For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Vijay nikore's Blog – January 2020 Archive (8)

समय के साय

समय के साय

समय पास आकर, बहुत पास 

कोई भूल-सुधार न सोचे

अकल्पित एकान्तों में सरक जाए

झटकारते कुछ धूमैले साय अपने 

गहरे,  कहीं गहरे बीच छोड़ जाए

कुछ ऐसे घबराय बोझिल…

Continue

Added by vijay nikore on January 30, 2020 at 2:30pm — 4 Comments

नियति का आशीर्वाद

नियति का आशीर्वाद

हमारे बीच

यह चुप्पी की हलकी-सी दूरी

जानती हो इक दिन यह हलकी न रहेगी

परत पर परत यह ठोस बनी

धातु बन जाएगी

तो क्या नाम देंगे हम उस धातु को ?…

Continue

Added by vijay nikore on January 27, 2020 at 12:30pm — 4 Comments

प्रथम मिलन की शाम

प्रथम मिलन की शाम

विचारों के जाल में उलझा

माथे पर हलका पसीना पोंछते

घबराहट थी मुझमें  --

मैं कहीं अकबका तो न जाऊँगा

यकीनन सवाल थे उगल रहे तुम में भी

कैसा होगा हमारा यह प्रथम…

Continue

Added by vijay nikore on January 23, 2020 at 8:30am — 4 Comments

समय पास आ रहा है

समय पास आ रहा है

बहता रहा है समय

घड़ी की बाहों में युग-युग से 

पुरानी परम्परा है 

घड़ी को चलने दो

समय को बहना है, बहने दो

हँसी और रुदन के बीच भटक-भटक…

Continue

Added by vijay nikore on January 20, 2020 at 10:30pm — 7 Comments

प्रतीक्षा

प्रतीक्षा

आँधी में पेड़ों से पत्तों का गिरना

पेड़ों की शाख़ों के टूटे हुए खण्ड गिनना

उड़ते बिखरे पत्तों से आंगन भर जाना

यह नज़ारा कोई नया नहीं है

फिर भी लगता है हर आँधी के बाद

नदियों पार “हमारे” उस पुल को चूमकर  आई

यह आँधी मुझसे कुछ बोल गई

गिरे पत्तों की पीड़ा मुझमें कुछ घोल गई

हर आँधी की पहचान अलग, फैलाव नया-सा

कि जैसे अब की आँधी में नि:संदेह

कुलबुलाहट नई है, कोलाहल कुछ और है

मेरी ही गलती है हर गति…

Continue

Added by vijay nikore on January 17, 2020 at 2:30pm — 4 Comments

प्रकृति-सत्य

प्रकृति-सत्य

मेरे पिछवाड़े के पेड़ों के पत्ते

पतझर में अब पीले नहीं होते

ऋतु परिवर्तन से पहले ही, डरे-डरे

तन-मन हारे मारे-मारे उढ़ते फिरते

कि जैसे यह अकुलाते पत्ते नहीं हैं

हज़ारों घायल पक्षी…

Continue

Added by vijay nikore on January 13, 2020 at 8:00am — 4 Comments

नियति-निर्माण

नियति-निर्माण

नियति मेरी, पूछूँ एक सवाल 

इतना तो बता दो मुझको

वास्तव में यह हिंसक नहीं है क्या

घोर अन्याय नहीं है क्या ...

कि हाथों में तुम्हारे रही है हमेशा

मेरे भविष्य की डोर

और मैं ...

ज़िन्दगी की इमारत की

किसी भी मंज़िल पर पहुँचा तो जाना

जागते सोचते हर धूलभरे कमरे में पाया

उदासीन खालीपन

और मेरी छाती में रहीं गिरफ़्तार

कितने अधबने अनबुने नामहीन

सनातन…

Continue

Added by vijay nikore on January 9, 2020 at 9:30pm — 4 Comments

स्वप्न-मिलन

स्वप्न-मिलन

रात ... कल रात

कटने-पिटने के बावजूद

बड़ी देर तक उपस्थित रही

नींद के धुँधलके एकान्त में

पिघलते मोम-सा

कोई परिचित सलोना सपना बना…

Continue

Added by vijay nikore on January 7, 2020 at 6:30am — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

ajay sharma shared a profile on Facebook
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service