कहते हैं
Added by mohinichordia on September 7, 2011 at 9:42pm — 1 Comment
Added by mohinichordia on September 7, 2011 at 8:48pm — 2 Comments
तुम करीब आये हो प्रियतम
मन बन गया मधुबन मेरा
तुमने प्रीत का रस उंडेला
Added by mohinichordia on September 7, 2011 at 5:10pm — No Comments
Added by Ambrish Singh Baghel on September 7, 2011 at 12:25pm — No Comments
हमें जो अर्थ प्रजातंत्र का बताए हैं
उन्हीं के पुत्र विरासत में मुल्क पाए हैं
वही नसीहतें देते मिले गरीबों को
जो मुल्क बेच के खाए - पिए अघाए हैं
भला- बुरा न समझते हम इतने हैं नादाँ
सही, सही है गलत को गलत बताए हैं
यही किया है हमेशा कि अपने दिल की सुनी
यही हुआ है हमेशा कि चोट खाए हैं
- वीनस केशरी
Added by वीनस केसरी on September 7, 2011 at 2:00am — 4 Comments
Added by Smrit Mishra on September 6, 2011 at 3:00pm — No Comments
मौन निःशब्द रात्रि
चारों ओर सन्नाटा
नंगे पेड़ों पर गिरती बर्फ
रुई के फाहे सी
रात को और भी गंभीर बनाती
शायद तुम्हारे ही आदेश से |
गरजते समुद्र की उफनती लहरें …
ContinueAdded by mohinichordia on September 6, 2011 at 2:07pm — No Comments
हवा के पंखो पर चढ़कर
आती है तेरी खुशबू
नदियों के जल के साथ बहकर
कभी प्रपात बनकर, निनाद करती
अमृत सी झरती
आती है तेरी मिठास |
सूरज बनकर आता है कभी
सात घोड़ो के रथ पर सवार…
ContinueAdded by mohinichordia on September 6, 2011 at 11:30am — 1 Comment
Added by satish mapatpuri on September 6, 2011 at 12:30am — 5 Comments
Added by Smrit Mishra on September 5, 2011 at 11:53pm — No Comments
Added by Smrit Mishra on September 5, 2011 at 11:52pm — No Comments
जिन्दगी का सफ़र कितना लम्बा है,
ये मालूम न था;
यादों की महफ़िल कितनी बड़ी है,
ये मालूम न था;
चाहता तो मैं भी तुम्हे था,
पर दिल में तेरे क्या है,
ये मालूम न था;
जब पता चला तो होश मैंने खो दिए,
तुझे पाने के लिए ,मेरे दिल ने रो दिए;
दीदार- ए-बिन तेरे रहना है मुश्किल,
पर तुझको पाना भी है मुश्किल;
चाह कर भी मैं तुझको अपना बना नहीं सकता,
पर तेरे बिना रह भी तो नहीं सकता;
दुआं मांगता हूँ खुदा से यही,
खुश…
ContinueAdded by Smrit Mishra on September 5, 2011 at 11:49pm — No Comments
Added by Abhinav Arun on September 5, 2011 at 9:45pm — 14 Comments
हमारी सोच का पंछी अभी उड़ान मे है
ज़ॅमी से दूर बहुत दूर आसमान मे है
न कल के ख्वाब न पुरखों की आनबान मे है
तेरा वजूद अगर है तो वर्तमान मे है .....
Added by fauzan on September 5, 2011 at 7:37pm — 3 Comments
Added by Rash Bihari Ravi on September 5, 2011 at 5:06pm — 4 Comments
उनके आदर्शो को याद कर ,
Added by Rash Bihari Ravi on September 5, 2011 at 2:00pm — 11 Comments
दिनांक 1 सितम्बर, 2011 को इग्नू के "भोजपुरी भाषा, साहित्य संस्कृति केंद्र" द्वारा पाठ्यक्रम निर्माण सम्बन्धी प्रथम वैठक आयोजित की गई, भोजपुरी भाषा में 'सर्टिफिकेट कार्यक्रम' से सम्बंधित पाठ लेखकों की इस बैठक में देश के विभिन्न कोने से भोजपुरी भाषा से सम्बंधित साहित्यकार, चिन्तक, व्याकरणाचार्य, संपादक, भाषाविद आदि विद्वानों ने हिस्सा लिया | डॉ.गुरचरण सिंह (कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा, सासाराम), डॉ. जयकांत सिंह जय( बी.आर.आंबेडकर विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर), डॉ, विनय कुमार सिंह (बनारस हिन्दू…
ContinueAdded by Santosh Kumar on September 5, 2011 at 1:30pm — No Comments
Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 5, 2011 at 10:41am — 3 Comments
आँखों में आँख डाल रहे जो गुमान की,
यारों है उनको फिक्र जमीं आसमान की.
जिंदादिली का राज कलेजे में है छिपा,
खुद पे है ऐतबार खुशी है जहान की.
आयी जो मस्त याद चली झूमती हवा,
नज़रें मिली तो तीर चले बात आन की.
घायल हुए जो ताज दिखा संगमरमरी,
आई है यार आज घड़ी इम्तहान की.
आखिर वही हुआ जो लगी इश्क की झड़ी,
कुरबां वतन पे आज हुई जां जवान की.
--अम्बरीष श्रीवास्तव
Added by Er. Ambarish Srivastava on September 4, 2011 at 11:53pm — 27 Comments
(चित्र गुगल से साभार)
हाइगा एक परिचय :- हाइगा साहित्य की जापानी विधा है जो १७ वी शताब्दी में शुरू की गई थी, हाइगा मूलतः दो जापानी शब्द से मिलकर बना है,
हाइगा = हाइ + गा ,
हाइ (हाइकु) = कविता ,
गा = रंग चित्र या चित्रकला
अर्थात, हाइगा, हाइकु और रंग चित्र के संयोजन से सृजित किया जाता है, उस समय रंग…
ContinueAdded by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 4, 2011 at 9:00pm — 25 Comments
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