For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सतविन्द्र कुमार राणा's Blog – August 2016 Archive (12)

प्रेम त्रिकोण

ताटंक छ्न्द

-------------

1.उमर बढ़ी पर प्रीत लगाई,अब दूजी से जाने क्यों

नहीं पराई औरत है वह,बीवी इसको माने क्यों

पूरा दिन ही गिटर-पिटर बस, फोन लिए करते जाते

मुझे भुलाकर बात उसी से,ध्यान दिए करते जाते

2.

मैंने बोला नहीं दूसरी,लगा मीडिया प्यारा है

इसपे ही लिखता रहता हूँ,यह अच्छा औ न्यारा है

बोल पड़ी झटसे मुझसे वह,मुझको भी दिखलाओ तो

कैसे करते काम इसी पर,थोड़ा सा समझाओ तो

3.

उसे जरा सा यह मैंने तोे,बस यूँ ही बतलाया था

कैसे सोशल हम हो… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on August 21, 2016 at 5:00pm — 6 Comments

पावन भाव(कुण्डलिया)

पावन ही यदि भाव हो,तो पावन त्यौहार
सूत्र रक्षार्थ बाँधती, भाई को हर नार
भाई को हर नार,चाह रक्षा की रखती
हर भाई में नेक,मनुष वह हर पल लखती
सतविन्दर कविराय,विचारों का हो धावन
पूजित हो हर नार,रहे सबका दिल पावन।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on August 18, 2016 at 11:00am — 6 Comments

ताटंक छंद

ताटंक छंद

---

1

बुरे समय का खेला चलता, गुण की कीमत जाती है

लोग बुरे आगे बढ़ते हैं,अच्छों की मत जाती है

मक्कारी के घर भरते हैं,सच्चाई घबराई है

जनता देखो भूखी मरती,कुत्ता खात मलाई है।

2.

बहा पसीना खेत कमाता, पोषण सबका होता है

खुद का बच्चा तड़प तड़प कर, भूखा घर में सोता है

कुदरत ने तो मारा उसको,करता तंत्र पिसाई है

जनता देखो भूखी मरती,कुत्ता खात मलाई है।



3

जो करते हैं काम अनेकों ,नाम कभी क्या होता है,

काट लफंगे खा जाते… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on August 16, 2016 at 9:00pm — 6 Comments

ताटक छ्न्द-सतविन्द्र

ताटंक छ्न्द



पास खड़ी है सजधज कर वह,दुल्हन सबसे प्यारी है

सबको वही पसन्द बहुत है,देखो सबसे न्यारी है

वरण किया जो लेकर आए,उसको वे मतवाले थे

आजादी की दुल्हन खातिर,खुद मिट जाने वाले थे।



देकर अपनी आहुति जो भी,आजादी को लाए थे

राग रंग और मौज मस्ती,क्या उन सबको भाए थे

कुछ तो तोड़ गये थे बेड़ी, जो गैरों ने डाली थी

अबतक भी है घोर गुलामी,जो अपनों ने पाली थी।



भूख बनी आदत जिसकी है,खाने को कब दाना है

तन सर्दी से ठिठुर रहा है,नहीं वस्त्र का… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on August 15, 2016 at 11:04pm — 6 Comments

कुण्डलिया

आजादी वह भाव है,जिससे सबको प्यार
इसको पाने के लिए,हुई बहुत तकरार
हुई बहुत तकरार,कई ने जान गँवाई
हुए शहीद अनेक,तभी आज़ादी पाई
सतविन्दर कविराय,रहे सुख से आबादी
है अद्भुत यह भाव,नाम जिसका आजादी

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on August 14, 2016 at 6:16pm — 8 Comments

गीतिका (एक प्रयास)

आधार चौपाई छंद

मन में पहले गुरु बैठाना
मातु शारदे को फिर ध्याना।

सच को लिखना सीख लिया है
सबको दर्पण है दिखलाना।

भाव सृजन जब हो जाये तो
उनको दुनिया तक पहुँचाना

धन की ही चाहत है सबको
ज्ञान मूल है ये समझाना।

भारत माता की महिमा को
जन जन को है हमें सुनाना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on August 13, 2016 at 12:28pm — 8 Comments

दोधक छ्न्द(प्रथम प्रयास)/सतविन्द्र कुमार

दोधक छंद(गीत)

प्रथम प्रयास

211 211 211 22

----

देख लिया सब हाल सँभालो

देश हुआ बदहाल सँभालो



बाढ़ कहीँ,जल भी कब आया

मान लिया सब ईश्वर माया

ईश्वर को तुम साथ मिलालो

देश हुआ बदहाल सँभालो।1।



कीमत जीवन की पहचानो

पेट भरें अपना सब जानो

भूख किसी पर थोप न डालो

देश हुआ बदहाल सँभालो ।2।



सोच लिए चलते घटिया जो

बात सभी करते घटिया जो

राष्ट्र विरोधि जुबान दबालो

देश हुआ बदहाल सँभालो।3।



मौलिक एवं… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on August 9, 2016 at 6:08pm — 2 Comments

