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गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s Blog – February 2019 Archive (11)

ये दुआ है कि ख़ुशी आपके घर में आये (३२)

(२१२२ ११२२ ११२२ २२/११२ )

.

ये दुआ है कि ख़ुशी आपके घर में आये

हादिसा पेश न जीवन के सफ़र में आये

**

अश्क आँखों में अगर हों तो ख़ुशी के हों बस  

और सैलाब न अब दीदा-ए-तर में आये 

**

प्यार की राह को आसाँ न समझना कोई

हौसला हो वही इस राह-गुज़र में आये

**

कोशिशें लाख  करे तो भी नहीं है मुमकिन 

ताब-ए-ख़ुर्शीद तो हरगिज़ न क़मर में आये 

**

ग़ैर के ऐब को आसाँ है नज़र में रखना

ऐब ख़ुद का न किसी की भी नज़र में आये

**

अपने…

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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 24, 2019 at 7:00pm — 4 Comments

कभी सदा-ए-दिल-ए-यार जो सुनी होती (३१)



कभी सदा-ए-दिल-ए-यार जो सुनी होती 

तो दास्ताँ न मेरी दर्द से भरी होती 

**

रक़ीब पर न कभी रहम गर किया होता 

मेरी ये ज़िंदगी सहरा न फिर बनी होती 

**

तुम्हारी ज़िंदगी में ग़म कभी न आते गर 

रिदा-ए-आरज़ू थोड़ी सिकुड़ गई होती 

**

गुहर हयात में तुमको नसीब हो जाते 

ज़रा सी वक़्त से तैराकी सीख ली होती …

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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 21, 2019 at 11:00am — 7 Comments

जल रही दिलों में आग हम बुझाएँ किसलिए (३० )



जल रही दिलों में आग हम बुझाएँ किसलिए 

और सब्र बार बार आजमाएँ किसलिए 

**

तोड़ता सुकून-ओ-चैन की हदें अगर कोई 

लोग हिन्द देश के सितम उठाएँ किसलिए 

**

क़त्ल जो करे यक़ीन का हबीब भी अगर 

फिर यक़ीँ उसी पे आज हम दिखाएँ किसलिए 

**

बार बार हो चुके ग़लत वतन के फ़ैसले 

फिर अदू की चाल में हम आज आएँ…

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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 21, 2019 at 1:30am — 8 Comments

जिस मुल्क में ग़रीब के लब पर हँसी नहीं (२९ )

जिस मुल्क में ग़रीब के लब पर हँसी नहीं 

तो मान कर चलें कि तरक़्क़ी हुई नहीं 

**

जुम्लों के दम पे जीत की आशा न कीजिये 

चलती है बार बार ये बाज़ीगरी नहीं 

**

तहज़ीब क़त्ल-ओ-ख़ून की परवान चढ़ रही 

लगता है आदमी रहा अब आदमी नहीं 

**

उम्मीद रहगुज़र कोई मिलने की मत करें 

मंज़िल के वास्ते है अगर तिश्नगी नहीं 

**

चाहें…

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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 16, 2019 at 4:30pm — 5 Comments

जब तिरंगे में लिपट गांव वो आया होगा (२८ )

शहीदों को ख़िराजे अक़ीदत 

------------------------------

वो  तिरंगे में लिपट गांव जब आया होगा |

तो हर इक शख़्स ने चुल्हा न जलाया होगा |

******

क्या न गुज़रेगी किसी दिल पे बयाँ हो कैसे 

आख़री फूल तिरे सर पे चढ़ाया होगा |

******

जब गए दोस्त उसे आज सलामी देने 

याद गुज़रा उसे  बचपन भी फिर  आया होगा |…

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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 15, 2019 at 1:00pm — 5 Comments

जब आपकी नज़र में वफ़ा सुर्ख़रू नहीं (२७ )

(२२१ २१२१ १२२१ २१२ )

