For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Abhinav Arun's Blog – August 2011 Archive (11)

ग़ज़ल :- तलवार की बातें करो छोडो मयान की

ग़ज़ल :- तलवार की बातें करो छोडो मयान की

अब क्या बताएं आपको दुनिया जहान की ,

ये शायरी ज़ुबां है किसी बेज़ुबान की |

 …

Continue

Added by Abhinav Arun on August 31, 2011 at 9:41am — 4 Comments

कविता :- हम नादान ?

कविता :- हम नादान ?

 

कदम आगे कदम पीछे

कभी उभरे कभी बिछे

हमीं इंसान

हम नादान…

Continue

Added by Abhinav Arun on August 27, 2011 at 9:00am — 9 Comments

कविता :- ठहराव का सच

कविता :- ठहराव का सच

 

इच्छाओं की चिकनी सड़क पर फिसलती - संभलती ज़िंदगी की बाइक…

Continue

Added by Abhinav Arun on August 24, 2011 at 9:17am — 2 Comments

ग़ज़ल :- सोच का सन्दर्भ अब कितना इकहरा हो गया

ग़ज़ल :- सोच का सन्दर्भ अब कितना इकहरा हो गया

 

सोच का सन्दर्भ अब कितना इकहरा हो गया ,

आदमी तकनीक के गुलशन का सहरा हो गया | 

 

जड़कटी…

Continue

Added by Abhinav Arun on August 20, 2011 at 3:00pm — 8 Comments

ग़ज़ल :- बाढ़ का हद से गुजरना अच्छा

 ग़ज़ल :- बाढ़ का हद से गुजरना अच्छा
 
बाढ़ का हद से गुजरना अच्छा ,
गाँव का फिर से संवरना अच्छा |
 
इस जगह माँ की याद आती है ,
इस जगह थोडा ठहरना अच्छा…
Continue

Added by Abhinav Arun on August 14, 2011 at 3:33pm — 11 Comments

ग़ज़ल :- ये खबर इस शहर पे तारी हुई

 ग़ज़ल :- ये  खबर इस शहर पे तारी हुई 
 
यह खबर इस शहर पे तारी हुई ,
मछलियों  की जाल से यारी हुई |
 
फूल था मधुरस लुटा हल्का हुआ ,…
Continue

Added by Abhinav Arun on August 14, 2011 at 3:30pm — 14 Comments

कविता = कहाँ आज़ाद हैं हम

कविता = कहाँ आज़ाद हैं हम

कहाँ आज़ाद हैं हम

हजारों हर तरफ ग़म

भ्रष्टाचार के टीले - पहाड़

और जनता की नित हार

अवनति…

Continue

Added by Abhinav Arun on August 14, 2011 at 1:39pm — 16 Comments

कविता- अनुभूत पपड़ियों का महाकाव्य !

कविता-  अनुभूत पपड़ियों का महाकाव्य !…

Continue

Added by Abhinav Arun on August 12, 2011 at 7:37pm — 8 Comments

ग़ज़ल :- हथेली पे कैक्टस उगाने से पहले

ग़ज़ल :- हथेली पे कैक्टस उगाने से पहले

 

हथेली पे कैक्टस उगाने से पहले ,

ज़रा सोचना तिलमिलाने से पहले |

 

मोहब्बत से तौबा तो …

Continue

Added by Abhinav Arun on August 9, 2011 at 7:00am — 19 Comments

ग़ज़ल :- मत फलक पर चाँद तारे बोइये

ग़ज़ल :- मत फलक पर चाँद तारे बोइये

मत फलक पर चाँद तारे बोइए ,

रख परे सपनों को चुपकर सोइए |…

Continue

Added by Abhinav Arun on August 8, 2011 at 2:37pm — 8 Comments

ग़ज़ल - ग़मों का दौर हूँ मैं

ग़ज़ल - ग़मों का दौर हूँ मैं

ग़मों का दौर हूँ मैं ,

ग़ज़ल है और हूँ मैं |

 

दशहरी गंध तुम हो ,

तुम्हारी बौर हूँ मैं |

 

तेरा हर तिल…

Continue

Added by Abhinav Arun on August 1, 2011 at 4:19pm — 15 Comments

Monthly Archives

2014

2013

2012

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service