यह रचना मेरे छोटे से (उम्र से तो २८ साल का है पर लगता मेरे बेटे जैसा ही है), बहुत प्यारे से भाई के लिए लिखी है, वो दिल्ली में रहता है और उससे मिले करीब ढाई साल हो गए हैं... मेरे दो भाई हैं एक बड़ा और एक छोटा, इश्वर करे सब को ऐसे भाई मिलें
शानू के हाथों में तेरे हाथ नज़र आते हैं,
मगर तेरे हाथों को हाथ में लिए बड़ा वक़्त हो गया
स्काइप पे तुझे देख-सुन लेती हूँ,
पर तुझे गले से लगाए बड़ा वक़्त हो गया
कोई ख़ास बात होती है तो ही…
ContinueAdded by Anjana Dayal de Prewitt on May 31, 2011 at 9:00pm — No Comments
निम्नांकित पद्यों में घनाक्षरी छंद है, ‘कवित्त’ और ‘मनहरण’ भी इसी छन्द के अन्य नाम हैं। इसमें चार पंक्तियाँ होती है और प्रत्येक पंक्ति में ३१, ३१ वर्ण होते हैं। क्रमशः ८, ८, ८, ७ पर यति और विराम का विधान है, परन्तु सिद्धहस्त कतिपय कवि प्रवाह की परिपक्वता के कारण यति-नियम की परवाह नहीं भी करते हैं। यह छन्द यों तो सभी रसों के लिए उपयुक्त है, परन्तु वीर और शृंगार रस का परिपाक उसमें पूर्णतया होता है। इसीलिए हिन्दी साहित्य के इतिहास के चारों कालों में इसका बोलबाला रहा है। मैं इस छन्द को छन्दों का…
ContinueAdded by आचार्य संदीप कुमार त्यागी on May 31, 2011 at 8:19am — 9 Comments
मुझसे तन्हाई मेरी ये पूछती है,
बेवफ़ाओं से तेरी क्यूं दोस्ती है।
चल पड़ा हूं मुहब्बत के सफ़र में,
पैरों पर छाले रगों में बेखुदी है।
पानी के व्यापार में पैसा बहुत है,
अब तराजू की गिरह में हर नदी है।
एक तारा टूटा है आसमां पर,
शौक़ की धरती सुकूं से सो रही है।
बिल्डरों के द्वारा संवरेगा नगर अब,
सुन ये, पेड़ों के मुहल्ले में ग़मी है।
हां अंधेरों का मुसाफ़िर चांद भी है,
चांदनी के…
ContinueAdded by Dr. Sanjay dani on May 31, 2011 at 7:08am — 2 Comments
Added by Veerendra Jain on May 31, 2011 at 12:27am — No Comments
मुक्तिका :
भंग हुआ हर सपना
संजीव 'सलिल'
*
भंग हुआ हर सपना,
टूट गया हर नपना.
माया जाल में उलझे
भूले माला जपना..
तम में साथ न कोई
किसे कहें हम अपना?
पिंगल-छंद न जाने
किन्तु चाहते छपना..
बर्तन बनने खातिर
पड़ता माटी को तपना..
************
Added by sanjiv verma 'salil' on May 31, 2011 at 12:02am — No Comments
Added by Anjana Dayal de Prewitt on May 30, 2011 at 9:30pm — 2 Comments
(1)
(भ्रूण हत्या)
जैसे बेटा पैदा होना, इक वरदान कहा,
घर में न बेटी होना, एक बड़ा श्राप है !
होती न जो बेटियां तो, होते कैसे बेटे भला
इन्ही की वजह से तो, शिवा है - प्रताप है !
पैदा ही न होने देना, कोख में ही मार देना,
हर मज़हब में ये, घोर महापाप है !
महामृत्युंजय सम, वंश के लिए जो बेटा,
उसी तरह कन्या भी, गायत्री का जाप है…
ContinueAdded by योगराज प्रभाकर on May 30, 2011 at 9:20pm — 20 Comments
Added by Abhinav Arun on May 29, 2011 at 10:57am — 2 Comments
Added by R N Tiwari on May 28, 2011 at 8:00pm — 5 Comments
Added by nirmal gupt on May 28, 2011 at 12:48pm — 1 Comment
रात से हमने दोस्ती कर ली
लोग कहते है, दिल्लगी कर ली
ये फ़िज़ा बहकी, हवा महकी सी
शाम ने तेरी मुख़बिरी कर ली
ये हिज़्र मेरे बस की बात नहीं
लो सजा अपनी मुलतवी कर ली
तेरा ख्याल ले के सोये थे
ख्वाब में हमनें रोशनी कर ली
जो इल्म आया महोब्बत का 'अमि'
आशिको ने शायरी कर ली ~अमि'अज़ीम'
Added by अमि तेष on May 28, 2011 at 12:13am — No Comments
Added by Anjana Dayal de Prewitt on May 27, 2011 at 6:58pm — No Comments
Added by Vishal Bagh on May 27, 2011 at 1:35pm — No Comments
Added by आचार्य संदीप कुमार त्यागी on May 27, 2011 at 8:46am — 1 Comment
Added by Anshumali Srivastava on May 27, 2011 at 8:00am — No Comments
Added by Rajeev Kumar Pandey on May 27, 2011 at 3:30am — No Comments
जिन्दगीं हर घड़ी
एक नया अनुभव लाती है
पर मैं क्या करु मेरा हर नया अनुभव
मेरे हर पुराने अनुभव से
कुछ कड़वा है, कुछ फ़ीका है, कुछ खारा है
कुछ दुर ही सही
मैं उसके साथ चलता हूँ
कभी सभ्लता हूँ, कभी फ़िसलता हूँ
मैं उसे नहीं बांटता
ये ही मुझे रफ़्ता रफ़्ता बांट देता है
मेरी इस छोटी सी जिन्दगी को
जो मेरे लिये ही काफ़ी नही
दो आयामों में काट देता है
वह मेरा सबसे पुराना मित्र है
और सबसे बड़ा…
ContinueAdded by अमि तेष on May 26, 2011 at 6:42pm — No Comments
Ye Jurrat ho gayi hai Mohabbat ho gayi hai |
ये जुर्रत हो गयी है मोहब्बत हो गयी है
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Added by Vishal Bagh on May 26, 2011 at 4:00pm — 1 Comment
Added by Rash Bihari Ravi on May 26, 2011 at 1:30pm — No Comments
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 25, 2011 at 5:00pm — 83 Comments
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