122 122
ले, कदमों पे सर है
लो, अब भी कसर है
जो मर ही चुके हो
तो अब किसका डर है
नहीं ख़त्म होगा
ये मेरा असर है
नहीं कोई मंज़िल
महज़ रह ग़ुज़र है
तो घर में ही बैठो
अगर तुमको डर है
लिखे शह्र जिसको
हमें वो शहर है
नहीं है जो कड़वा
वो मीठा ज़हर है
लो, अन्धों से सुन लो
कहाँ रह गुज़र है
****************
मौलिक एवँ…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on June 25, 2015 at 8:58am — 29 Comments
2122 2122 212
छोड़िये , हमको बुलाता कौन है
खार सीने से लगाता कौन है
आप हैं गमगीन , खुद रोते रहें
अब यहाँ कन्धा बढाता कौन है
हाथ अंगारों में रख कहते हैं वो
हमसा खुद को आजमाता कौन है
सोई खोई बस्ती की तनहाई में
ग़ज़ले-ग़ालिब गुनगुनाता कौन है
…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on June 25, 2015 at 8:30am — 28 Comments
122 122 122 12
अँधेरों के मित्रो, हवा दीजिये
मै जलता दिया हूँ बुझा दीजिये
लिये आइना सब से मिलता रहा
सभी अब मुझे बद्दुआ दीजिये
हमारा यक़ीं चाँद से उठ गया
हमे जुगनुओं का पता दीजिये
…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on June 25, 2015 at 8:00am — 25 Comments
1212 1122 1212 22 /112
फ़लक पे जो मुझे अक्सर दिखाई देता है
वो आम लोगों में तनकर दिखाई देता है
अभी हैं बदलियाँ चारों तरफ से घेरी हुईं
तभी तो चाँद भी बदतर दिखाई देता है
जो तोप ले के चले साथ अपनें , वो हमको
कहें हैं हाथ में ख़ंजर दिखाई देता है…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on June 23, 2015 at 9:00am — 22 Comments
Added by गिरिराज भंडारी on June 22, 2015 at 6:30am — 12 Comments
२१२ २१२ २१२ २१२
*******************************
दोस्त निर्लिप्त है, टोकता भी नहीं
और पूछो अगर बोलता भी नहीं
बोलना जब मना, फाइदा भी नहीं
बे ज़ुबाँ कह सके रास्ता भी नहीं
रात तारीकियों से घिरी इस क़दर
मंज़िलें बेपता , रास्ता भी नहीं
तुम अभी तो…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on June 18, 2015 at 5:30pm — 24 Comments
प्यार - एक वैचारिक अतुकांत --'' हाँ , आपसे ही कह रहा हूँ ''
********************************************************************
वाह !
किसने कह दिया ?
आपके दिल में प्यार भरा है, सागर सा
खुद ही दे दिये सर्टिफिकेट , खुद को ही
वाह ! क्या बात है
बिना जाने सच्चाई क्या है ? कैसी है ?
प्यार है भी कि नहीं दुनिया में
प्यार नाम की चीज़ होती कैसी है ?
रहता कहाँ है प्यार ?
किन शर्तों में जी पाता है ?…
Added by गिरिराज भंडारी on June 18, 2015 at 10:00am — 10 Comments
2122 2122 212
क्या वही फिर से ज़माना आ गया ?
आदमी को दोस्ताना आ गया
शर्म उनकी आँखों मे दिखने लगी
इसलिये नज़रें चुराना आ गया
फ़िक्र अब करते नहीं यादों की हम
अब हमें उनको भुलाना आ गया
ऊब कर रोने से दिल को देखिये
अब…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on June 17, 2015 at 9:00am — 22 Comments
2122 2122 2122 212
***************************************
दें सहारा, लड़खड़ाते आ रहे नादान को
पूछ तो लें बोझ कितना है, भले इंसान को
तू समन्दर पास आँखें खोल के रखना नहीं
ठेस लग जाये न तेरे ज्ञान के अभिमान को
ओ मेरे फुटपाथ पे सोये हुये मित्रों, जगो !
क्यों बुलावा दे रहे हो फिर किसी सलमान को
कोशिशें तो खूब की आँसू गिरे, महफिल ने…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on June 16, 2015 at 8:00am — 16 Comments
122 122 122 122
जो कहते थे उनको इशारा बहुत है
वो सुनते नहीं कुछ , पुकारा बहुत है
ऐ तन्हाई आ मेरी जानिब चली आ
कि यादों को तेरा सहारा बहुत है
तबीयत से इक फूँक भारो तो यारों
जलाने को दुनिया, शरारा बहुत है
ये मजहब का ठेका हटा लो यहाँ से …
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on June 14, 2015 at 7:30am — 28 Comments
Added by गिरिराज भंडारी on June 13, 2015 at 9:00am — 28 Comments
2122 1212 22 / 112
"क्या ज़माने से डर गया कोई
एह्द क्यूँ तोड़ कर गया कोई"
ख़्वाब मेरे कुतर गया कोई…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on June 11, 2015 at 6:30am — 23 Comments
Added by गिरिराज भंडारी on June 11, 2015 at 6:00am — 22 Comments
दिया गया मिसरा -"चिलचिलाती धूप में जब मोम से रिश्ते मिले।"
-----------------------------------------------------------------------
2122 2122 2122 212
…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on June 8, 2015 at 7:30am — 30 Comments
2122 2122 2122 212
है कोई क्या इस जहाँ में जो कभी हारा नहीं
"सिर्फ़ पाया हो यहाँ पर और कुछ खोया नहीं"
पत्थरों के बीच रह के मै भी पत्थर की तरह
दर्द की बस्ती में रह कर, देखिये रोया नहीं
ख़्वाब की बातें कहूँ क्या, नींद जब दुश्मन हुई
माँ का साया जब से रूठा , तब से मैं सोया नहीं
बादलों में खेमा बन्दी भी हुई क्या ? आज कल
क्यों मेरे घर से गुज़रते वक़्त वो बरसा नहीं
मरहले के और पहले थक गया था काफिला
आबला पा था…
Added by गिरिराज भंडारी on June 5, 2015 at 9:30am — 32 Comments
2017
2016
2015
2014
2013
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |