधाम से..."…
Posted on January 1, 2017 at 12:01am — 14 Comments
अचानक स्कूटर खराब हो जाने के कारण वापिस लौटने में काफी देर हो चुकी थी अत: वह काफी तेज़ी से स्कूटर चला रहा थाI एक तो अँधेरा ऊपर से आतंकवादियों का डरI इस सुनसान रास्ते पर बहुत से निर्दोष लोगों की हत्याएँ हो चुकी थींI वह अपने अंदर के भय को पीछे बैठी पत्नी से छुपाने का प्रयास तो कर रहा था, किन्तु उसकी पत्नी स्कूटर तेज़ रफ़्तार से सब कुछ समझ चुकी थीI स्कूटर नहर की तरफ मुड़ा ही था कि अचानक हाथों में बंदूकें पकडे पाँच सात नकाबपोश साए सड़क के बीचों बीच प्रकट हो गएI
Posted on December 27, 2016 at 10:00am — 10 Comments
ओ बी ओ महोत्सव अंक ११९ के लिए
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-119
विषय - "वो भी क्या दिन थे"
स्वरचित - मौलिक - अप्रकाशित
अतुकांत आधुनिक कविता
विषय - वो भी क्या दिन थे
वो भी क्या दिन थे ,
महज १३ साल
का ही तो था मैं
जिन्दगी की पहली कक्षा
ठीक से खड़े
होने का ढंग
सीख रहा था
आठवीं की परीक्षा
और शारीरिक परिवर्तन
विज्ञान की कार्यशाला
वनस्पति विज्ञान पादप
संकलन हेतु
पर्वतीय प्रदेश
का भ्रमण
चेहरे पर मासूमियत
स्त्री पुरुष के अंतर
ज्ञान का कोतुहल
तिसपर संगीता जैसे
सहपाठी का सानिध्य
न जाने वो भी क्या दिन थे
सब कुछ सुहाना था
घर में मन कहाँ लगता था
माँ पापा से आँखे मिलाते
एक झिझक , जैसे कोई
अपराध करते हुए
रंगे हाँथ पकडे जाने का डर
सभी कुछ उलटा पुल्टा
लेकिन मन था के
अपनी ही बांचे जा रहा था
सुनता कहाँ था
बेर बेर उसी पगडण्डी पर
लाके पटक देता था
वनस्पति विज्ञान पादप
संकलन हेतु
पर्वतीय प्रदेश
का भ्रमण
मुहं मांगी मुराद बन गया
तिस पर संगीता जैसे
सहपाठी का सानिध्य
न जाने वो भी क्या दिन थे
सब कुछ सुहाना था
सुभह शाम सब कुछ
जल्दी जल्दी बीत रहा था
मैं भीतर भीतर रीत रहा था
मास्टर जी ने बारह टोलियाँ
बनाई एक लड़का एक लड़की
एक टोली मेरी और संगीता की
उस दिन न जाने जो भी मांगता
भोले बाबा ने वही दे देना था
हमारी टोली को सबसे अच्छे
संकलन का सम्मान मिला
संगीता की विदुषितत्व
का परिणाम मुझे भी मिला
हम दोनों को एक दुसरे
का साथ समझ उसदिन
के एक एक पल में
सौगात स्वरूप मिली
न जाने वो भी क्या दिन थे
सब कुछ सुहाना था
असला में नारीत्व की
महिमा को सही से
मैंने उसी दिन जाना था
आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवम शुभ कामनांयें।
आदरणीय योगराज प्रभाकर साहब, जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ. ईश्वर आपको स्वस्थ एवं ख़ुशहाल रखे. सादर.
आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी को जन्म दिन की हार्दिक बधाई एवम शुभ कामनायें।प्रभु आपकी समस्त मनोकामनायें पूर्ण करें।माता रानी का सदैव आशीर्वाद मिले। जीवन में सुख, शाँति,समृद्धि और सेहत से मालामाल रहें।सदैव उन्नति के पथ पर अग्रसर रहें।
आ० अनुज . आशा है ई स्वस्थ और सानान्न्द होंगे . अवगत कराना है कि मोबाईल पर चार बार असफल कोशिश के बाद यहाँ सन्देश निवेदित कर रहा हूँ . सूची है कि ओ बी ओ लखनऊ-चैप्टर , प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष माह नवम्बर 2018 में वार्षिक कार्यक्रम करने हेतु परिकरबद्ध है और तदनुसार डॉ. शरदिंदु मुकर्जी के संरक्षण में वार्षिक पत्रिका ‘सिसृक्षा’ के अगले अंक का प्रकाशन भी होना है . इसके लिए शुभकामना सन्देश के साथ साथ रचनायें भी अपेक्षित हैं . कृपया अपनी रचना / शुभकामना सदेश 25 सितम्बर तक srivastavagopalnarain @gmail.com पर अवश्य भेज दें , कार्यक्रम तिथि की सूचना शीघ्र ही दी जायेगी . सादर . सानुरोध---------------------- गोपाल नारायण श्रीवास्तव
यॊगराज जी,
आपकी लघुकथा-अधूरी कथा के पात्र- पंजाब के आतंकवाद की याद ताजा कर गई. सुंदर रचना के लीये बधाई.
Shukriya sir
जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएँ आदरणीय
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