प्रेम (गीत-रोला छंद)/सतविन्द्र कुमार

प्रेम रतन अनमोल,इसे तुम रखो सँभााले

खुशियों का भंडार,यही है सुन मतवाले



बड़े-बड़े सब दुःख,प्रेम से ही कम होते

कष्ट बनें जो भार, इसी से हल्के होते

सहज लगे संघर्ष,प्रेम की ऐसी माया

जीवन का यह सार,ध्यान तू रख रे भाया

हमने सारे कष्ट,प्रेम के किए हवाले

खुशियों का भंडार ,यही है सुन मतवाले



मात-पिता के काम,समर्पित हैं बच्चों को

प्रेम डोर दे बाँध,सभी मन के सच्चों को

पावन सा इक भाव,प्रेम बन जग में आया

इसपर ही संसार,टिका यह उसका… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on August 7, 2016 at 5:00pm — 4 Comments

गीत (सार छंद)/सतविन्द्र कुमार

गीत(सार छ्न्द)प्रयास

-------–

आज पड़े सावन के झूले,सबके मन हर्षाते

भूल गए मुझको तो साजन,याद बहुत हैं आते



बूँद पड़े जब तन पर मेरे तन शीतल हो जाता

आग लगी अंतस में जो है उसको कौन बुझाता

प्रेम पर्व पर प्रियतम सबको,जानूँ खूब सुहाते

भूल गए मुझको तो साजन याद बहुत हैं आते।1।



सोहे सभी सिंगार सहेली जब, साजन हो संगी

बिन साजन के सजना भी तो, लगता है बेढंगी

सारे हार सिंगार सजन जी ,तुझे रिझाने लाते

भूल गए मुझको तो साजन याद बहुत हैं… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on August 6, 2016 at 6:31pm — 8 Comments

गीत (विधाता छ्न्द)

1222,1222,1222,1222



कभी छाया मिली गहरी ,कभी फिर धूप पड़ती है

चले जीवन सही साथी,नहीं मुश्किल अकड़ती है



जमाना ये उसे चाहे दुखों को जो भुलाता है

सतत बढ़ता चला जाए नहीं खुद को रुलाता है

मुसीबत को बहुत छोटी,समझ कर जो चला जाए

खुदा देखो उसे ही तो ज़माने में सदा लाए

नहीं तो देख लो कितनी यहाँ पर उम्र झड़ती है

चले जीवन सही साथी,नहीं मुश्किल अकड़ती है।1।



मुहब्बत एक प्यारा सा ख़ुशी का ही खज़ाना है

इसी को पास रखकर ही हमें जीवन बिताना… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on August 4, 2016 at 11:00pm — 10 Comments

गीत,हरिगीतिका छ्न्द पर प्रथम प्रयास

नारी

------

अबला बनीं सबला अभी तो हम उन्हें सम्मान दें

उत्साह से वे कर रहीं हर काम को अब मान दें



चलते रहे यह मानकर कुछ कर नहीं सकती कभी

कमजोर उनको मानते अब तक चले हैं जी सभी

हैं जानते यह हम सभी सबला हुई अब नार हैं

जीवन उन्हीं से चल रहा,वे ही सबल आधार हैं

नारी सही हैं बढ़ रहीं अपने वतन पर जान दें

उत्साह से वे कर रहीं हर काम को अब मान दें।



इक कल्पना ने था रचा इतिहास सब हैं जानते

आकाश पर लहरा गई थी जो ध्वजा पहचानते

लक्ष्मी… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on August 3, 2016 at 5:00pm — 11 Comments

गीत (गीतिका छंद)/सतविन्द्र कुमार

भारती को अब नहीं फिर से सताना चाहिए

दुश्मनों को देश के अब ये बताना चाहिए



आज अपने देश में जो ये घृणा का दौर है

पागलों ने सब किया है ये नहीं कुछ और है

नफरतों को बेचते जो काम ऐसे कर रहे

बांटते हैं देश को बस जेब अपनी भर रहे

उन सभी के चेहरे से पट हटाना चाहिए

दुश्मनों को देश के अब ये बताना चाहिए।।१।।





देश के जो रक्षकों को पत्थरों से मारते

दुश्मनों से जा मिलें वो क्या कभी हैं हारते

आज मिलकर हम सभी उत्तर उन्हें देते चलें

साथ आएँ वो… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on August 1, 2016 at 9:30pm — 15 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

1999

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service