जब आपकी नज़र में वफ़ा सुर्ख़रू नहीं 

दिल में हमारे इश्क़ की अब आरजू नहीं 

**

रुसवा किये बिना किसी को हों जुदा जुदा 

गलती से प्यार को करें बे-आबरू नहीं 

**

रिश्तों की सीवनों पे ज़रा ग़ौर कीजिये 

उधड़ीं जो एक बार तो होतीं रफ़ू नहीं 

**

उस मुल्क की अवाम के बढ़ने हैं रंज-ओ-ग़म 

जिस मुल्क में मुहब्बतों की आबजू…

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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 14, 2019 at 2:00am — 5 Comments

थम रही हैं क्यों नहीं ये सिसकियाँ (२५ )

थम रही हैं क्यों नहीं ये सिसकियाँ 

क्यों परेशां हैं चमन में तितलियाँ 

***

साल सत्तर से भले आज़ाद हैं 

आज भी सजती बदन की मंडियाँ

***

अब घरों में भी कहाँ महफ़ूज़ हैं 

ख़ौफ़ के साये में रहती बेटियाँ 

***

ये बशर कैसी तेरी मर्दानगी 

मार देता क्यों है नन्ही बच्चियाँ 

***

कहते हैं हम बेटा-बेटी एक से 

फ़र्क़…

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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 13, 2019 at 12:30am — 4 Comments

ज़िंदगी ने कुछ सबक़ हमको सिखाकर दम लिया ( २४ )

ज़िंदगी ने कुछ सबक़ हमको सिखाकर दम लिया
ज़िंदगी जीने के लायक ही बनाकर दम लिया
***
साहिलों से जब मिले तूफ़ान का मुँह मोड़कर
साहिलों से फिर नये तूफाँ उठाकर दम…
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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 8, 2019 at 2:30pm — 7 Comments

रोशनी के सामने ये तीरगी क्या चीज़ है ( २३ )

रोशनी के सामने ये तीरगी क्या चीज़ है 

वक़्त की आंधी के आगे आदमी क्या चीज़ है 

***

जब थपेड़े ग़म के खाता है जहाँ में आदमी

तब उसे मालूम होता है ख़ुशी क्या चीज़ है 

***

एक बच्चे की कोई भी आरज़ू पूरी हो जब 

ग़ौर से फिर देखिये चेहरा हँसी क्या चीज़ है 

***

ग़ुरबतों से लड़ के जिसने ख़ुद बनाया हो मक़ाम 

बस वही तो जानता है…

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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 7, 2019 at 10:30am — 4 Comments

भले नीम जां मेरा जिस्म हो , अभी रूह इसमें सवार है (२२ )

भले नीम जां मेरा जिस्म हो  अभी रूह इसमें सवार है 

अभी जा क़ज़ा किसी और दर मेरी साँस में भी क़रार  है 

***

है जवाब देती लगे नज़र अभी है ख़याल की रोशनी 

रहे ज़ीस्त मेरी रवाँ दवाँ  ये तुम्हीं पे दार-ओ-मदार है 

***

जो पिलाई तूने थी चश्म से कभी मय जो बन के थी साक़िया

न उतर सका न उतार पर  चढ़ा अब तलक वो ख़ुमार है …

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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 4, 2019 at 5:30pm — 7 Comments

हयात में तू मुहब्बत की आन रहने दे (२१)

(1212 1122 1212 22 )

हयात में तू मुहब्बत की आन रहने दे 

कतर न पंख ये दिल की उड़ान रहने दे 

***

न तोड़ सिलसिला तू इस तरह मुहब्बत का

वफ़ा का मुझको जरा सा गुमान रहने दे

****

न खोल राज़ सभी हो न मेरी रुसवाई 

कुछ एक राज़ सनम दरमियान रहने दे

***

मैं जानता हूँ हक़ीक़त में प्यार है मुझसे 

क़फ़स में क़ैद तेरे मेरी जान रहने दे…

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Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 2, 2019 at 6:00pm — 2 Comments

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